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Divyanshu Pathak
मैं भारतीय जीवनशैली के वैभवशाली इतिहास में यहाँ की मिट्टी और पर्यावरण का विशेष योगदान मानता हूँ।आज हम प्रकृति के सामीप्य का ढोंग तो करते हैं लेकिन हमें ये पता नहीं होता कि ऋतुओं के अनुरूप पथ्य और अपथ्य क्या है?पहला सुख निरोगी काया तो सब जानते हैं। फिर भी भक्ष्य और अभक्ष्य का भेद भुलाकर "स्वाद" के ग़ुलाम हो नए रोगों को निमंत्रण देते हैं। घी- संक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाएं आपको। माननीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उनको सादर नमन। "भादवे का घी" भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है। जिसे हम घास कहते हैं। वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ #औषधियाँ हैं। इनमें धामन जो कि गायों को
"भादवे का घी" भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है। जिसे हम घास कहते हैं। वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ #औषधियाँ हैं। इनमें धामन जो कि गायों को
read moreRupam sinha
खूबसूरत इस जहां की परी हो तुम, मेरे सपनों में आती हैं जो वही रानी हो तुम, कलियाँ भी खिलने से पहले खूबसूरती तुमसे उधार माँगे ऐसे सुन्दरता की मल्लिका हो तुम ©Rupam sinha # प्राकृतिक
# प्राकृतिक
read moreCK JOHNY
वो प्राकृतिक था प्रकृति के नियम मानने वाला था। बदलना प्रकृति का नियम है सो वो भी बदल गया। वो प्राकृतिक था और मैं प्रकृति से जुड़ा था। अब भी धरा सा अपने कक्ष में घूमता हूँ ढूँढता हूँ चारों ओर उसे नित उदय होता हूँ अस्त होता हूँ सदियों से यही अटल स्वभाव है मेरा किसी के बदलने से कहाँ ये बदलता था। वो प्राकृतिक था और मैं प्रकृति से जुड़ा था। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ प्राकृतिक
प्राकृतिक
read moreMarutishankar Udasi
देख ले हर्ष ज़िन्दगी का क्या कहर है प्राकृतिक का ©Marutishankar Udasi प्राकृतिक
प्राकृतिक
read moreshivaay shivaay
★★★प्रकृति के तीन कड़वे नियम जो सत्य है! ★1- प्रकृति का पहला नियम:- यदि खेत में बीज न डालें जाएं तो कुदरत उसे घास-फूस से भर देती हैं...!! ठीक उसी तरह से दिमाग में सकारात्मक विचार न भरे जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेती है.! ★2- प्रकृति का दूसरा नियम:- ●जिसके पास जो होता है...वह वही बांटता है....!! ●सुखी सुख बांटता है...दुःखी दुःख बांटता है.. ●ज्ञानी ज्ञान बांटता है..भ्रमित भ्रम बांटता है.. ●भयभीत भय बांटता हैं......!! ★3- प्रकृति का तिसरा नियम:- आपको जीवन से जो कुछ भी मिलें उसे पचाना सीखो, क्योंकि भोजन न पचने पर रोग बढते है...! ●पैसा न पचने पर दिखावा बढता है...! ●बात न पचने पर चुगली बढती है...! ●प्रशंसा न पचने पर अंहकार बढता है....! ●निंदा न पचने पर दुश्मनी बढती है...! ●राज न पचने पर खतरा बढता है...! दुःख न पचने पर निराशा बढती है...! ●और सुख न पचने पर पाप बढता है...! !!!! मंगलमस्तु !!!! ©shivaay shivaay #प्राकृतिक