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simran sagar
हूं तो मैं एक आम सड़क मगर रात के अंधेरो में यहां होती है चमक उजालों में सब लोग यहां से गुजरते हैं चांद जब आसमान में चमक उठता है तब लोग यहां आने से डरते हैं मैं जहां तक जाता हूं तुम्हे वहां पुरानी इमारतों में दुकानें दिखेंगी तुम इन दुकानों को देख संकोच नहीं करना सीढ़ियों से ऊपर जाना तुम्हे हर कमरे में नंबर मिलेंगी यहां से शुरू होता है मेरे बदनाम होने का सफ़र जिस्म के भूके यहां चारो तरफ आते है नज़र उस लड़की का दर्द मैं समझ ना सका घर जाना चाहती थी वो मगर मजबूरियों ने जकड़ रखा छोटे कमरों में ज़िन्दगी उसकी निकल रही थी समाज में रहकर भी समाज से अलग जी रही थी अमीर हो या गरीब कोई अलग नहीं है यहां जिस्म से बंधे है लोग सब एक है यहां A Short Poem On GB Road Delhi #life #poetry #quote
Chaudhary Lucky Hindol
Uttam Dixit
मेरी मोहब्ब्त का मस'अला, ऐसी बदनसीबी का है, उसकी यादें 64 जीबी कीं, मेरा दिल 4 जीबी का है..!! 4 GB, 64 GB...😋😋 #udquotes #udshayari #मोहब्बत #मसला #बदनसीबी #यादें
Uttam Dixit
मेरी मोहब्ब्त का मस'अला, ऐसी बदनसीबी का है, उसकी यादें 64 जीबी कीं, मेरा दिल 4 जीबी का है..!! 4 GB, 64 GB...😋😋 #udquotes #udshayari #मोहब्बत #मसला #बदनसीबी #यादें
Nitesh Pichhode Mangal
4 GB का दिल, और 64 GB का दुःख, इंसान कहाँ से खुश होगा !! #Health 4 GB का दिल, और 64 GB का दुःख, इंसान कहाँ से खुश होगा !!
#Health 4 GB का दिल, और 64 GB का दुःख, इंसान कहाँ से खुश होगा !!
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