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Stories related to रवीन्द्रनाथ टैगोर के दार्शनिक विचारों

@Sushilkumar_Sushil

रवीन्द्रनाथ टैगोर की ये छोटी सी कविता ।

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Mannu Kumar

#RABINDRANATHTAGORE विश्व विख्यात दार्शनिक रविन्द्र नाथ टैगोर

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Anupama Jha

#जन्म#yqbaba#yqdidi#नमन रवीन्द्रनाथ टैगोर कोprompt is Birth

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        जन्म से आपके 
कितनी ही कविताओं, कहानियों
        का जन्म हुआ
        शब्द से आपके
एक नए संगीत का अभ्युदय हुआ
    यथा नाम ,तथा गुण
रविन्द्र भारत का 'रविन्द्र' हुआ....
 #जन्म#YQbaba#YQdidi#नमन रवीन्द्रनाथ टैगोर को#prompt is Birth

हिंदीवाले

आधुनिकता कपड़ों से नहीं, विचारों से आती है। ~ रवींद्रनाथ टैगोर #thoughg

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आधुनिकता कपड़ों से नहीं, विचारों से आती है।

~ रवींद्रनाथ टैगोर

©हिंदीवाले आधुनिकता कपड़ों से नहीं, विचारों से आती है।

~ रवींद्रनाथ टैगोर

#thoughg

Knowledge Fattah

रबीन्द्रनाथ टैगोर

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जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भी नहीं करता है स्वाभाविक है किसान अन्नदाता है और राष्ट बिना अन्न के नहीं चल सकता है...

(रविन्द्र नाथ टैगोर)

©A. R. Zaidi रबीन्द्रनाथ टैगोर

Dr. Alpana suhasini

रवींद्र नाथ टैगोर के शब्द आवाज़ हमारी

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दि कु पां

दार्शनिक विचार..

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कल कल करती आह्लादित लहरों के आवेगों को.. क्षणिक अवरोध ज़रूरी है
मान किनारों का रखना.. मानव आचार में हो तेरे.. ये नितान्त ज़रूरी है..
उच्छृंखल उत्तेजित हो निष्पादित कर्म.. अक्सर स्वघाती हो जाते हैं..
अतः कुछ करने से पूर्व तनिक विलंब चाहे हो.. पर विचार अत्यंत ज़रूरी है..





 दार्शनिक विचार..

srgm

#गीतांजलि ,टैगोर

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Abhishek Singh

#रबीन्द्रनाथ टैगोर

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एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे 
एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितने किरदार निभाता है 
लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है 
लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है 
लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है 
जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है 
कभी अपना चेहरा नहीं दिखता 
बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है 
लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता 
की आज जो हम बोल रहे है 
जो हम लिख रहे है 
वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है 
जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर

Abhishek Singh

#रबीन्द्रनाथ टैगोर

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एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे 
एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितना कुछ दिखा जाता है 
लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है 
लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है 
लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है 
जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है 
कभी अपना चेहरा नहीं दिखता 
बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है 
लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता 
की आज जो हम बोल रहे है 
जो हम लिख रहे है 
वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है 
जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर
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