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Rakesh frnds4ever
White कोई नहीं था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कोई नहीं है जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए भोग रहा है कोई क्या क्या ,,,,,,,,,,,,,,,,,, कोई तुमको कैसे/ क्या दिखलाए कोई कितना टूट चुका है कोई कितना लुट चुका है डूब चुका है कोई कितना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तुमको कोई क्या दिखलाए कोई रोता है कोई हंसता है कोई पाता है कोई खोता है धन दौलत की बात नहीं है मनुष्य की हर जात बुरी है कोई नहीं है अपना नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, यहां नहीं है कहीं नहीं है ,,,,,,,,,,,, २ ,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #कोई_क्या_जाने #कोई नहीं था ,,,कोई नहीं है #जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए #भोग रहा है कोई क्या क्
#कोई_क्या_जाने #कोई नहीं था ,,,कोई नहीं है #जीवन में भी उत्कर्ष नहीं है कोई तुमको क्या बतलाए कोई तुमको क्या जतलाए #भोग रहा है कोई क्या क्
read moreShashi Bhushan Mishra
कोई तो है जो सुन लेता है, सीप से मोती चुन लेता है, बेशक वो इन्कार न करता, मन ही मन में गुन लेता है, अपनी ही शर्तों पर चलकर, ख़ुद कपास को धुन लेता है, जीत गया जीवन की बाजी, खेत में भुट्टा भुन लेता है, भाग्य भरोसे नहीं बैठकर, फटी चादरें बुन लेता है, कठिनाई में बनकर रहबर, देकर दुआ सगुन लेता है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #कोई तो है जो#
#कोई तो है जो#
read moreHeer
Apna time aayega समय किसी का भी एक जैसा नहीं होता, उन्हें भी रोना पड़ता है जो दूसरों को रुलाते है। समय का चक्र फिर घूम कर जरूर आता है।। ©Heer समय का चक्र फिर घूमकर आता है।
समय का चक्र फिर घूमकर आता है।
read moreRavinder Kumar
तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर जरें में रहता है, फिर ज़मीन पर कहीं मस्जिद कहीं मंदिर क्यों है.. जब रहने वाले दुनिया के हर बन्दे तेरे हैं, फिर कोई दोस्त तो कोई दुश्मन क्यों है तू ही लिखता है हर किसी का मुकद्दर, फिर कोई बदनसीब, और कोई मुकद्दर का सिकंदर क्यों है ....! @motivate_line ©Ravinder Kumar #Exploration बहुत शानदार लाइन तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर
#Exploration बहुत शानदार लाइन तेरी इस दुनिया में ये मंज़र क्यों है.. कहीं अपनापन तो कहीं पीठ पीछे खंजर क्यों है.. सुना है तू इस संसार के हर
read moreAshok Verma "Hamdard"
White कोई ना मिले जिंदगी में, फिर भी जिंदगी जी लेना, तन्हाई के साये में भी, खुशियों को तुम पी लेना। राहें भले हो वीरान, दिल में दर्द लेकर , फटे दामन को भी, बड़े प्यार से सी लेना। खुद से कभी न हारना, जिंदगी की राहों में, तन्हाई में कटे ज़िंदगी, फिर भी, न कभी शराब पी लेना। दर्द में भी मुस्कुराओ, जीना है तो यूँ जी लेना, चाहे हो मुश्किल हालात, पर इरादों को सदा दिखा देना। जिंदगी का सफर है लंबा, संघर्षों में भी रंग भर लेना, कोई ना मिले जिंदगी में, फिर भी, हौसला बना लेना। अशोक वर्मा "हमदर्द" ©Ashok Verma "Hamdard" कोई ना मिले जिंदगी में फिर भी 'दर्द भरी शायरी'
कोई ना मिले जिंदगी में फिर भी 'दर्द भरी शायरी'
read moreSADIQUE HUSSAIN
White پھر جاگ اٹھا ہےدل میں پُرانےدنوں کا درد جی چاہتاہےکہ پھر کوئی تازہ غزل لکھوں صادق حسین ارریاوی फिर जाग उठा है दिल में पुराने दिनों का दर्द जी चहता है के फिर कोई ताज़ा ग़ज़ल लिखुं सादिक हुसैन अररियावी ©SADIQUE HUSSAIN #Sad_shayri फिर जाग उठा है दिल में
#Sad_shayri फिर जाग उठा है दिल में
read moreKiran Chaudhary
कोई नई बात नहीं है। जब भी मुझे तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तुम मुझे अकेला कर देते हो, ये कोई नई बात नहीं है। तुम्हारी खुशियों के आगे मैं हर बार हार जाती हूँ, ये कोई नई बात नहीं है, जब भी मुझे लगता है, कि हमारे बीच अब सबकुछ सही है, तुम मुझे गलत ठहरा देते हो, कोई नई बात नहीं है, मुझे बातें नहीं करनी शेयर, बस कुछ पल को रो लेने का मन है तुम्हारे सामने, सब कुछ ठीक है और ठीक हो जाएगा ये कहकर मुझे अकेला छोड़ देना कोई नई बात नहीं है।। ©Kiran Chaudhary कोई नई बात नहीं है।।
कोई नई बात नहीं है।।
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- देख कर ख़ुद को छिपाता है कोई अपने ख़ुद अश्क़ बहाता है कोई दिल की आवाज़ सुनाता है कोई । वज़्म में अपनी बुलाता है कोई ।। नाम कोई भी नही रिश्ते का फिर भी रिश्तों को निभाता है कोई इस तरह चाहता अब है मुझको सारी दुनिया को बताता है कोई सारे इल्ज़ाम हमारे लेकर मुझको बेदाग़ बताता है कोई हो न जाऊँ खुशी से मैं पागल जान ऐसे भी लुटाता है कोई अब तो रहता नशें में हूँ हरपल ज़ाम आँखों से पिलाता है कोई रात कटती न प्रखर करवट में याद ऐसे मुझे आता है कोई महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- देख कर ख़ुद को छिपाता है कोई अपने ख़ुद अश्क़ बहाता है कोई दिल की आवाज़ सुनाता है कोई । वज़्म में अपनी बुलाता है कोई ।। नाम कोई भी नही
ग़ज़ल :- देख कर ख़ुद को छिपाता है कोई अपने ख़ुद अश्क़ बहाता है कोई दिल की आवाज़ सुनाता है कोई । वज़्म में अपनी बुलाता है कोई ।। नाम कोई भी नही
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