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NEERAJ SIINGH
देखों आजकल बहुत सारे लोग कृष्ण बन के घूम रहे हैं और उनका केवल एक मात्र धेय्य यह रहता हैं कि वो बस किसी भी स्त्री को फंसा लें , ऐसी शैतानी आत्मा से बच के रहिये मार्केट में बहुत तरह की वैरायटी की आत्मायें मिलती हैं जैसे दुष्ट आत्मा , असन्तुष्ट आत्मा , ठरकी आत्मा , दूसरे को देखकर ज्वलनशील आत्मा, भूखी आत्मा , इंस्टाग्राम टाइप नंगी आत्मा , ये अलग अलग प्रकार की आत्मा हैं और ये सभी आत्मा अपने आपको ईश्वर का नाम ले लेकर दूसरी मासूम आत्मा को ठगती रहती हैं , तो ऐसी खतरनाक आत्मा से दूर रहें , समय पर पहचाने , लालची आत्मा को और मस्त जीयें और जीने दे के सिद्धांत पर चलें , मैं भी एक लेख़क आत्मा हूँ जो सुनता देखता हूँ वो लिख देता हूं पढ़ने के बाद अगर कुछ समझ आ जाये तो , कमेंट्स में लिख दिया करो चुप चाप वाली उदास आत्मा मुझे पसंद नही , जो हंसे खिलखिलाए , मस्त रहे वो आत्मा एक टुरु लोब हैं मेरे लिए #neerajwrites टुरु लोब ❤️
#neerajwrites टुरु लोब ❤️
read moreoyeguptaji
Nojoto जैसा इश्क़ मछली को पानी से, और सांस को जिंदगानी से, वैसे ही इश्क हमें हो गया है नोजोटो से, और वो भी इतनी आसानी से। ©oyeguptaji ओ मां गू टुरू लोब❤ #oyeguptaji #WForWriters PREETI AGGARWAL Bhawna Mishra Saad Ahmad ( سعد احمد ) Internet Jockey सत्यप्रेम Rekha💕Sharma
ओ मां गू टुरू लोब❤ #oyeguptaji #WForWriters PREETI AGGARWAL Bhawna Mishra Saad Ahmad ( سعد احمد ) Internet Jockey सत्यप्रेम Rekha💕Sharma
read more~anshul
मुझसे कोई गुनाह करवाएगा,,, ये तेरा निचला होंठ मरवाएगा.... @nshul मुझसे कोई गुनाह करवाएगा,,, ये तेरा निचला होंठ मरवाएगा........ saheli shayer 🙂 indu singh Shipra Verma Ishita Singh Kaju Gautam
मुझसे कोई गुनाह करवाएगा,,, ये तेरा निचला होंठ मरवाएगा........ saheli shayer 🙂 indu singh Shipra Verma Ishita Singh Kaju Gautam
read moreOMG INDIA WORLD
ज़ुल्फ़े खोलकर उसने निचला होंठ दांतों में दबाए रखा है, हम ही जानते है हमने कैसे खुदको बहकने से बचाए रखा हम तो मुद्दतों से गए नहीं मयख़ाने फिर ये मदहोशी कैसी, अच्छा! तो आपने आँखो से हमें ज़ाम पिलाए रखा है। ©OMG INDIA WORLD ज़ुल्फ़े खोलकर उसने निचला होंठ दांतों में दबाए रखा है, हम ही जानते है हमने कैसे खुदको बहकने से बचाए रखा हम तो मुद्दतों से गए नहीं मयख़ाने फ
ज़ुल्फ़े खोलकर उसने निचला होंठ दांतों में दबाए रखा है, हम ही जानते है हमने कैसे खुदको बहकने से बचाए रखा हम तो मुद्दतों से गए नहीं मयख़ाने फ
read moreUnconditiona L💓ve😉
........... अब बोलो 🤣🤣🤣.... कैसा हैं बाबू भैया हमार देहात के बोली 😚😚 Dedicating a #testimonial to Magic Happens✨ओं रे मेरो गुलाबों बच्चा ❤☺
........... अब बोलो 🤣🤣🤣.... कैसा हैं बाबू भैया हमार देहात के बोली 😚😚 Dedicating a #testimonial to Magic Happens✨ओं रे मेरो गुलाबों बच्चा ❤☺
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गगरी हाथों में लिए , पनघट रही निहार । प्यासे होगें घर पिया , करती रही विचार ।। करती रही विचार , नीर है मैला कुचला । दूजा नही उपाय , जल का स्तर है निचला ।। यही आज है व्याधि , शहर हो या हो नगरी । लिए हाथ में नार , देख लो खाली गगरी ।। पायल झुमका औ कड़ा , पहने दिखती नार । अलकें कुछ लटकी हुई , लगता करे विचार ।। लगता करे विचार , नीर बिन खाली गगरी । जाए वह किस घाट , घाट तो इक ही नगरी ।। सूख-सूख कर आज , गला है पिय का घायल । कैसे करूँ निहाल , बजाकर मैं अब पायल ।। ११/०८/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गगरी हाथों में लिए , पनघट रही निहार । प्यासे होगें घर पिया , करती रही विचार ।। करती रही विचार , नीर है मैला कुचला । दूजा नही उपाय , जल का स्
