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Riyanka Alok Madeshiya
White चलना है विश्राम नहीं है.... ------------------------------ चलना है विश्राम नहीं है। व्यर्थ में करना आराम नहीं है। अमूल्य समय गंवाने से, बनता कोई काम नहीं है। समय जो एक बार चला जाएगा। वापस वह लौट कर नहीं आएगा। चाहे तुम जितना जोर लगा लो, समय का चक्र तो ना घूम पाएगा। जीवन को ना समझो सुमन-पथ। यह तो है ;बिन पहियों का रथ। खींच कर तुमको ले जाना है, और पार करना है यह अग्निपथ। संकल्प और स्वाभिमान जीवन पथ पर संगी होंगे। तभी तो पूर्ण जीवन के हर एक सपने होंगे। अनवरत हो आगे ही आगे जब तुम बढ़ते जाओगे, तो कांटे भी इस पथ के फूलों से कोमल होंगे। स्वरचित और मौलिक रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya #चलना है विश्राम नहीं है
#चलना है विश्राम नहीं है
read moreShailendra Anand
White रचना,,,,,,17,,,10,,,2024 वार,,,,,, गुरुवार ् समय सुबह ्््पांच बजें। सुबह ्््््निज विचार ्््् ््््््शीर्षक ््््् ््््् ््््कालक्रम में और सकल जगत सार में आप हम खैल खिलौने है,, सब घड़ी के सांस सार तत्व है ््् ््् ््््््समय,,, यात्रा,,,, गतिशील रहती घड़ी विलक्षण। प्रतिभा। प्रयोग ,, क़िया क़ियात्मक तथ्यों पर आधारित है ्् जीवन क़म। से एक सा। हो सके उतना आसान नहीं है,, भविष्य अपना काम शुरू कर देख रहा हूं। मैं आज चेहरे पर मुस्कान लिये अधरो पर मुखमंण्डल से अपनी रूह में , वक्त लगता नहीं है ,,, और चिन्तन में वक्त गुजर गया, वो लफ्जो का नूर सेहरा ताज उतर गया हैं।। आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने में क्या करें, कोई रिश्ता भेद भाव न कहीं हम दिलों सेवा मानव जीवन धर्म अन्त्याक्षरी,,, अपरा विद्या बालकं ज्ञानबोध गुरुकुलंन्यायपीठ ब़म्हकर्म मंत्रधर्म ,,,, बम्हसृष्टि कर्मनिष्ठभाव ब़म्हाण्ड स्वरध्वनि अखण्ड दिव्य चक्षु संवरचनानिर्राकारंओकारं,,, ्् आत्मज्योतिनवपिण्ड धर्मश्रंखला में महान् शिवतत्व शिवअंततत्व में वक्त लगता है।। प्रकृति प्राकृतिक प्रकृति से प्रेम करता निर्जन द्वीप में,,, सौर मंडल उर्जा शक्ति पूंज आत्मिक शक्ति आकर्षण में वक्त के ,रथ सारथी भास्कर रवि उदित कला पूर्ण किरणायभास्कराय नमः द्वितीय भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता प्रदान करता है ।। सृष्टि ब़म्ह कर्ममंत्र यंत्र भाव में स्थित सोच आधार है ,, सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृजन सृष्टि अपरा विद्या मंदिर मनोमय में,,, प्रश्न प्रतिप्रश्न उत्तर है खुद से खूद में सवाल छुपा है ।। हम दिलों से असामान्य रूप से जीवन में जो कुछ भी हो रहा है,, वह अदभुत कल्पना में जींव जीवाश्म प्राणी में प्राण वायु नभमण्डलं से,, पंचतत्व विधान संहिता दर्शन में नर नारायण नर मादा में विचरण करते सकल जगत में जीव जीवाणु चराचर जगत सृष्टि विज्ञान है ।। जो धरती पर साकार लोक में भ़मण गति प्रगति अवगति सदगति स्वयंभू मणिधर धरा रसातलं नागलोक जो भी है।। यह कथन सच्चाई ज्ञानरस लोकसृजनमें यथायोग्य संस्कार में ज्ञानयज्ञं में ,, सृजन सृजित ईश्वर सत्य क़म चरण स्पर्श अनुसार पल घड़ी विलक्षण काल महाकाल गति प्रगति है ,।। जीवन सार सार्थक निर्णय स्वप्रयास ही सुन्दर सब कुछ तुम नर मुनि संन्यासी संत संन्यास आश्रम में जीवन जरूरी है जीवन का कमंयोग अन्तिम यात्रा अमर प्रेम कहलाता है।। ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 17,,,,,,10,,,,2024 ©Shailendra Anand #sunset_time Kalki समय यात्रा गतिशील रहती है,, और हमारा परिचय समय गति है और मनुज देह है प्राण वायु है संभल जा मगर ख्याल आया है तेरा मेरे लि
#sunset_time Kalki समय यात्रा गतिशील रहती है,, और हमारा परिचय समय गति है और मनुज देह है प्राण वायु है संभल जा मगर ख्याल आया है तेरा मेरे लि
read moreF M POETRY
White छिप भी जाता है नज़र आता है.. चाँद है हुश्न पे इतराता है.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY #चाँद है हुश्न पे इतराता है....
