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बेजुबान शायर shivkumar
White दिवाली 👇 . इस दिवाली मे भी मै घर नहीं जा पाए इस बार भी मैने नौकरी की चाहत ने फिर घर से दूर रखा है..! . मेरे मां पापा आस लगाए थे कि बेटा अब आयेगा पर बेटे को वो भविष्य की चिंता ने मजबूर कर रखा है..! . इस बार दिवाली वो नहीं कमाएगा तो क्या हुआ पर मेरे घर की हालत तो ठीक रहेगी सोचा , . मैने बस यही सोचकर एक बेटे ने खुद को ही अपने घर से दूर रखा है..! ©बेजुबान शायर shivkumar दिवाली 👇 . इस दिवाली मे भी मै घर नहीं जा पाए इस बार भी मैने #नौकरी की चाहत ने फिर घर से दूर रखा है..! . मेरे मां पापा आस लगाए थे कि बेटा अ
दिवाली 👇 . इस दिवाली मे भी मै घर नहीं जा पाए इस बार भी मैने #नौकरी की चाहत ने फिर घर से दूर रखा है..! . मेरे मां पापा आस लगाए थे कि बेटा अ
read moreबेजुबान शायर shivkumar
मुझे मेरी जिंदगी का हर तोहफा वो कुबूल है मैने अपने उन ख्वाहिशों का नाम बताना ही छोड़ दिया । जो मेरे इस दिल के करीब वो अजीज हैं। मैंने तो अपने ही उन गैरों पे हक जताना भी छोड़ दिया ।। वो लोग मेरा दर्द को समझ ही नहीं सकते मैने उन्हें , अपने ही जख्म दिखाना ही छोड़ दिया । मेरे दिल पे जो गुजरती है वो हकीकत है मेरी । मैने दिखावे के लिए, उसने तो मुस्कुराना ही छोड़ दिया ।। जो मेरी जरुरत को वो महसूस ही नहीं करते थे मैने तो उनका साथ, निभाना ही छोड़ दिया । जो मेरे अपने है वो मिलेंगे जरूर मुझे मैने बेवजह ही , उन बंदिशें लगाना ही छोड़ दिया ।। ©बेजुबान शायर shivkumar मुझे मेरी #जिंदगी का हर #तोहफा वो कुबूल है मैने अपने उन #ख्वाहिशों का नाम बताना ही छोड़ दिया । जो मेरे इस #दिल के करीब वो अजीज हैं। मैं
मुझे मेरी #जिंदगी का हर #तोहफा वो कुबूल है मैने अपने उन #ख्वाहिशों का नाम बताना ही छोड़ दिया । जो मेरे इस #दिल के करीब वो अजीज हैं। मैं
read moreJayesh gulati
सोलह शृंगार । (Read in caption) ©Jayesh gulati *सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
*सोलह शृंगार* मैं नासमझ, कहां समझता था, किसी शृंगार को । वो जिसने किए मेरे लिए सोलह शृंगार ।। पहले पहना माथे उन्होंने, माँग–टिका । जैसे बा
read moreSrinivas
हवाओं की रुख़ से परेशान मत हो, वो तुम्हारी मंज़िल को नहीं, तुम्हारे इरादों को परखने आई हैं। ©Srinivas हवाओं की रुख़ से परेशान मत हो, वो तुम्हारी मंज़िल को नहीं, तुम्हारे इरादों को परखने आई हैं।
हवाओं की रुख़ से परेशान मत हो, वो तुम्हारी मंज़िल को नहीं, तुम्हारे इरादों को परखने आई हैं।
read moreधाकड़ है हरियाणा
Heer
krishna vani मीठी मीठी मुरली वो बजाए बजाकर गोपियों को रिझाए। प्रेम धुन वो ऐसी बजाए सबको मन को वो हर ले जाए। ©Heer मन को पल में हर ले वो हरी..🤗❣️ #कृष्ण #मनमोहना
बेजुबान शायर shivkumar
White एक बच्ची की उस नादानियों को समझ कर देखा है क्या तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या अपनी ये आधी जिंदगी को मां-बाप के यहां गुजार देती है अपनी ये आधी जिंदगी को वो ससुराल में गुजार देती है ये सभी उन सहेलियों को भी भूल जाती है वो अपने ही उस सपनों को भी भूल जाती है उसके इस त्याग को तुम कभी भी समझ कर देखा है क्या तुम कभी ये औरत बनकर देखा है क्या कभी दादी, कभी नानी, कभी मौसी ,कभी भाभी , कभी मम्मी, कभी चाची ,कभी दोस्त, तो कभी पत्नी मै कितने रिश्ते बताऊं मे हर जगह सर्वोपरि ही आती है ये हर जगह अपने हुनर का प्रदर्शन ही कर जाती है तुम कभी ऐसा हुनर कहीं और भी देखा है क्या तुम कभी ये औरत बन कर देखा है .....🖊️ ©बेजुबान शायर shivkumar #love_shayari #बेटी #बेटियां #माँ #Nojoto Sethi Ji shehzadi poonam atrey Kshitija nnn Andy Mann #बेजुबानशायर143 #कविता95 कविताएं हिंद
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read moreAnjali Singhal
"हम उनके देखने की अदा देखते हैं, कि भरी महफ़िल में वो हममें क्या देखते हैं! झुका लेते हैं अपनी नज़रों को वो फ़ौरन, जब देखते हैं वो कि हम उन
read moreVikas Sahni
White सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना शेष शोर हैं, शेष चोर हैं और हैं सिर्फ़ सफलता के आशिक इस कायनात में कविता ही है इक, जिसे इस रूप में लिखकर गर्व होता है कि अच्छा किया जो इतिहास में किसी को प्रेम नहीं किया अलावा कविता के, अच्छा किया जो इतिहास में किसी को दिल नहीं दिया अलावा कविता के, कष्टों के काल में ऐसा सोचकर गर्व होता है, मातम-मलाल में ऐसा सोचकर गर्व होता है, कविता को वो नहीं नोच सकते, जिन्हें नोचकर गर्व होता है क्योंकि कविता को कोई देख नहीं सकता क्योंकि कविता को कोई छू नहीं सकता, जो कभी नहीं था थकता वह भी कदाचित कविता को तलाशते-तलाशते थक गया होगा। ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #कठिनाइयों_के_काल_में सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना
#कठिनाइयों_के_काल_में सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना
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