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कलाम ए मानसी
ना दो खुशियां मुझे गमजदा रहने दो, अपने ही आपसे मुझे खफा रहने दो. मत बताओ, उन्हें मेरी मजबूरियां, उनकी नज़र में मुझे बेवफ़ा रहने दो. कैफो मस्ती से मेरा वास्ता है क्या, मैं तन्हा ठीक हूं, मुझे तन्हा रहने दो. ज्यादा अच्छा रहना, बुरा होता है, मैं तो बुरा हूं मुझे अब बुरा रहने दो. आकर क़रीब ना लगाओ मरहम, दिल के जख्मों को तो हरा रहने दो. ©ma n si #मानसी
Leonardo Saurabh Raj
बिछड़ कर उसका दिल लग भी गया तो क्या लगेगा बिछड़ कर उसका दिल लग भी गया तो क्या लगेगा वो थक जायेगा और मेरे गले से आ लगेगा मैं मुशकिल में तुम्हारे काम आऊं या ना आऊं मुझे आवाज दे लेना तुम्हें अच्छा लगेगा... मानसी
मानसी
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अब क्या सारी दुनिया को आजमाना, तुम्हे देख लिया तो देख लिया ज़माना. जब हर दर्द खुद को ही सहना है, ज़ख्म किसी को, फ़िर क्या दिखाना. नसीब में ही लिखा था रोना मेरे, जो बीती उसे याद कर क्यों पछताना. कोई साथ देता नहीं किसी का, रो रो कर, दुनिया सर पे, क्या उठाना ©Mansi #मानसी #Rose
Shubham Paswan
रोशनी कई बार हमें ऐसे काम को करना पङता है जिसकी जरूरत हमें नहीं हमारे काम को होती है और हम सोचते हैं कि आखिर हमारा काम क्या है और हम कर क्या रहे हैं पर हमें वो करना पङता है । जौहरी मानसी
जौहरी मानसी
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रोकता हूं, पर आंख भर भर आती, याद उनकी, मुझे रह रह कर आती. उनकी यादों का मुझसे राब्ता गहरा, याद अब, जाए जिधर, उधर आती. वक्त, घड़ी, लम्हे की मोहताज नहीं, कहां याद किसी को पूछकर आती. मैं भी कुछ कहता नही ये सोचकर, याद है मुझे अपना समझकर आती. ©Dr. Mansi #मानसी #Travel
कलाम ए मानसी
टूटे हुए शाखों पर कहां फूल खिलते है, बिछड़े, हुए लोग, फिर कहां, मिलते है. किसी से कोई उम्मीद न रहे तो अच्छा, वक्त के पहिए अपनी मर्जी से चलते है. कोई किसी का साथ देता नहीं जहां मे, अंधेरे में, अपने साए, भी तो, ढलते है. किसे दोष दे, अपनी बरबादी के लिए, सारे अपनी ही लगाई आग मे जलते है. प्यार, वफ़ा, खुलूस कुछ नहीं जहां मे, वक्त के साथ, सारे किरदार बदलते है. ©Mansi #मानसी #Nojoto
Shubham Paswan
तमाम नदियाँ बहा कर अगर तुमने एक बूँद भी बचाना सीख लिया, तो समझ लेना ऐ जिंदगी ! कि तूने जीना सीख लिया । जौहरी मानसी
जौहरी मानसी
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Umangen:- "Every Poem Explain a story How it Create" -a poem book by shubham Kumar जौहरी मानसी
जौहरी मानसी
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किसी से, कुछ न, कहना, कैसा लगता है, चुपचाप यू खामोश रहना, कैसा लगता है. तमाम कोशिशों के बाद भी खुशी न मिले, आंसू के, बहाव में, बहना, कैसा लगता है. बारहा यू बिगड़ जाना ख्वाबों की तस्वीर, उम्मीदों की, दीवार ढहना, कैसा लगता है. कोई भी दिलासा, जब आस पास ना रहे, शामों सहर ही दर्द सहना, कैसा लगता है. बयां अहसास पढ़ महसूस कर फिर बता, दिल पे जख्मों का गहना, कैसा लगता है. ©Mansi #मानसी #Nojoto