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Parasram Arora
White दिखने को तो वो एक आदमी की तरह ही नज़र आता हैँ लेकिन किसी काम का नहीं हैँ वो आदमी ज़ब उसमे आदमियत का अंश मात भी तत्व न हो ©Parasram Arora आदमी और आदमियत t😂
आदमी और आदमियत t😂
read moreHimanshu Prajapati
जो आदमी हंसताहुआ था ना😎 #hpstrange #hpstrange #36gyan love # नये अच्छे विचार सुविचार इन हिंदी
read moremehar
White तुझे एक दिन मुझ से दूर होने का मलाल होगा की कोई था जो मुझे, मुझ से बेहतर जनता था। सब कहते थे कि बहुत शांत हु मैं। की कोई था ,जो मेरे अंदर के शोर को जनता था। यू तो सब का साथ था ,मतलब के लिए की कोई था जो, मुझे बेमतलब चाहता था। ©mehar कोई था
कोई था
read moreDinesh Sharma Jind Haryana
White आदमी कभी खूबसूरत नहीं होता या अमीर होता है या गरीब होता है इसलिए खूब कमाओ ©Dinesh Sharma Jind Haryana #आदमी खूबसूरत नहीं
#आदमी खूबसूरत नहीं
read moreHarpinder Kaur
White आदमी का स्वभाव है आदमी को महज़ खिलौना समझना जिसे वो इस्तेमाल करता है महज़ दिल बहलाने को दिल बहला लेने के बाद उसका खिलौना महज़ रह जाता है एक आधा, टूटा, बिखरा, सा खिलौना फिर उस खिलौने में दिलचस्पी खत्म होने पर आदमी ढूँढता है फिर एक नया खिलौना पुन: उसे टूटा बिखरा और अधूरा छोड़ने के लिए कितना छिछलापन है आदमी का आदमी होना वो पूर्णतः इंसान क्यों नहीं होता क्यों महज़ रहता है वो आदमी...... ©Harpinder Kaur # आदमी.... इंसान क्यों नहीं होता?
# आदमी.... इंसान क्यों नहीं होता?
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी ऊँची उड़ानों का दम्भ भर बैठे घुटन उतनी भारी है समसामयिक जीवन पीछे छूटा दिलो पर बोझ पड़ता भारी है घुमक्कड़ पन और सुख सुविधा को विकास मान बैठे अंतर्विरोध जीवन का भारी है भले कनेक्टीविटी जुड़ी हो दुनियाँ भर से जरूरत के कितने संग साथी है उधेड़ दिया जीवन आम आदमी का कद बौना लिये घूमता है विषमता और गैर बराबरी जोरो पर है अस्तिव की लड़ाई लिये, मारा मार मानव फिरता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #engineers_day उधेड़ दिया जीवन आम आदमी का #nojotohindi
#engineers_day उधेड़ दिया जीवन आम आदमी का #nojotohindi
read moreJEETENDRA Sharma
White वो भी जिद पर अड़ी थी मैं भी जिद पर अड़ा था, बात कौन करेगा पहले यही सवाल सबसे बड़ा था। ©JEETENDRA Sharma बडा था
बडा था
read moreहिमांशु Kulshreshtha
नसीब की चारदीवारी में कैद, अपने हिस्से का जीवन जी लेता है आदमी, कभी अपने तो कभी अपनों के दुख में रो रो कर पलकें भिगो लेता है आदमी …… गुनगुनाते सपनों की सुनहरी दुनिया में डूबते उतरते , अपने अतीत की ओर झांकता रहता है आदमी, दिखाता रहे भले ही मजबूत ख़ुद को पल- पल मर के भी, जीता रहता है आदमी…… ©हिमांशु Kulshreshtha आदमी...
आदमी...
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