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Stories related to अनैतिक व्यापार प्रतिबंधक कायदा

Himanshu Prajapati

#diwali_wishes बात करो संस्कार से, कमाओ व्यापार से, आदर करो नमस्कार से, मगर जलाओ प्यार से..! #36gyan #hpstrange नये अच्छे विचार स्वामी विव

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White बात करो संस्कार से,
कमाओ व्यापार से,
आदर करो नमस्कार से, 
मगर
जलाओ प्यार से..!

©Himanshu Prajapati #diwali_wishes बात करो संस्कार से,
कमाओ व्यापार से,
आदर करो नमस्कार से, 
मगर
जलाओ प्यार से..!
#36gyan #hpstrange  नये अच्छे विचार स्वामी विव

Shiv Narayan Saxena

#love_shayari सपनों का व्यापार.

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White कौड़ी  दाम  लगे नहीं, फिर  कैसा इनकार।
 खुली ऑंख होता नहीं, सपनों का व्यापार।।

रहो  कहीं  तुम  प्यार में, मिला करो इकबार।
 सफल निरापद लोक में, सपनों का व्यापार।।

कुसुम  कली  कच्ची अभी, तितली लख मंडराया।
 विकसित कुसुम नहीं कली, भंवरा नहिं निअराय।।

प्रेम जगत में सार है, प्रेम-शक्ति अन् अन्त।
मर्यादित हो  प्रेम  तो,  प्रेम  रुप  भगवन्त।।

©Shiv Narayan Saxena #love_shayari सपनों का व्यापार.

Mahesh Chekhaliya

#Ratan_Tata 3800 करोड़ के मालिक का आखरी संदेश रतन टाटा कहते हैं.... व्यापार हो या व्यवहार उन्हीं लोगों के साथ रखो, जिनकी जान से ज्यादा जुबान

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White 3800 करोड़ के मालिक का 
आखरी संदेश रतन टाटा कहते हैं.... 
व्यापार हो या व्यवहार उन्हीं लोगों के साथ रखो,
 जिनकी जान से ज्यादा जुबान की कीमत हो...!

©Mahesh Chekhaliya #Ratan_Tata 3800 करोड़ के मालिक का आखरी संदेश रतन टाटा कहते हैं.... व्यापार हो या व्यवहार उन्हीं लोगों के साथ रखो, जिनकी जान से ज्यादा जुबान

बेजुबान शायर shivkumar

#Ratan_Tata #ratantata #RIP फिल्मी दुनिया हिंदी फिल्म ।। " मैं सही #फैसले लेने में #विश्वास नहीं करता बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही सा

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White ।। " मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता
 बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही साबित कर देता हूँ ! " ।।



संसार में ऐसे व्यक्तित्व कम करिश्माई जन्म लेते हैं 
अपनी विराट विरासतको शिखर पर ले जाने वाले हैं 

संबंधों को बड़े प्रेम शिद्दत सलाहियत से निभाते है 
व्यापार को परिश्रम ईमानदारी शिखर पे पहुंचाते हैं  

रतन टाटा से रतन संसार में बिरले ही जन्म लेते हैं 
बड़ी खामोशी से वे अपना कर्तव्य निभाया करते है 

और खामोशी से हीअसार संसार से विदा लेते हैं 
सादगी का दिव्य स्वरूप मिलनसार जिनका था रूप 

दानशीलता में अग्रणी ऐसे दिव्य विभूतियां भारती
बिरले ही कभी कभी इस संसार में जन्म लेते हैं

करुणा की मूर्ति संसार में कम जन्म लिया करते हैं 
मानव रूप में करुणा की 

प्रतिमूर्ति विभूती अतुल्य रतन टाटा गए
 व्यापारीगण पारिवारिक जगत में सन्नाटा छोड़ गए 


उमेश चंद्र श्रीवास्तव नवांकुर मौलिक स्वरचित 10/10/2021

©बेजुबान शायर shivkumar #Ratan_Tata #ratantata #RIP 
 फिल्मी दुनिया हिंदी फिल्म


।। " मैं सही #फैसले  लेने में #विश्वास  नहीं करता
 बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही #सा

