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नवनीत ठाकुर
White मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं। जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता नहीं। उसकी हंसी में है मेरे होश और बेहोशी का हर लम्हा छुपा, मैं देखूँ उसे, वो हंस दे, तो दिल उसका तोड़ पाता नहीं। उसकी खुशबू में जैसे मय का हर कतरा घुला हो, उसकी रूह से उठता है वो नशा, जो कभी उतर पाता नहीं। ©Navneet Thakur # मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं, जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता न
# मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं, जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता न
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
**दो शब्द** तुम समझ नहीं सकते तकलीफ मेरी ...!! आंखो के सामने पलट गए सारे अपने मेरे ..!! लोग कहते हैं जिंदगी दुबारा नहीं मिलेगी..!! चाहिए भी नहीं ऐसी जिंदगी जिसे जीने के ..!! लिए हर रोज़ तड़पना और गिड़गिड़ाना पड़े..!! ख्वाइस ए जिन्दगी अब यह है की यू ही गुजर जाऊं किसी शाम की तरह कतरा कतरा!! ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर * **दो शब्द** तुम समझ नहीं सकते तकलीफ मेरी ...!! आंखो के सामने पलट गए सारे अपने मेरे ..!! लोग कहते हैं जिंदगी दुबारा नहीं मिलेगी..!! चाहिए
**दो शब्द** तुम समझ नहीं सकते तकलीफ मेरी ...!! आंखो के सामने पलट गए सारे अपने मेरे ..!! लोग कहते हैं जिंदगी दुबारा नहीं मिलेगी..!! चाहिए
read moreParasram Arora
White एक लम्बे अर्से से मैं समुन्दर के तट पर टहलता रहता था पर अचानक एक दिन. समुन्दर ने एक बड़ी लहर. को उठा दिया और उस लहरने मुझे तट से उठा कर समुन्द्र के हवाले कर दिया था मैं शुक्रगुज़ार हू उस लहर का जिसने मुझ जैसे एक तुच्छ कतरे को समुन्द्र मे गिरा कर. मुझे समुन्द्र बना दिया था ©Parasram Arora कतरा या समुन्द्र
कतरा या समुन्द्र
read moreRohan Roy
White जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में छिपा जानवर मिला। हिफाजत मांगती आवाज लगाई, फिर लाखों भीड़ में एक ना दिखा। क्यों बढ़ रहे हैं दरिंदगी के हौसले, या बढ़ रहे सितम समाज में। फिर लिखते क्यों है ऐसी कहानी, जो पढ़ ना सके कल और आज में। लाख बुराइयों को मिटाए, फिर भी ना मिटे बुराई समाज में। जब तक बुराई विचारों से नहीं मिटती, यह बीमारी मिलेगी कल और आज में। जब मिला सहारा इस जीवन का, इस ऋण को चुकाना भी होगा। जैसा खेल रचा है तुमने, इसका परिणाम अवश्य मिलेगा। Author_ _Rohan Roy ©Rohan Roy जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में
जिस्म-जिस्म कतरा-कतरा का, आवाज हमें ना सुनाई देगा। तब कैसे एक बेटी का, तड़पना अब हमें दिखाई देगा। जब रो कर गिरकर जमीन से लिपटी, तब नर में
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