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Sanjoy Khuman
White Vishwamitra & Trisanku Trisanku was the king of the lunar dynasty in ancient India. One day, King Trisanku came to his Guru Vasishta and pledged "Guru Vasishta, I want to leave this earth, not as a soul, but in my human body! Guru Vasishta exclaimed incredulously, "That is impossible! I cannot help you. That is unholy and blasphemous. King Trisanku begged him but Vasishta refused to listen or help. But king Trisanku was not the one to give up so easily. I will approach Vasishta's hundred sons and put forth my request, said the king to himself. How dare you come to us with your demands when our father has already refused your preposterous plea! The sons were so enraged that they cursed King Trisanku to become an untouchable. The next morning, when the king woke up, he was totally misshapen and deformed. His jewels and ornaments had turned into bones and fragments of skulls. "Oh no! What has happened to me! King Trisanku cried when he saw his image. "Who are you? Where is the king? Thundered the courtier of the royal bed chambers when he chanced upon the king. (to be continue..) ©Sanjoy Khuman #Vishwamitra and Trisanku
#Vishwamitra and Trisanku
read moreSanjoy Khuman
White Vishwamitra and Trisanku-2 Since Trisanku could not give a convincing reply, he was chased out of the premises. Horrified at his state, yet still holding on to his demand of leaving the earth in his human form, Trisanku went to Sage Vishwamitra. Sage Vishwamitra was Vasishta's arch-rival. He agreed to help Trisanku. I will organize a great sacrifice and make the Gods accept Trisanku in heaven! declared the sage. By this yagna, the Gods in heavens would respond and come to the sage and agree to his requests. Unfortunately, things did not go exactly the way they were being planned. "We cannot respond to sage Vishwamitra's demand to take an unclean human body into the heavens! This is unheard of! decided the Gods. So, Sage Vishwamitra prayed in vain. No one responded to his efforts. How dare they ignore me thus! fumed Vishwamitra. But who cares! With the power of my penance, I will have my way!! Having said this, Vishwamitra commanded Trisanku to rise to heaven. The energy generated by Vishwamitra's penance swept Trisanku up into the sky, to the very threshold of heaven. Every time Trisanku tried to enter the gates of the heaven, the Gods pushed him away! Things came to head when Indra, the keeper of the skies, pushed Trisanku's body out of the gates of heaven. Trisanku hurtled down to earth. Trisanku would have died instantly on hitting the ground, had he not been saved by Vishwamitra. "Stop! Vishwamitra with his magic, froze Trisanku midway between the earth and heavens. "Ha! I will create my own Heaven and Trisanku will be there! So Vishwamitra created the Trisanku Swarga! That is a parallel heaven! In fact in western astronomy, this is known as the constellation Southern Cross, consisting of four stars! Now the Gods were terrified of Vishwamitra's powers as he was studying to go further; to create not just stars but a whole new race of Gods. The terrified Gods asked the holy sage of the skies, Brihaspati, to intervene. Brihaspati asked Vishwamitra to stop this madness and not to disturb the laws of nature. And the fall out of this interruption was that Trisanku did not enjoy Trisanku Swarga! He hung between heaven and earth; Thus, he was fated to remain fixed in the sky and was transformed into a constellation. ©Sanjoy Khuman #Vishwamitra and Trisanku -2
#Vishwamitra and Trisanku -2
read moreVíçky Síñgh
जो होता है वह अच्छे के लिए होता है हिन्दी कहानी हिन्दी प्रेरणादायक कहानी एक बार की बात है, एक राजा तलवारबाजी कर रहा था तो अचानक से उसके अंगुली… ©Víçky Síñgh #kahani kahani #Ocean
ABK Delhi wala
