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gudiya

#love_shayari nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प

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White वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती पत्थर 
कोई ना छायादार 
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
 नत नयन ,प्रिय-  कर्म -रत मन,
 गुरु हथोड़ा हाथ ,
करती बार-बार प्रहार ;- 
सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार ।

चढ़ रही थी धूप;
 गर्मियों के दिन 
दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू 

रूई - ज्यों जलती हुई भू
गर्द   चिनगी छा गई,
 प्राय: हुई दुपहर :- 
वह तोड़ती पत्थर !
देखे देखा मुझे तो एक बार 
उस भवन की ओर देखा,  छिन्नतार;
 देखकर कोई नहीं,
 देखा मुझे इस दृष्टि से 
जो मार खा गई रोई नहीं,
 सजा सहज सीतार ,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
 एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढोलक माथे से गिरे  सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा -
मैं तोड़ती पत्थर 
                'मैं तोड़ती पत्थर।'
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

©gudiya #love_shayari 
#Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish 
वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती प

बेजुबान शायर shivkumar

मन बै-रागी तन #अनुरागी कदम कदम दुश्वारी है जीवन जीना #सहज न समझो बहुत बड़ी फनकारी है औरों जैसे होकर भी हम बा #इज्जत है इस बस्ती में कु

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मन बै-रागी तन अनुरागी कदम कदम दुश्वारी है 
जीवन जीना सहज न समझो बहुत बड़ी फनकारी है 
औरों जैसे होकर भी हम बा इज्जत है इस बस्ती में 
कुछ लोगो का सीधा-पन है कुछ अपनी अय्यारी है...

©बेजुबान शायर shivkumar मन बै-रागी तन #अनुरागी  कदम कदम दुश्वारी है 
जीवन जीना #सहज  न समझो बहुत बड़ी फनकारी है 
औरों जैसे होकर भी हम बा #इज्जत  है इस बस्ती में 
कु

बेजुबान शायर shivkumar

#मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा

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White शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बाली,
     है पसरी चहुँमुख हरियाली।
           गया दशहरा, आया मेला,
               धूप गुनगुना, मोहक बेला।

                     पड़ने लगे तुहिन कण।
                       शरद ऋतु का आगमन।।

             
गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, 
    बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं।
         क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें,
               परत सफेद गगन में बिखरे।
                      
                      रवि रथ पर दक्षिणायन ।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

            
उफनाईं नदियाँ सिमट रही,
      तने से लताएँ लिपट रही।
            धीवर चले ले जलधि में नाव,
                 मन मोहक अब लगता गाँव।

                     निखर उठे हैं तन - मन।
                          शरद ऋतु का आगमन।।

लहराते खेतों में किसान,
     मन ही मन गा रहा है गान।
           धरती सार  सहज बतलाती,
                 धूप छांव जीवन समझाती।
                         
                      नाच रहे मस्त मगन ,
                            शरद ऋतु का आगमन।।

©बेजुबान शायर shivkumar 
#मौसम  Sethi Ji  Bhanu Priya  Kshitija  Sana naaz  puja udeshi  हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।।

गदराई धानों की बा

अदनासा-

विडियो सौजन्य एवं हार्दिक आभार💐🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳https://www.instagram.com/reel/C--Gzwms7Ig/?igsh=d2drMnY5dTZlbDZ1 #हिंदी #भगवान #बुद्ध #विपस्सना #बोध

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Ashish kumar Official

#Photos भाई हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। वह हमारा आदर्श और सबसे अच्छा दोस्त होता है। एक बड़ा या छोटा भाई होना एक आशीर्वाद क

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मेरी मुसीबतों को जो अपना समझ,
हर वक्त आगे आकर अपना सर लेता है,
यार वो कोई और नहीं भाई होता है !
    
i miss you kundan Bhai🫂😔🙏🙏😭😭😭

©Ashish kumar Official #Photos भाई हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है। वह हमारा आदर्श और सबसे अच्छा दोस्त होता है। एक बड़ा या छोटा भाई होना एक आशीर्वाद क

Heer

प्रेम को समझना हर किसी के बस की बात नहीं..... सच्चा प्रेम किसे कहते है ये सिखाने ही तो राधा कृष्ण मनुष्य रूप में धरा पर अवतरित हुए थे। हम म

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Rimpi chaube

#मेरी_प्यारी_भाषा_हिन्दी मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई। मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई। अपनापन का बोध कराती मे

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White 
मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई।
मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई।
अपनापन का बोध कराती मेरी प्यारी भाषा हिंदी,
भावों को भावों में पिरोकर,जो भावपूर्ण है कर पाई।।
निज भाषा उन्नति की द्योतक,अन्य में न जिह्वा रस पाई।
हिंदी सिर्फ भाषा नही,ये मां के आंचल–सी सर पे छाई।।

समस्त जन को हिंदी दिवस की हार्दिक बधाई।

©Rimpi chaube #मेरी_प्यारी_भाषा_हिन्दी 
मां ने जिस भाषा में मुझको,दुनियादारी सिखलाई।
मां को मां ही क्यूं कहते,इस बात की समझी गहराई।
अपनापन का बोध कराती मे

काव्य महारथी

काव्य महारथी राजेश कुमार पाण्डेय "सहज", सिलवासा हिंदी दिवस पर कविता कविताएं प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता

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Ramkishor Azad

#good_night #समझ #सहज #अनमोल #कुदरत #इंसान #शायरी #rsazad #treanding Love Krishna G poonam mumbai color work Anupriya aliza khan मोटि

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White समझ और सहज दो अंधेरी सुरंग हैं जिसे
 हमें पार करना पड़ता हैं,
अगर समझ हैं तो सहज नहीं करते और
 सहज तो समझ नहीं करते हैं!
कुदरत की नजरों में समझ व सहज दोनों
 ही अनमोल अनोखी सत्ता हैं,,
समझ और सहज कुछ ही इंसानों में होती 
हैं और जिनमें हैं वो राज करता है!!
डीयर आर एस आज़ाद...

©Ramkishor Azad #good_night #समझ #सहज #अनमोल #कुदरत #इंसान #शायरी #rsazad #treanding #Love  Krishna G  poonam  mumbai color work  Anupriya  aliza khan  मोटि

N S Yadav GoldMine

#World_Photography_Day {Bolo Ji Radhey Radhey} मैं हर एक वस्तु में हूँ, और उससे परे भी में ही हूँ, मैं ही सभी रिक्त स्थान को भरता हूँ, में

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