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Stories related to पेली संभल (मुरादाबाद)

Amaan Moradabadi

 #मुरादाबाद

Akash Patel

मुरादाबाद हिंसा

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एक भी जमाती छूट गया।

समझो सुरक्षा च्रक टूट गया।।



......Akash Patel मुरादाबाद हिंसा

فیصل مرادابادی

फैसल मुरादाबाद

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तुम्हें मुझसे मिलने की ज़रुरत क्या हैं,
ख़ुद को बदनाम करने की ज़रुरत क्या हैं
मुलाक़ात का वक़्त नही हे तुम पर
तुम्हें घर से निकलने की ज़रुरत क्या हैं
आँचल क्यूं उतारती हो अपने सर से
तुम्हें शर्मिन्दा होने की ज़रुरत क्या हैं
नज़रे उठाने की जेहमत नही तुझमें
फिर नज़रे मिलाने की ज़रूरत क्या हैं,

फैसल मुरादाबाद फैसल मुरादाबाद

فیصل مرادابادی

फैसल मुरादाबाद

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वो मुझसे मेरा एतबार पूछ रहे हैं
एक अल्फ़ाज़ को बार बार पूछ रहे हैं 
थक्क गई हैं ज़बां जवाब देते देते
अब वो मुझसे मेरा हाल पूछ रहे हैं
जो ख़ता हमसे हुई नही हैं फैसल
वो उस ख़ता पर सवाल पूछ रहे हैं


फैसल मुरादाबाद फैसल मुरादाबाद

فیصل مرادابادی

फैसल मुरादाबाद

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मेरे घर में अँधेरा क्यूँ छाया हुवा हैं
आँगन में मेरे सन्नाटा क्यूँ पस्रया हुवा हैं,
क्या नही हैं कोइ जहा में मुफ्लिसो का
ग़रीबों के घर फाका क्यूँ कराया हुवा हैं 


फैसल मुरादाबाद फैसल मुरादाबाद

Jugsing

hii पेली पहली रेल

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Ayush

अरुण मुरादाबाद khushalpur

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Er Sumit

मुरादाबाद रेलवे स्टेशन

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 मुरादाबाद रेलवे स्टेशन

Er.Mahesh

#O हंसा संभल संभल क्यों

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हो हंसा संभल संभल क्यों फुर्र उड़ जाए
मेरे जीवन को क्यों मिट्टी बनाए
मिट्टी बनाए
तेरे रहते मेने देखे नित सपने
क्यों अब तू इन्हे मिट्टी बनाए
हो हंसा संभल संभल क्यों फुर्र उड़ जाए
मेरे जीवन को क्यों मिट्टी बनाए
तेरे ही रहते मेने देखे नित अपने
क्यों तू अब इन्हें सपने बनाए
ओ हंसा संभल संभल 
क्यों उड़ता ही जाए
मेरे इस जीवन को क्यों मिट्टी बनाए
तेरे ही रहते मेने सुख दुःख पाए
अब क्यों तू इन्हे मुझसे भगाए ए ए
ओ हंसा संभल संभल क्यों फुर्र उड़ जाए
तेरे ही रहते मैने पाई उपलब्धि
नित मेने नए नए रिश्ते बनाए
फिर क्यों इन्हे पल में मिटाए
ओ हंसा संभल संभल क्यों
उड़ता तू जाए,उड़ता तू जाए
मेरे इस जीवन को ,क्यों मिट्टी बनाए
ओ हंसा संभल संभल क्यों
उड़ता तू जाए
मेरे इस जीवन की हस्ती मिटाए
मेरे इस जीवन की हस्ती मिटाए

©Er.Mahesh #o हंसा संभल संभल क्यों

जीत की नादान कलम से...

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