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Sangeeta Verma

धीरे-धीरे

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कूछ खास हो जाने लगे 
धीरे-धीरे वो 
मेरे दिल को भाने लगे
तन्हा होती हूँ जरा भी मै 
धीरे-धीरे वो 
पास अपने बूलाने लगे 
कैसे करूँ यकीन मै 
धीरे-धीरे वो 
मूझ से नाराज रहेने लगे
कहाँ ढूंढू गली गली मैं 
धीरे-धीरे वो 
मूझ से लूका छिपी रहेने लगे 
बहूत बाते होती है  अकसर उनसे 
धीरे-धीरे वो 
मूझे अनदेखा करने लगे 
मेरा प्यार एक तरफा ही सही 
लगा यूँ आज 
धीरे-धीरे वो भी 
मूझे दिल से चहाने लगे ।
(चाँदनी)

©Sangeeta Verma धीरे-धीरे

Monica Srivastava

धीरे-धीरे

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Anjana Sarkar

#धीरे-धीरे

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धीरे-धीरे हम निकल पड़े 
उस खुबसूरत जहान की खोज में 
जहाँ होगी ख्वाइशों पूरी और अरमान सारे 
कब तक जिएंगे बेजान लाशों की तरह
ना कोई मंजिल हे नांहि कुछ पाने की चाह 
ऐसे जीना भी कोई जीना है 
इससे तो बेहतर थोड़ी बगावत ही सही है 
पीछे छोड़ जाउँ इस जालिम दुनिया को
ख्वाब सजाउँ और उसे पूरा करने का प्रण लो
तोर के सारे बंदिशों को पंख लगा के तुम उड़ चलो
चलो चलें उस हसिन जन्नत को पाने 
जहाँ होगी पूरी हमारे हर एक सपनें।

©Anjana Sarkar #धीरे-धीरे

Parasram Arora

धीरे धीरे.......

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उम्र  गुजर रही है  धीरे  धीरे
जैसे  उधारी चुक रही हो  धीरे धीरे
नहीं थकी है कुदारी  अभी तक 
पर थक चुके  हाथ पाँव  धीरे  धीरे
गरीबी  आड़े  आती रही  धीरे धीरे
कुंवारी बिटिया ब्याही  धीरे  धीरे
अब तो  तप  चुकी है  भट्टी भी
अब तो  पुराना  सोना भी चमकेगा धीरे  धीरे
फूल कही  कर न दे शिकायत काँटों से
डरती हुई तितली  घुस आयी  बाग मे धीरे धीरे
उठ रहा था ज़ो दर्द  दिल मे कई दिनों से
बह जाएगा  वो आंसुओं क़े साथ  धीरे धीरे

©Parasram Arora धीरे  धीरे.......

Roshan-nama

धीरे धीरे

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मुझ पे तूने अपना हक खुद खोया है धीरे धीरे 
 
मेरे हर दर्द पे डाल नमक तू सोया है धीरे धीरे

बर्बाद रहूं आबाद रहूं लेकिन तुझको  याद रहु

आंखे ना मेरी  भीगी बेशक पर दिल रोया है धीरे धीरे धीरे धीरे

Sneh Prem Chand

धीरे धीरे

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Alok Meshram

#धीरे धीरे

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हमसुखनं  उसके संग हो राहा था रकीब धीरे धीरे 
जां  मेरी जां  से जा राही थी धीरे धीरे 

परिंदो  ने अमाद  दि किनारा नजदिक होने की 
कश्ती ले गयी मुझे मगर साहिल से  दूर धीरे धीरे 

बनाया था मैने ख्वाबो में  प्यार का मंदिर 
तोड दि उसी बूत ने वो इमारत  धीरे धीरे 

लाया था दिया मै रोशन करने घर अपना 
उसी ने घर जलाया अपना देखो धीरे धीरे 

चली थी दुनिया उजाले में  साथ अपने 
छोड गये अपने भी मेरा साथ अंधेरे में धीरे धीरे
 
"अलोक" लिख रहा हैं फलसफा मोहब्बत  का 
खतम हो चली हैं कलम से स्याही धीरे धीरे #धीरे धीरे

Ajay Dhiman

धीरे धीरे

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KK Mishra

धीरे धीरे

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 धीरे धीरे

KK Mishra

धीरे धीरे

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 धीरे धीरे
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