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SONALI SEN
काँधे पर बंधे धनुष बाण में, राम मिले सन्तन के प्राण में, राम गगन की ऊचाई में, राम धरा की गहराई में, राम भरत के अश्रु धार में, राम लखन के शक्ती बाण में , सीता के सतित्व में राम, अग्नि परीक्षा मे श्री राम, राम ह्रदय के परिवर्तन मे, राम जगत के आवर्तन में, राम सूर्य की लालिमा में, राम चांदनी चंद्रमा में , शरण राम की भाग्य करे न्यारे, राम बसे है ह्रदय हमारे।। ©SONALI SEN काँधे पर बंधे धनुष बाण में, राम मिले सन्तन के प्राण में, राम गगन की ऊचाई में, राम धरा की गहराई में, राम भरत के अश्रु धार में, राम लखन के शक्
काँधे पर बंधे धनुष बाण में, राम मिले सन्तन के प्राण में, राम गगन की ऊचाई में, राम धरा की गहराई में, राम भरत के अश्रु धार में, राम लखन के शक्
read moreAnupama Jha
शिथिल मौन अब भंगित होगा कलरवों के नाद से पादप दल मुस्काएँगे पुष्पों के,अभिव्यंजित श्रृंगार से, मकरंदों के लिए तितलियों के अभिसार से। (पूरी कविता अनुशीर्षक में) देख आते अरुणिमा को चाँदनी,हो रही आतुर छिटकने को रात से, लगती नाराज़ सी वो किसी बात से, कुछ कह रही धरा आओ सुने प्रात से !
देख आते अरुणिमा को चाँदनी,हो रही आतुर छिटकने को रात से, लगती नाराज़ सी वो किसी बात से, कुछ कह रही धरा आओ सुने प्रात से !
read moreVikas Sharma Shivaaya'
1. गणपतिजी का बीज मंत्र 'गं' है। 2. इनसे युक्त मंत्र- 'ॐ गं गणपतये नमः' 3. षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है - ॐ वक्रतुंडाय हुम् 4. उच्छिष्ट गणपति का मंत्र- - ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा 5. आलस्य, निराशा, कलह, विघ्न दूर करने के लिए विघ्नराज रूप की आराधना का मंत्र - गं क्षिप्रप्रसादनाय नम: 6. विघ्न को दूर करके धन व आत्मबल की प्राप्ति के लिए हेरम्ब गणपति का मंत्र - 'ॐ गं नमः' 7. रोजगार की प्राप्ति व आर्थिक वृद्धि के लिए लक्ष्मी विनायक मंत्र का जप - ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। 8. विवाह में आने वाले दोषों को दूर करने वालों को त्रैलोक्य मोहन गणेश मंत्र- ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 221 से 231 नाम 221 न्यायः न्यायस्वरूप 222 नेता जगतरूप यन्त्र को चलाने वाले 223 समीरणः श्वासरूप से प्राणियों से चेष्टा करवाने वाले 224 सहस्रमूर्धा सहस्र मूर्धा (सिर) वाले 225 विश्वात्मा विश्व के आत्मा 226 सहस्राक्षः सहस्र आँखों या इन्द्रियों वाले 227 सहस्रपात् सहस्र पाद (चरण) वाले 228 आवर्तनः संसार चक्र का आवर्तन करने वाले हैं 229 निवृत्तात्मा संसार बंधन से निवृत्त (छूटे हुए) हैं 230 संवृतः आच्छादन करनेवाली अविद्या से संवृत्त (ढके हुए) हैं 231 संप्रमर्दनः अपने रूद्र और काल रूपों से सबका मर्दन करने वाले हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 1. गणपतिजी का बीज मंत्र 'गं' है। 2. इनसे युक्त मंत्र- 'ॐ गं गणपतये नमः' 3. षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है - ॐ वक्
1. गणपतिजी का बीज मंत्र 'गं' है। 2. इनसे युक्त मंत्र- 'ॐ गं गणपतये नमः' 3. षडाक्षर मंत्र का जप आर्थिक प्रगति व समृद्धि प्रदायक है - ॐ वक्
read moreVikas Sharma Shivaaya'
हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। गणेश जी, शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका एक नाम गणपति भी है। सभी देवताओं में इनकी पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है। श्री गणेश जी विघ्न विनायक हैं। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। भगवान गणेश का स्वरूप अत्यन्त ही मनोहर एवं मंगलदायक है। वे एकदन्त और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं। वे रक्त चन्दन धारण करते हैं तथा उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। वे अपने उपासकों पर शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं। ज्योतिष में इनको केतु का देवता माना जाता है और जो भी संसार के साधन हैं, उनके स्वामी श्री गणेशजी हैं। हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं। गणेश जी का नाम हिन्दू शास्त्रो के अनुसार किसी भी कार्य के लिये पहले पूज्य है। इसलिए इन्हें आदिपूज्य भी कहते है। गणेश कि उपसना करने वाला सम्प्रदाय गाणपतेय कहलाते है। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 301 से 311 नाम 301 युगावर्तः सतयुग आदि युगों का आवर्तन करने वाले हैं 302 नैकमायः अनेकों मायाओं को धारण करने वाले हैं 303 महाशनः कल्पांत में संसार रुपी अशन (भोजन) को ग्रसने वाले 304 अदृश्यः समस्त ज्ञानेन्द्रियों के अविषय हैं 305 व्यक्तरूपः स्थूल रूप से जिनका स्वरुप व्यक्त है 306 सहस्रजित् युद्ध में सहस्रों देवशत्रुओं को जीतने वाले 307 अनन्तजित् अचिन्त्य शक्ति से समस्त भूतों को जीतने वाले 308 इष्टः यज्ञ द्वारा पूजे जाने वाले 309 विशिष्टः अन्तर्यामी 310 शिष्टेष्टः विद्वानों के ईष्ट 311 शिखण्डी शिखण्ड (मयूरपिच्छ) जिनका शिरोभूषण है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। गणेश जी, शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका
हिन्दू धर्म में गणेश जी सर्वोपरि स्थान रखते हैं। गणेश जी, शिवजी और पार्वती के पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है। गणों के स्वामी होने के कारण उनका
read moreUnconditiona L💓ve😉
तुम्हें श्याम पसंद है और मुझे श्याम के प्रेम में डूबी हुई तुम तुम्हें तितली पसंद हैऔर मुझे तितली सी मंडराती हुई तुम तुम्हें पंछी पसंद है और मुझे फूलों पे पंछी चहकती हुई तुम तुम्हें डांस पसंद है और मुझे मोरनी सी थिरकती हुई तुम तुम्हें फूल पसंद है और मुझे फूलों की ख़ुशबू लेती हुई तुम तुम्हें पायल पसंद है और मुझे उन पायलों को बज़ाती हुई तुम तुम्हें चाँद पसंद है और मुझे चाँदनी"निशा"को ताकती हुई तुम [ पूरी पसंद अनुशीर्षक* में ] !!🐦ये प्रेम की पंछी जबतक उड़ता रहेगा,साथ ❤सप्रेम बना रहेगा!!😍 ______________________💕👸💕____________________________
!!🐦ये प्रेम की पंछी जबतक उड़ता रहेगा,साथ ❤सप्रेम बना रहेगा!!😍 ______________________💕👸💕____________________________
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