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Stories related to सजाकर किसे पूजने

Anit kumar kavi

पूजने योग्य

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पूजा पूजने को तो यहां पत्थर भी पूजे जाते हैं मगर पूजना उन्हीं को चाहिए जो धर्म पथ का सारथी हो । पूजने योग्य

Avinash Jha

सजाकर रखना होता

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सजाकर रखना होता है
तेरी हर यादों को
संग गुज़रे लम्हों को,
क़िताब के पन्नों में दबे तेरे ख़त को
सुर्ख़ गुलाब के फूल को.
सजाकर रखना होता है
उन एहसासों को
लबों पर छाए मुश्कानों को
तेरे होने का यकीं जो दिलाए
हर उस धड़कनों को.

©avinashjha सजाकर रखना होता

अनामिका

हाथो में सजाकर थाल

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Harish Singh Anna

सपने सजाकर तो देखो ँ

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Haresh Painuly

ईमान सजाकर बैठा है...

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Shubham Bhardwaj

तस्वीरतस्वीरसजाकरप्रीतजगाकर

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Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

किसे

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किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ?
किसके आगे हाथ मे फैलाऊँ?
सबके सब यहां पे भिखारी है,
किसको अब में पुकार लगाऊँ?
स्वार्थी सब ही यहां नर-नारी है
किस मनुष्य के पास में जाऊँ?
किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ?
किस चौखट पे पांव में बढाऊँ?
जिस किसी के पास में जाता हूँ,
उसके मन में ईर्ष्या-बूंदे पाता हूँ
किस निश्छल जगह मे जाऊँ?
जहां बस अपनापन में पाऊँ
किसे अपना दुःखडा में सुनाऊँ?
जो भी यहां मेरी मदद करता है
वापस मदद की उम्मीद करता है
किस पाक चंदन को सर लगाऊँ?
जिससे में भव-पार उतर जाऊँ
बालाजी,तू ही है,साखी की बाती,
तेरे दीप से ही बस रोशनी पाऊँ
बाकी सब जगह तम की पाऊँ
तेरे दर पे में तो बड़ा सुकूँ पाऊँ
बालाजी तुझसे ही में चैन पाऊँ
दे बाला शक्ति की तेरे नाम से,
हर शूल में खुद को महकाऊं
दुनिया के स्वार्थी रिश्ते-नातों में,
बस तेरा ही रिश्ता में सच्चा पाऊँ
करता रहूं ताउम्र में तेरी ईबादत
दे हनुमानजी तेरी ऐसी मोहब्बत
तेरी ईबादत में खुद को भूल पाऊँ
तेरा नाम लेते-लेते,सांसे छोड़ जाऊं
दिल से विजय किसे

Vijay Kumar उपनाम-"साखी"

किसे

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किसे अपना दुःख सुनाऊं?
किसे अपना गम बताऊं?
हर शख्स रूठा है,मुझसे,
कैसे हर रिश्ता निभाऊं?

लबो पे भले मेरे हंसी है,
भीतर कैसे गम दबाऊं?
सब यहां कहते कुछ है,
सब यहां करते कुछ है

कैसे हकीकत बताऊं?
कैसे शीशे से धूल हटाऊँ?
कैसे ?,मुखोटों के चेहरों मे,
अपने चेहरे को दिखाऊं

किसे आज पास बुलाऊं?
हर आईना टूटा ही पाऊं
किसे अपना दुःख सुनाऊं
किसे अपना गम बताऊं

जिसे मित्र नही भाई माना,
जिसे चित्र नही सांई माना,
आज उसीसे में कहराउं,
हृदय जख़्म किसे बताऊ?

जिसने दगा किया,उसे,
क्या कहकर बुलाऊं?
दगाबाज कहकर,
क्यों न उसे बुलाऊं?

सामने मधुकर,
पीठे पीछे खंजर,
इससे अच्छा तो साखी,
कभी मित्र ही न बनाऊं

किसे अपना दुःख सुनाऊं?
किसे अपना गम बताऊं?
सब चेहरे हंसते है,मुझे
बिना बात रुलाते है,मुझे

किस चेहरे से मन लगाऊं
हर चेहरे में स्वार्थ ही पाऊं
एकमात्र तू सच्चा साथी है,
बालाजी तू ही दीप बाती है,

बस हनुमानजी,मेरे स्वामी,
तुझमे ही सब रिश्ते पाऊं
तू ही माता,तू ही पिता,
तू ही जीवन रचयिता,

हे बजरंगबली,
तुझमे ही खुद को पाऊं
बाकी इस खूनी जग में,
लहूं के आंसू ही पाऊं

दिल से विजय किसे

Shubham Bhardwaj

राहुल अग्निहोत्री

तू चला पूजने पत्थर तो मैं पहाड़....

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