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Mannu Kumar
रविन्द्र नाथ टैगोर ने स्वतंत्र रहकर सोचने के ताकत के बारे में बताया साथ ही आजादी के स्वर्ग के सपने लेने के लिए प्रेरित किया तकि बीना किसी के डर के सर उठा सके और चल सके ©Mannu Kumar #RABINDRANATHTAGORE विश्व विख्यात दार्शनिक रविन्द्र नाथ टैगोर
#RABINDRANATHTAGORE विश्व विख्यात दार्शनिक रविन्द्र नाथ टैगोर
read moreAnupama Jha
जन्म से आपके कितनी ही कविताओं, कहानियों का जन्म हुआ शब्द से आपके एक नए संगीत का अभ्युदय हुआ यथा नाम ,तथा गुण रविन्द्र भारत का 'रविन्द्र' हुआ.... #जन्म#YQbaba#YQdidi#नमन रवीन्द्रनाथ टैगोर को#prompt is Birth
हिंदीवाले
आधुनिकता कपड़ों से नहीं, विचारों से आती है। ~ रवींद्रनाथ टैगोर ©हिंदीवाले आधुनिकता कपड़ों से नहीं, विचारों से आती है। ~ रवींद्रनाथ टैगोर #thoughg
आधुनिकता कपड़ों से नहीं, विचारों से आती है। ~ रवींद्रनाथ टैगोर #thoughg
read moreKnowledge Fattah
जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भी नहीं करता है स्वाभाविक है किसान अन्नदाता है और राष्ट बिना अन्न के नहीं चल सकता है... (रविन्द्र नाथ टैगोर) ©A. R. Zaidi रबीन्द्रनाथ टैगोर
रबीन्द्रनाथ टैगोर
read moreदि कु पां
कल कल करती आह्लादित लहरों के आवेगों को.. क्षणिक अवरोध ज़रूरी है मान किनारों का रखना.. मानव आचार में हो तेरे.. ये नितान्त ज़रूरी है.. उच्छृंखल उत्तेजित हो निष्पादित कर्म.. अक्सर स्वघाती हो जाते हैं.. अतः कुछ करने से पूर्व तनिक विलंब चाहे हो.. पर विचार अत्यंत ज़रूरी है.. दार्शनिक विचार..
दार्शनिक विचार..
read moreAbhishek Singh
एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितने किरदार निभाता है लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है कभी अपना चेहरा नहीं दिखता बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता की आज जो हम बोल रहे है जो हम लिख रहे है वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर
#रबीन्द्रनाथ टैगोर
read moreAbhishek Singh
एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितना कुछ दिखा जाता है लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है कभी अपना चेहरा नहीं दिखता बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता की आज जो हम बोल रहे है जो हम लिख रहे है वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर
#रबीन्द्रनाथ टैगोर
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