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usFAUJI
एक बात बोलूं दोस्तों अगर परिवार में प्रेम से आपकी बात को कोई ना समझे तों गुस्सा या बुरा बोलने से कोई फ़ायदा नहीं होंगा। बल्कि रिश्तों में दूरियां बढ़ेगी। और मान-सम्मान घटेगा। इसलिए जितना संभव हों सकें अपनों से प्रेम से बोलों और उनका मान-सम्मान रखों। क्योंकि परिवार, परिवार ही होता हैं। जों जन्म और मृत्यु तक रहता है। जय हिंद 🇮🇳🇮🇳 ©usFAUJI परिवार, परिवार ही होता हैं #परिवार #Family #Relationships #Talking #usfauji #motivate
Parasram Arora
White पहले थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार का भरन्न पोषणआराम हो जाता था लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार मुश्किल से चल पाता है ©Parasram Arora घर परिवार
घर परिवार
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
White अगर खुद के शौक से ज्यादा परिवार की खुशी की चिंता करते हो.... तो जिंदगी को समझ चुके हो तुम... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena #good_night परिवार
#good_night परिवार
read moreAkriti Tiwari
White क्या होता है अपनों के न होने का दर्द? अपनों के न होने का दर्द बयां करती हूं, जिंदगी में एक अच्छा दोस्त ना होने के कारण दर्द बयां करती हूं l अपनी जिंदगी पूरे मौज में जी रही थी l कोई रोकने टोकने वाला नहीं था l इसलिए दर्द और भटकती जा रही थी l सुबह-सुबह उठकर जल्दी से जा रही थी, अचानक आवाज आई, पीछे अपना जैकेट तो ,ले लो मुझे लगा मेरी मां बोल रही हैl किचन से जिसके हाथों में सन आता होगा l क्या पता था? पीछे देखेगी तो वहां सिर्फ सन्नाटा होगाl जैन की आदत मेरी देर से रोज देर से जगती हूंl सुबह में जागते थे, पापा मेरे उन्हीं के यादों में सोती हूं। एक दिन आवाज आई अरे जाग जा कितनी देर सोएगी तुम्हें वक्त का पता नहीं लगा यह आवाज पापा जी का ही होगा मुझे क्या पता था? आंखें खोलकर देखूंगी तो खुला सिर्फ दरवाजा होगा। प्रतिदिन सुबह-सुबह पूजा करके,घंटी बजती थी। दादी मेरी, एक दिन सुन घंटी की आवाज को खुशी से झूम उठी बाहरआकर देखी मंदिर सूना पड़ा था। जो घंटी की आवाज सुनी थी, वह तो स्कूल वाला था । किस भूलूं किस याद करूं, यही सोच लिए तड़प रही हूं। कभी मन तो कभी, पापा व परिजनों को याद किए जा रहे हूं। किसी से नहीं कर सकती अपना दर्द बयां, इसलिए सभी दर्द छुपा कर चली जा रही हूं। चली जा रही हूं, चली जा रही हूं। ©Akriti Tiwari परिवार पर कविता । कविता कोश
परिवार पर कविता । कविता कोश
read morepramod malakar
हिन्दू विरोधियों को पूरा निगल लो @@@@@@@@@@@@ अगर फुर्सत मिले तुम्हें , तो खुद के लिए सोच कर देखना। जिहादियों को दिल से बाहर निकाल कर फेंकना।। मेरा दिल नफ़रती नहीं , पर, मुसलमानो के नौटंकियों ने बना दिया है। हिन्दुओं के दिलों में आग कट्टर पंथियों ने लगा दिया है।। भाईचारे का जन्मदाता है सनातन, हमसे ज्ञान लेकर हमें हीं समझा दिया है। धरती कि संस्कृति को बर्बाद कर दुनिया को रुला दिया है।। ना शर्म ना हया खून से लथपथ इतिहास है इनका, गैरों को छोड़ो अपनों के खून से भी नहा लिया है। ना नारी का सम्मान ना दुनिया का ज्ञान, ना जाने खुदा ने इसे क्यों पैदा किया है।। वक्त का तकाजा है हिन्दुओं खुद को बदल लो, एक हांथ में फरसा दुसरे में सब्बल लो। अगर फुर्सत मिले तुम्हें, तो हिन्दू विरोधियों को पूरा निगल लो।। ######################### प्रमोद मालाकार की कलम से 22.08.24 ©pramod malakar #हिंदू विरोधियों को पूरा निगल लो
हिंदू विरोधियों को पूरा निगल लो
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