गगरी हाथों में लिए , पनघट रही निहार । प्यासे होगें घर पिया , करती रही विचार ।। करती रही विचार , नीर है मैला कुचला । दूजा नही उपाय , जल का स्
read moreShree
सबकी चाहतें ही उभरीं तो राहतें कौन देगा, जो उड़ने लगेंगे सब घोंसलें बुनेगा कहो कौन? अनुशीर्षक ---------मन--------- सबकी चाहतें ही उभरीं तो राहतें कौन देगा, जो उड़ने लगेंगे सब घोंसलें बुनेगा कहो कौन? मकान को जो ना रंग सके कितना मजबू
---------मन--------- सबकी चाहतें ही उभरीं तो राहतें कौन देगा, जो उड़ने लगेंगे सब घोंसलें बुनेगा कहो कौन? मकान को जो ना रंग सके कितना मजबू
read moreAbhishek 'रैबारि' Gairola
लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है। कभी कभी ये हमें सावधान भी किए जाती हैं कि इसे किसी ठंडी जगह रखें,ठंडी और अंधेरी जगह। शायद यह भी हमारी तरह है, हमारी वर्तमान आपे जैसी, केवल ठंडे अंधेरे में ही पनप पाती है। और गर्मी के अभाव में, अधोमुख पड़ी, बहुत ही निचला महसूस करते हुए, खिन्न, दबा दबा सा रहना चाहती हैं। हमारे मूकदर्शन के मानिंद इसका मुख भी मोहरबंद है, इसे तोड़कर ही किसी रक्त धमनी की फुहार सा रस रिसाव होगा। यह कृत्रिम माधुर्य से भरा रस जिव्हा और दाँतों में एक खटास छोड़ जाता है। बड़ी अजीब बात है न? यह वैसा ही है, हमारे मीठे सपनों सा, स्वप्न, जो उत्कर्ष से वंछित रह गए थे, और अब जिन्होंने हमारे चित्त के तालू पर एक खटास छोड़ दी हैं। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है। कभी कभी ये हमें सावधान
लबालब फल के रस के ऊपरलपेट कर गत्ते की एक जिल्द चढ़ाई गई है जिसे कोने में दिनों, हफ़्तों, महीनों यूँ ही रखा रहता है। कभी कभी ये हमें सावधान
read moreUnconditiona L💓ve😉
मईया... ओं मईया!!! कहाँ छुपा हूँ ढूंढो मुझे... मईया अपने लल्ला को ढूंढो ओं मईया.. मईया मोरी मईया-ओं-मईया मोरी,कहाँ हूँ बता ना भूखा हूँ, प्यासा हूँ, तनिक माखन तो खिलाना तू है भरती प्रेम की झोली मोरी मईया भोली तोरे तितली के पीछे भागूँ, गुड्डे को मैं छुपा लूँ इन कृष्ण दीवानियों को छेड़ के भागूं , तू आना ओं मईया...तू अपनी आँचल में छुपा ना..!! तू बना दे मेरी ख़ातिर सुगन्धित पुष्प माला.. मेरी सारी पीड़ा हर ले.. और खोल दे मेरी खुशियों का ताला.. ओं मईया मोरी प्यारी मईया बहुत बहुत सारा प्रेम आपको प्रिय मईया ❤(◔‿◔)💕 🌺 ईश्वर प्रेम और हम 🦋🧸 प्रिय मईया, पता नहीं आज मेरी आँखें क्यों छलक आई.…बहुत ठण्ड बढ़ गयी है मईया.….. मैं ढूंढ रहा था तुम्हारी हा
🌺 ईश्वर प्रेम और हम 🦋🧸 प्रिय मईया, पता नहीं आज मेरी आँखें क्यों छलक आई.…बहुत ठण्ड बढ़ गयी है मईया.….. मैं ढूंढ रहा था तुम्हारी हा
read moreAprasil mishra
"उदारवाद बनाम रुढ़िवाद : एक जीवट समावेशी संस्कृति के सन्दर्भ में " 1.सांस्कृतिक अंतर्परिवर्तन- संस्कृति के बाहर किसी अन्य में संस्कृति में होने वाले बदलाव. 2.सांस्कृतिक अंत:परिवर्तन- किसी संस्कृति के भीतर हो
1.सांस्कृतिक अंतर्परिवर्तन- संस्कृति के बाहर किसी अन्य में संस्कृति में होने वाले बदलाव. 2.सांस्कृतिक अंत:परिवर्तन- किसी संस्कृति के भीतर हो
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