ऐेैक लड़की कैसे सब के लिए बौझ बन जाती है ( ऐैक उदास लड़की की कहानी) मीना अपने माता पिता की बहुत लाडली थी। तीन बडे भाईयों की बहन थी। कोई भी चीज मांगने पर उसी वक्त सामने हाजिर हो जाती। पूरे घर में रौब था उसका। पूरे परिवार ओर नौकरों पर राजकुमारी की तरह हुक्म चलाती थी मीना स्कूल में भी पूरा रौब था उसका। बडे घर की लाडली जो थी वह। ऐसे ही उसने कालेज में दाखिला लिया। उसके ठाठबाट, बडी गाड़ी में आना जाना, हर दिन नया फैशन देखकर हर कोई उससे दोस्ती करना चाहता था। थोड़े ही दिनों में उसके बहुत से दोस्त बन गए। पूरे कालेज में उसकी अपनी ही एक पहचान थी। इन दिनों उसके घर एक रिश्ता आया। खानदानी लोग थे ओर पापा की पुरानी जान-पहचान थी उनके साथ। मीना के साथ कोई जबरदस्ती नहीं थी| पर मीना ने फिर भी हां कर दी, कयोंकि वह अपने परिवार से बहुत प्यार करती थी। वह जानती थी कि वह लोग उसका अच्छा ही सोचेंगे। लडके का नाम सूरज था। सूरज काफी पढा लिखा ओर समझदार लडका था। ससुराल वाले भी बहुत अच्छे थे। ससुराल में मीना की जगह वैसी ही थी जैसी कि मायके में। कोई भी काम मीना की सलाह के बिना नहीं होता था। सबकी लाडली बहू बन गयी थी वह। फिर उसके घर एक बेटे का जन्म हुआ। समर मीना को जान से प्यारा था। पोता पाकर ससुराल वाले तो फूले नहीं समाते थे। मीना कभी कभी सोचती कि उसकी किस्मत कितनी अच्छी है। उसका हर अपना उसे कितना प्यार करता है। चाहे जीवन में कैसा भी समय आये मेरे अपने हमेशा मेरे साथ हैं, मैं कभी अकेली नहीं हो सकती। कितनी खुशकिस्मत हूँ मैं। पर शायद मीना की खुशियों को उसकी अपनी ही नजर लग गई थी। एक दिन वह मायके जाने की जिद्द कर बैठी। सूरज को बहुत काम था।लेकिन वह फिर भी उसे ले गया। रास्ते में उनकी गाड़ी दूसरी गाड़ी से टकरा गई। मीना, सूरज ओर समर बहुत बुरी तरह से जख्मी हो गए। काफी दिनों के इलाज के बाद समर ओर सूरज तो ठीक हो गए लेकिन मीना पूरी तरह ठीक ना हो सकी। सर पर चोट लगने के कारण वह अपनी आंखों की रौशनी खो बैठी। अब मीना की किस्मत जैसे उलटे पांव चलने लगी। मायके वाले कुछ दिनों तक उसे मिलने आते रहे फिर कभी कभार फोन ही करके पुछ लेते कि अब कैसी हो। धीरे धीरे ये सिलसिला भी कम हो गया। ससुराल वालों की सहानुभूति भी कम होने लगी। घर में किसी को पास बैठने के लिए कहती तो जवाब मिलता बहुत काम है अब तुम भी हाथ नहीं बंटा सकती। सूरज भी चिडचिडा हो गया था। बस समर ही था उसके साथ जिसके साथ हंसते खेलते उसका वक्त गुजरता। एक दिन मीना के हाथ से कुछ सामान गिर गया जिसकी वजह से समर को हलकी सी चोट लग गई। मीना के सास ससुर ने सूरज को उससे अलग कर दिया कि कहीं उसके ना देखने की वजह से बच्चे का कोई नुकसान ना हो जाये। मीना अंदर से टूट चुकी थी। एक दिन उसने सबके सामने मायके जाने की इच्छा रखी तो सूरज उसे तुरंत मायके छोड़ आया। जैसे कि वह भी यही चाहता था। लेकिन समर को उसके साथ नहीं भेजा गया। मीना कभी समर से दूर नहीं रही थी, पर अपनी कमी के कारण उसने ज्यादा बहस नहीं की। मीना को लगा कि वह तीन चार दिन वहां रहेगी तो थोड़ा हवा पानी बदल जायेगा कयोंकि वह कितने दिनों से कहीं भी बाहर नहीं गयी थी। घर वाले भी इतने दिनों बाद उसे देखकर कितने खुश होंगे। मीना के घर पहुंचने पर सब लोग बहुत खुश हुए। खाने में सब कुछ मीना की पसंद का ही बना था। उसने अपने मम्मी पापा ओर भाई भाभियों से दिल खोल कर बातें की। उनके छोटे छोटे बच्चे भी बूआ के साथ घुलमिल गए थे। रात को सोने के वक्त जब वह कपडे बदलने लगी तो उसे पता चला कि उसका बैग तो बहुत भरा हुआ था। वह सब समझ गई। वह बहुत उदास हो गई। कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा, फिर जैसे सब बदलने लगा। सबका व्यवहार बदल रहा था। वह लोग जैसे थक चूके थे उससे। सब लोग घूमा फिरा कर पुछने लगे कि सूरज कब आ रहा है उसे ले जाने। वह बहाना बना देती। जबकि वह जानती थी कि उस घर मे अब उसके लिए कोई जगह नहीं। मीना से चलते वक्त कुछ ना कुछ नुक्सान हो जाता। थोड़ी बहुत टोकाटाकी उसे सूनाई देती। वह टाल देती। एक दिन उसके हाथ से लगकर एक कीमती फूलदान टूट गया। छोटी भाभी ने बहुत हंगामा मचाया। मीना के माता पिता रोज रोज के झमेलों से तंग आ गए थे। उन्होंने सूरज को खुद से फोन कर दिया। सूरज मीना को अपने घर ले गया। मीना को अपने परिवार वालों से ये उम्मीद ना थी जिस मीना के कहे बिना घर मे एक पत्ता भी नहीं हिलता था, उस घर के लिए वह अब बोझ बन चुकी थी। सूरज के साथ ससुराल आते वक्त वह बहुत खुश थी। क्योंकि वह अपने घर जा रही थी अपने जिगर के टूकडे अपने बेटे समर के पास। पर यह खुशी भी कुछ पल की ही थी। सारा बन्दोबस्त पहले ही किया हुआ था। मीना को सीधे ऊपर वाले कमरे में पहुंचा दिया गया। समर से दूर रहने की सख्त चेतावनी दी गई। एक कामवाली हैमा को उसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। जो उसके खाने पहनने जैसी जरूरतों का ध्यान रखती। मीना ज्यादातर चुप ही रहती। कभी-कभी कामवाली हैमा से थोडि बात चीत कर लेती। उसके जरिये समर का पता चल जाता। सबकी लाडली बेटी ओर बहू सबके लिए लाडली से बोझ बन चुकी थी। ©ABK Delhi wala Kahani # Hindi kahani
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read moreDr emmanual Lawrence
Kahani Suno Haan Zubaani Suno Mujhe Pyar Hua Tha Ikraar Hua ©Dr emmanual Lawrence kahani suno #kahani
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read moreRajat “king with kingdom” arora
yade bhi teri ab waqt me mukarar ho gyi jab se sari shame meri ab tjhse ho gyi ha akela safar tha kabhi mera phle ha aj tere sath chalna meri kahani si ho gyi #gif Kahani #kahani #mad_rajat
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