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संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु

स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित शीर्षक बस अब कुछ नहीं . . विधा विचार . .

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Jitender Kumar

#Sadmusic टूटी है मेरी नींद मगर तुमको इससे क्या बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते फिरो कट जाएँ मेरी सो

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Anuradha T Gautam 6280

#थक_चुकी_हूं लिखते-लिखते थक चुकी हूं #लिखते_लिखते अब #सोच रही हूं कि किसी #लिखने_वाले_को_पकड़_लूं..🖊️ अनु_अंजुरी🤦🏻🙆🏻‍♀️

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Vikas Sahni

#कठिनाइयों_के_काल_में सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना

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White 

सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में केवल कविता  को चाहना,
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना
शेष शोर हैं,
शेष चोर हैं 
और हैं सिर्फ़ सफलता के आशिक 
इस कायनात में कविता ही है इक,
जिसे इस रूप में 
लिखकर गर्व होता है कि अच्छा किया जो
इतिहास में किसी को
प्रेम नहीं किया अलावा कविता के,
अच्छा किया जो इतिहास में किसी को
दिल नहीं दिया अलावा कविता के,
कष्टों के काल में 
ऐसा सोचकर गर्व होता है,
मातम-मलाल में 
ऐसा सोचकर गर्व होता है,
कविता को वो नहीं नोच सकते,
जिन्हें नोचकर गर्व होता है क्योंकि कविता को कोई
देख  नहीं सकता 
क्योंकि कविता को कोई 
छू नहीं सकता,
जो कभी नहीं था थकता
वह भी 
कदाचित कविता को 
तलाशते-तलाशते 
थक गया 
होगा।
                                                                     ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni 
#कठिनाइयों_के_काल_में
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में 
केवल कविता  को चाहना,
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में 
केवल इस ही को सराहना

dimple

#मिट्टी #जग #दुनिया #सोना #उड़ान #प्यार #आसमान #भाग #थक शायरी हिंदी में दोस्ती शायरी शायरी हिंदी में शायरी दर्द लव शायरी

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मैं  भी  मिट्टी,  तू  भी  मिट्टी l
चलता फिरता जग सारा मिट्टी ll

मिट्टी  से  बने,  मिट्टी  में  पले,
इक दिन फिर हो जाएंगे मिट्टी l

जग का पेट भरने की खातिर,
बीज को चाहिए पानी मिट्टी l

नारियल के खोल में जैसे गिरि,
आत्मा है कंचन, शरीर मिट्टी l

कंक्रीट, एसी से तपते घरों को,
शीतलता देगी फिर से मिट्टी l

सांसों का खेल है सारा,
सांसें बंद, शरीर मिट्टी l

चाहे उड़ो सातवें आसमान पर,
याद रखो होना है इक रोज़ मिट्टी l

जीते जी बन जाओ सोना,
मर कर फिर होना है मिट्टी l

भागते भागते थक जाऊंगा जब,
गोद में अपनी सुला लेगी मिट्टी ll
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September 2024

©Dimple Kumar #मिट्टी #जग #दुनिया #सोना #उड़ान #प्यार #आसमान #भाग #थक  शायरी हिंदी में दोस्ती शायरी शायरी हिंदी में शायरी दर्द लव शायरी

MiMi Flix

"शेरू की मेहनत और धैर्य: जंगल की दौड़ में जीत की प्रेरणादायक कहानी | बच्चों के लिए नैतिक शिक्षा" - शेरू, बबलू, और मोती जंगल के सबसे तेज धावक

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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

मुखलिस*माजरत लिए हुए//५... *माफी दिल थक गया बहुत सी हैरत लिए हुए,"शमा"हो गई हैरा मुखलिसे*गैरत लिए हुए//६.... *लज्जा #shamawritesBebaak wri

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बेजुबान शायर shivkumar

चाहे तो पैर चलते-#चलते क्यो न थक सा जाये या पथरीली #रास्तों में मेरे , बाधा कितनी भी कोई डाले. घने #अंधियारे के बाद ही... आती है एक #

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो

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White लावणी छन्द
इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया ।
भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।।
सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो चूर हुआ ।
तब जाकर माँ की गोदी में , सोने को मजबूर हुआ ।।

मत कहो काल के चंगुल में , लाल हमारा रपट गया ।
जाने कितने दुश्मन को वह , पल भर में ही गटक गया ।।
सब देख रहे थे खड़े-खड़े , अब उस वीर बहादुर को ।
जिसके आने की आहट भी , कभी न होती दादुर को ।।

पोछ लिए उस माँ ने आँसूँ, जिसका सुंदर लाल गया ।
कहे देवकी से मिलने अब , देख नन्द का लाल गया ।।
तीन रंग से बने तिरंगे , का जिसको परिधान मिले ।
वह कैसे फिर चुप बैठेगा , जिसको यह सम्मान मिले ।।

सुबक रही थी बैठी पत्नी , अपना तो अधिकार गया ।
किससे आस लगाऊँ अब मैं , जीने का आधार गया ।।
और बिलखते रोते बच्चे , का अब बचपन उजड़ गया ।
कैसे खुद को मैं समझाऊँ , पेड़ जमीं से उखड़ गया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लावणी छन्द
इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया ।
भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।।
सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो
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