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KK Mishra

दूध की थैली के कपड़ों का फैशन

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 दूध की थैली के कपड़ों का फैशन

sonu khannA

इत्र से कपड़ों का महकना बड़ी बात नहीं, मजा तो तब है जब खुशबू किरदार से आए #sonukhanna #Trending #Google

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sonukhanna

©sonu khannA इत्र से कपड़ों का महकना बड़ी बात नहीं,
मजा तो तब है जब खुशबू किरदार से आए
#sonukhanna  #Trending  #Google

Er DURGESH YADAV

“इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!”

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“इतर से कपड़ों को महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, असली मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!” “इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!”

Farhan Shaikh

“इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!”

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“इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!” “इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!”

Boby Thirpola

“इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!”

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“इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!” “इतर से कपड़ों का महकाना कोई बड़ी बात नहीं है, मज़ा तो तब है जब आपके किरदार से खुशबू आये!!”

Anuradha T Gautam 6280

रूप की थी गोरी कपड़ों का रंग था काला फिर भी मन था इश्क में निराला..🖊️ #अनु ॲजुरि🤦🙆‍♀️ 🖤🤍🖤❤️🖤🤍🖤

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Sunil itawadiya

हमारी सोच ब्रांडेड होनी चाहिए साहब कपड़ों का क्या है वह तो कितने bhi mahange se mahange aur koi bhi pahan sakta hai 🤗🤗🤗💐🌹👌🏼👍

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हमारी सोच ब्रांडेड होनी चाहिए साहब कपड़ों का क्या है वह तो कितने भी और कहीं भी पहने जा सकते हैं हमारी सोच ब्रांडेड होनी चाहिए साहब कपड़ों का क्या है वह तो कितने bhi mahange se mahange aur koi bhi pahan sakta hai 🤗🤗🤗💐🌹👌🏼👍

Vishal Singh Rajput

जिन्हें शोक है बहुत नये नये कपड़ों का आख़री वक़्त वो लोग भी कह न पाएंगे ये कफ़न ठीक नहीं है मेरे लिऐ Harshita Rajput Nikita Rajput Meghna K

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जिन्हें शोक है बहुत नये नये कपड़ों का 
आख़री वक़्त वो लोग भी कह न पाएंगे
ये कफ़न ठीक नहीं है मेरे लिऐ
vishalrajput_ जिन्हें शोक है बहुत नये नये कपड़ों का 
आख़री वक़्त वो लोग भी कह न पाएंगे
ये कफ़न ठीक नहीं है मेरे लिऐ Harshita Rajput Nikita Rajput Meghna K

alex akash

तंग आ गया हूं मैं दिखावे से, क्या मिलता है ये social media के हंगामे से, आज फिर एक बेटी की इज्ज़त लूट गई, क्या ये नहीं दिखता सच के ठेकेदारो

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तंग आ गया हूं मैं दिखावे से,
क्या मिलता है ये social media के हंगामे से,

आज फिर एक बेटी की इज्ज़त लूट गई,
क्या ये नहीं दिखता सच के ठेकेदारों से,

उम्र, जात, ना ही कपड़ों का खेल है,
ये हैवानियत देखता है एक अलग ही नजरों से,

मासूम की मासूमियत पर भी दया नहीं है आती,
ये कलयुग के इंसा का कैसा दौर है,

सोच सको तो सोचना ऐ हैवानो,
ख़ुद की बेटी या बीबी के साथ हो,
तो होता कैसा दर्द है। तंग आ गया हूं मैं दिखावे से,
क्या मिलता है ये social media के हंगामे से,

आज फिर एक बेटी की इज्ज़त लूट गई,
क्या ये नहीं दिखता सच के ठेकेदारो

vishwadeepak

#बचपन का कैसा रंग था, यारों का कैसा संग था, रहते थे अपनी धुन में, न किसी बात का गम था, सोचों तो कितना कम था, उस समय में कितना दम था, स्कूल

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बचपन का कैसा रंग था,
यारों का कैसा संग था,
रहते थे अपनी धुन में,
न किसी बात का गम था,
सोचों तो कितना कम था,
उस समय में कितना दम था,

स्कूल टीचर की डांट का,
न डर था किसी बात का,
कपड़ों का न कोई फ़ैशन,
बलों का था बस इम्प्रेशन,
वो खेल रात और दिन के,
मस्ती का आलम हरदम था,
सोचों तो कितना कम था,
उस समय में कितना दम था,

यारों संग होती होली,
और होती यारों संग दिवाली,
मिलकर हम करते थे, अपनी रात निराली,
बचपन का ऐसा रंग था,
यारों का ऐसा संग था,
सोचों तो कितना कम था,
उस समय में कितना दम था....

©Deepak Chaurasia #बचपन का कैसा रंग था,
यारों का कैसा संग था,
रहते थे अपनी धुन में,
न किसी बात का गम था,
सोचों तो कितना कम था,
उस समय में कितना दम था,

स्कूल
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