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Anit kumar kavi
पूजा पूजने को तो यहां पत्थर भी पूजे जाते हैं मगर पूजना उन्हीं को चाहिए जो धर्म पथ का सारथी हो । पूजने योग्य
पूजने योग्य
read moreAvinash Jha
सजाकर रखना होता है तेरी हर यादों को संग गुज़रे लम्हों को, क़िताब के पन्नों में दबे तेरे ख़त को सुर्ख़ गुलाब के फूल को. सजाकर रखना होता है उन एहसासों को लबों पर छाए मुश्कानों को तेरे होने का यकीं जो दिलाए हर उस धड़कनों को. ©avinashjha सजाकर रखना होता
सजाकर रखना होता
read moreअनामिका
जब से पहली बार प्रेम मधु चखी थी सम्हाल तो लिया था चाशनी कड़वी हुई थी तेरी सारी बाते झूठी हुई थी पर रह गया एक बात का मलाल खुद ही सौंपी थी तुझे अपनी किस्मत हाथो में ......सजाकर थाल ©अनामिका हाथो में सजाकर थाल
हाथो में सजाकर थाल
read moreShubham Bhardwaj
तस्वीरे जाना है,दिल में बसाकर रखते हैं। हाँ मोहब्बत है तुमसे, यह एहसास जगाकर रखते हैं।। ख्याल तो ख्याल है,आकर चला जाता है । मोहब्बत की है तुमसे, यह प्रीत सजाकर रखते हैं।। ©Shubham Bhardwaj तस्वीर#तस्वीर#सजाकर#प्रीत#जगाकर
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read moreVijay Kumar उपनाम-"साखी"
किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ? किसके आगे हाथ मे फैलाऊँ? सबके सब यहां पे भिखारी है, किसको अब में पुकार लगाऊँ? स्वार्थी सब ही यहां नर-नारी है किस मनुष्य के पास में जाऊँ? किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ? किस चौखट पे पांव में बढाऊँ? जिस किसी के पास में जाता हूँ, उसके मन में ईर्ष्या-बूंदे पाता हूँ किस निश्छल जगह मे जाऊँ? जहां बस अपनापन में पाऊँ किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ? जो भी यहां मेरी मदद करता है वापस मदद की उम्मीद करता है किस पाक चंदन को सर लगाऊँ? जिससे में भव-पार उतर जाऊँ बालाजी,तू ही है,साखी की बाती, तेरे दीप से ही बस रोशनी पाऊँ बाकी सब जगह तम की पाऊँ तेरे दर पे में तो बड़ा सुकूँ पाऊँ बालाजी तुझसे ही में चैन पाऊँ दे बाला शक्ति की तेरे नाम से, हर शूल में खुद को महकाऊं दुनिया के स्वार्थी रिश्ते-नातों में, बस तेरा ही रिश्ता में सच्चा पाऊँ करता रहूं ताउम्र में तेरी ईबादत दे हनुमानजी तेरी ऐसी मोहब्बत तेरी ईबादत में खुद को भूल पाऊँ तेरा नाम लेते-लेते,सांसे छोड़ जाऊं दिल से विजय किसे
किसे
read moreVijay Kumar उपनाम-"साखी"
किसे अपना दुःख सुनाऊं? किसे अपना गम बताऊं? हर शख्स रूठा है,मुझसे, कैसे हर रिश्ता निभाऊं? लबो पे भले मेरे हंसी है, भीतर कैसे गम दबाऊं? सब यहां कहते कुछ है, सब यहां करते कुछ है कैसे हकीकत बताऊं? कैसे शीशे से धूल हटाऊँ? कैसे ?,मुखोटों के चेहरों मे, अपने चेहरे को दिखाऊं किसे आज पास बुलाऊं? हर आईना टूटा ही पाऊं किसे अपना दुःख सुनाऊं किसे अपना गम बताऊं जिसे मित्र नही भाई माना, जिसे चित्र नही सांई माना, आज उसीसे में कहराउं, हृदय जख़्म किसे बताऊ? जिसने दगा किया,उसे, क्या कहकर बुलाऊं? दगाबाज कहकर, क्यों न उसे बुलाऊं? सामने मधुकर, पीठे पीछे खंजर, इससे अच्छा तो साखी, कभी मित्र ही न बनाऊं किसे अपना दुःख सुनाऊं? किसे अपना गम बताऊं? सब चेहरे हंसते है,मुझे बिना बात रुलाते है,मुझे किस चेहरे से मन लगाऊं हर चेहरे में स्वार्थ ही पाऊं एकमात्र तू सच्चा साथी है, बालाजी तू ही दीप बाती है, बस हनुमानजी,मेरे स्वामी, तुझमे ही सब रिश्ते पाऊं तू ही माता,तू ही पिता, तू ही जीवन रचयिता, हे बजरंगबली, तुझमे ही खुद को पाऊं बाकी इस खूनी जग में, लहूं के आंसू ही पाऊं दिल से विजय किसे
किसे
read moreShubham Bhardwaj
ख्वाब आँखों में सजाकर रख। कुदरत को अपना बनाकर रख।। खूबसूरत दुनिया नजर आयेगी। पर्यावरण को बचाकर रख ।। ©Shubham Bhardwaj #ख्वाब #आँखों #में #सजाकर #रख