#चाँद है हुश्न पे इतराता है....
read moreGhumnam Gautam
गीतांश― प्राण नेहिल दस्तकों ने तज दिए पर पट तुम्हारा मेरे प्रियवर खुल न पाया ©Ghumnam Gautam #दस्तक #नेहिल #प्राण #ghumnamgautam
#दस्तक #नेहिल #प्राण #ghumnamgautam
read moreRameshkumar Mehra Mehra
White आनंद बहां नही................ जहां धन मिलता है..! आनंद बहां है...!! जहां मन मिलते है...!!! और परमानंद बहां है....!!!! जहां तन मिलते है... ©Rameshkumar Mehra Mehra # आनंद बहां नही,जहां धन मिलते है,आनंद बहां है,जहां मन मिलते है,और परमानन्द बहां है,जहां तन मिलते है....
# आनंद बहां नही,जहां धन मिलते है,आनंद बहां है,जहां मन मिलते है,और परमानन्द बहां है,जहां तन मिलते है....
read moreVic@tory
White जुदा होकर भी उसका इंतज़ार है तो है उस ज़ालिम से आज भी प्यार है तो है ख़बर है मुझे उसकी नज़र अंदाज़ी की मगर उसे देखने को दिल बेकरार है तो है वो करते रहे गैरो सा सलूक हम से मगर वो मेरे अपनो में शुमार है तो है नफरत की दीवार, चाहे खड़ी कर दें तो नफरत मगर फिर भी उस पे जां निसार है तो हे बेशक़ मोहब्बत आज भी उसी से है धड़कनें आज भी उसकी तलबगार है तो है… ©Vic@tory #शुमार है तो है
#शुमार है तो है
read moreShilpa Yadav
White मिट रही विभावरी, प्राण निकलता जा रहा है खेद औ विपदा कैसी,विहान उगता आ रहा जिजीविषा जगी, कर रही श्रृंगार प्रकृति का हस्तलकीरें बनी है जैसे दे रही संदेश सुख का सुखद क्षण आएगा, कर्ण में अलि गीत गा रहा ©Shilpa Yadav #Sad_Status #Shilpayadav#shilpayadavpoetry #nojotohindi#nojotoenglish#nojotohindiquotes ANOOP PANDEY shivom upadhyay Vishalkumar "Vishal" Pa
#Sad_Status #shilpayadav#shilpayadavpoetry #nojotohindi#nojotoenglish#nojotohindiquotes ANOOP PANDEY shivom upadhyay Vishalkumar "Vishal" Pa
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता
दोहा :- आज पढ़ाकर बेटियाँ , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से देख प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण । हरता रहता नित्य है , बहू बहन के प्राण ।। मूक बधिर हम सब बने , देख रहे हैं कृत्य । गली-गली शैतान वह , हमें दिखाता नृत्य ।। सरल यही अब राह है , जला सभी लो मोम । याद भला कब तक रहे , तुम्हें नाथ का ओम ।। याद किसी को है नही , सत्य सनातन ओम । बुझे पड़े है कुंड सब , कही न होता होम ।। जला-जला के मोम को , देते रहो प्रमाण । हम निर्बल असहाय हैं , हर लो मेरे प्राण ।। पढ़ो पढ़ाओ बेटियाँ , बनकर सब इंसान । निर्मम हत्या के लिए , खड़े गली शैतान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
दोहा :- बेटी पढ़ाकर भी नही , बचा न पाये प्राण । पुनः दिया है दुष्ट ने , फिर से आज प्रमाण ।। गिद्ध बना इंसान है , देता नित्य प्रमाण ।
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