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Pawan Paagal
©pawan_paagal खंड खंड भारती का खंड खंड जोड़ देंगे।। #Paralympics Advocate Suraj Pal Singh DELHI Madhu Chauhan✍️ Dr.Pawan Anshu writer Ankit
read moreअर्पिता
आज माँ का एक रुप देखा , दिनभर बच्चों के काम किये जा रही थीं, अपनी उलझने भुलाकर उन्हें सुलझाना सीखा रही थी, अपने खट्टे मीठे अनुभवों से उन्हें जीना सीखा रही थी, अपनी सहनशीलता का परिचय जता रही थी, नामचिन चाय की चुस्कियों के साथ दिन बनाये जा रही थी, उनके हर एक पल को तराशती जा रही थी, नाजुक सी कलियों को फूल बनना सीखा रही थी, अपनी सतयुग की कहानियां इस कलयुग में सुनाए जा रही थी, अपने भोलेपन से सभी के दिलों को जीतना सिखाए जा रही थी, सिर्फ वो ही ये सब करे जा रही थीं, अपने बच्चों को प्रत्यक्षता का ज्ञान कराए जा रही थी, अपनी ही ममता को लुटाये जा रही थी, बहुत प्यार दुलार से बात किये जा रही थी, और इन्ही बातो के जरिये सब कुछ सिखाये जा रही थी, ज़िन्दगी का मतलब बताये जा रही थी, इस संसार मे अपनी महत्वता को बनाये जा रही थी, थोड़ा ध्यान से देखा तो साक्षात देवी सी प्रतीत हो रही थी।। ©अर्पिता #माँ का रूप
#माँ का रूप
read morePrashant Mishra
निश्छलता का प्रारूप है 'माँ' इस धरती पे स्नेह का सच्चा स्वरूप है 'माँ' इस धरती पे दुनिया में 'माँ' के जैसा नहीं कोई दूजा है भगवान का सच्चा रूप है 'माँ' इस धरती पे --प्रशान्त मिश्रा #"माँ" का रूप
#"माँ" का रूप
read moreRudra pratap Singh
#मेरी_कविता_संग्रह #Poetryrendering_ खंड-१ शीषर्क : एक आवाज़ का नाम लेखक : आलोक श्रीवास्तव
read moreAbhishek Rajhans
जिस्मों का जनाजा तो रोज ही उठता है इस जमाने में एक दिल ही जानता है ,दिल का जनाजा उठाना क्या होता है रहते कहां हो ,करते क्या हो ,पूछ लेता है हर कोई कोई पूछता ही नहीं दिल का ठिकाना कहाँ होता है हर कोई पूछता है कमरा खाली है साहब या नहीं जाने क्यों कोई दिल का कोना टटोलता नहीं मर्ज बहुत है ,दवाएं भी अब कई इश्क ही बीमारी है शायद जो अब भी लाईलाज कहीं हर कोई कहता है कुछ तकलीफ हो तो बताना जरूर यूँ कोई तकल्लुफ से फ़ोन करता कोई किसी को क्या पता ,रिश्ते निभाना है क्या बेमतलब से मिलने आये तो कोई वो उम्र भर करता रहा इश्क़ उसके जिस्म से अब कब्र पर फूल चढ़ाने जाता दिखाई देता नहीं ©Abhishek Rajhans मेरे अल्फाज (नया खंड) #touchthesky
मेरे अल्फाज (नया खंड) #touchthesky
read moreParasram Arora
प्रेम मे संयोग और वियोग तत्व प्रेम को ऊर्जावान बनाते हैँ प्रेम का मूल्यांकन वियोग की पीड़ा को झेले बिना न किया जा सकता है और न ही समझा जा सकता है.. ज़ब वो प्रेम की पीड़ा समझ कर पुष्ट हो जाता है तो प्रेम एक दैवी ज्ञान बन जाता है जो हमारे अंतग और बाहर भी आँखों को प्रकाशमान करता है. तब उस प्रेम क़े निराकार स्वरूप क़े सौजन्य से हम दुनिया की हर वस्तु मे देवत्व का तत्व देख पाने मे सक्षम हो पाते हैँ ©Parasram Arora # प्रेम का निराकार रूप
# प्रेम का निराकार रूप
read moreVineet Tomar
बिना किसी स्वार्थ के वो अपनी ओलादों को पाल जाती है, रब्ब का दूसरा रूप माना है उसको जो शख्स मां कहलाती है ।। - विनीत तोमर रब्ब का रूप #happy_chocolate_day
रब्ब का रूप #happy_chocolate_day
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