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार । हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।। इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार । लगकर सीने से कहो

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दोहा :-
तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार ।
हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।।

इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार ।
लगकर सीने से कहो , हुआ हमें भी प्यार ।।

करता हूँ मैं आज कल , छोटा सा व्यापार ।
लेना देना दिल यही , अपना कारोबार ।।

कुछ तो मेरी भी सुनो , अब मेरे दिलदार ।
भर दो झोली आज यह , पड़ा तुम्हारे द्वार ।।

कब तक बैठा मैं रहूँ , बोलो अब सरकार ।
पहनाओ मुझको गले , इन बाँहों का हार ।।

महकी महकी यह फिजा , महकी आज बहार ।
अब तो तेरे नाम से , यह जीवन उजियार ।।

अब तो इतनी हैं सनम , मेरी भी दरकार ।
तेरी बाहों का प्रखर , पड़े गले में हार ।।                 महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :-
तीखे-तीखे नैन से , क्यों करती हो वार ।
हम तो तेरे हो चुके , पहनाओ अब हार ।।

इस जीवन में आप पर , बैठा ये दिल हार ।
लगकर सीने से कहो

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब

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White दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार ।
बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।।
कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार ।
तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।।
हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद ।
गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द ।
हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान ।
हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।।
सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार ।
आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।।
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान ।
ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब

N S Yadav GoldMine

#love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} समाज में जीवन जीने के लिए, परिवार को चलाने के लिए, व्यापार सम्बन्धित कार्य करना परम् आवश्यक है, लेकिन

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
समाज में जीवन जीने के लिए,
परिवार को चलाने के लिए,
व्यापार सम्बन्धित कार्य करना
परम् आवश्यक है, लेकिन धर्म
विरुद्ध बिल्कुल नहीं होना चाहिए,
सदा सुख व शांति बनी रहती है।
N S Yadav GoldMine.

©N S Yadav GoldMine #love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey}
समाज में जीवन जीने के लिए,
परिवार को चलाने के लिए,
व्यापार सम्बन्धित कार्य करना
परम् आवश्यक है, लेकिन

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

#World_Photography_Day ©आजकल जो करते हैँ इश्क़ जिस्म के व्यापार मे,बमुश्किल मिलते है मुखलिस इस फ़िज़िकल बयार मे//१ अब नहीं मिलते मुखलिस यार इश

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,  भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर,

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गीत :-
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।।
आजादी का दिवस मनाऊँ....

सरकारें करती मनमानी , 
पीने का भी छीने पानी ।
कैसे जीते हैं हम निर्धन ,
 कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन , 
आटा दाल न होता ईर्धन ।
जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ , 
आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

शिक्षा भी व्यापार हुई है , 
महँगी सब्जी दाल हुई है
आमद हो गई है आज चव्न्नी, 
कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ...

सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी ,
जीवन की घटनाएं महँगी ।
आती मौत न जीवन को,
फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

ज्यादा हुआ दूध उत्पादन,
बिन पशु के आ जाता आँगन ।
किसको दर्पण आज दिखाऊँ 
दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.....
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-


आजादी का दिवस मनाऊँ ,

 भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।

कर्ज बैंक का सर के ऊपर,

Sarfaraj idrishi

#sad_shayari तुमने बिकना है तो व्यापार भी हो सकता है चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है तू अभी अपने दुशमन को शक की निगाहो से ना देख तेरा कातिल

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White तुम्हारे बिकने का तो व्यापार भी हो सकता है
चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है 
तू अभी अपने दुशमन को शक की निगाहो से ना देख
 तेरा कातिल तो तेरा  कोई यार भी हो सकता।

©Sarfaraj idrishi #sad_shayari तुमने बिकना है तो व्यापार भी हो सकता है

चाहने वाला खरीदार भी हो सकता है तू अभी अपने दुशमन को शक की निगाहो से ना देख तेरा कातिल
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