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Vikas Omer
देखे जमाने के गमे सितम कई अब मन भर गया है इन सबसे और तुम कहते हो चलो कुछ अच्छा करके देखो। ©Vikas Omer # जीवन संग्राम
# जीवन संग्राम
read moreDr.asha Singh sikarwar
मुक्ति Video kavita #kavita poetry #Poetry #bestpoetry मुक्ति #मुक्ति
read more@ShubhRish Status
कविता =नाकारा लेखक= शुभम "गीता मां "वैष्णव एक नेता जी को देख लगा कि, वे क्रोध का घूंट पी गए सारा, पर उनके मुंह से अपने साथी के लिए, शब्द निकला निकम्मा और नाकारा, नेताजी ने नो बॉल पर छक्का मारा, अपने साथी को बागी बताकर फटकारा, सोशल मीडिया ने इस घटना पर खूब लगाया मिर्च मसाला, आगे देखिए अब कौन-कौन नेता बदलेगा अपना पाला, आज सियासत ने अपना रंग बदल डाला, नेता बने सफेदपोश लोगों ने ही, जनता के अरमानों पर डाका डाला, #Politics सियासी संग्राम
#Politics सियासी संग्राम
read moreDivya Thakur
हर आत्मा मुक्ति की इच्छुक होती है यदि आप किसी से उनके अच्छे व्यवहार, सहृदयता की वजह से आकर्षित होते हैं तो वह इसलिए क्योंकि आपको वह आत्मा मुक्ति की और अग्रसित दिखती है जो आपका भी लक्ष्य है ©Divya Thakur #मुक्ति
Sneha MS
जो कृष्ण का जाप करते हैं, उसे कृष्ण स्नेह मिलता है। जाप कृष्णा की करो, पाप अपने धू लो। जन्म मृत्यु से मुक्ति पा लो ।। ©Sneha MS #मुक्ति
Manisha Maru
मुक्ति देखो ना आह!कितना सुंदर हैं ये जहां! लेकिन कब??? किसने???कहां??? हर लम्हें में इस बात को महसूस हैं किया! क्योंकि...... तोड़ ही ना पाते हम अंतर्मन की सिसकती बेड़ीयां! घुटन के अंदर कैसे? मिलेगी हमे सुकून की वो खिलखिलाती सी घड़ियां। सबने..... अपने हृदय की चौखट को एक जंजीर से हैं बांध दिया। उससे निकले कैसे? डर की भटकती गलियों में खुद ही को कैद जो कर लिया। उड़ान..... भरना चाहें सब लेकिन भावनाओं के संग हर कोई बह गया। मुक्त होगे हम कैसे? इंसान जब खुद में,खुदा में,लोगों में खामियां ही ढूंढता रह गया। मनीषा मारू नेपाल ©Manisha Maru #मुक्ति
poonam singh
बड़ी मुद्दत से इन्तज़ार है खुद से खुद को मिलाने का, वो वक़्त कब आएगा। जब झूठ का आडम्बर खत्म हो जाए, और मैं खुद ही खुद में समां जाऊं। ©poonam singh मुक्ति......
मुक्ति......
read moreVijay Kumar उपनाम-"साखी"
White "मुक्ति" इस जीवन की सर्वोत्तम युक्ति मिल जाये,सब कामों से मुक्ति परन्तु कर्महीन होने की उक्ति इससे मिलती न सुख अनुभूति सच मे सच की तो यह सूक्ति कर्म करने से मिलती है,मुक्ति जिसने समुचित कर्म किया वो भी बिना किसी आसक्ति कमल सदृश जिसकी है,विरक्ति उसकी जग मे,स्वतंत्र अभिव्यक्ति जिसने निःस्वार्थ कर्म की भक्ति सच मे उसे ही मिलती है,मुक्ति दिल से विजय विजय कुमार पाराशर-"साखी" ©Vijay Kumar उपनाम-"साखी" #मुक्ति