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+-InNocEnT BeWafa-+
अब लोग मोहब्बत नही फॉर्मलिटिश् निभाते है ©+-InNocEnT BeWafa-+ अब लोग मोहब्बत नही फॉर्मलिटिश् निभाते है आजकल इंशान जिंदगी से कब निकल जाता है पता ही नही चलता है बोलता तो है मैं हु मगर वो होता नही है क्
अब लोग मोहब्बत नही फॉर्मलिटिश् निभाते है आजकल इंशान जिंदगी से कब निकल जाता है पता ही नही चलता है बोलता तो है मैं हु मगर वो होता नही है क्
read moreShashi Bhushan Mishra
हंसती आंखें दिल रोता है, अपना चाहा कब होता है, गाने वाला रो दे अक़्सर, पाने वाला ही खोता है, राम नाम रटने वाला भी, फंसा जाल में ज्युं तोता है, रोज़ नहाये गंगा जल से, मन का मैल नहीं धोता है, पछताने से क्या होगा जब, बीज दुखों का ख़ुद बोता है, रात में करता है रखवाली, श्वान दिवस में ही सोता है, ज्ञान बिना दुनिया में गुंजन, भंवर बीच खाता गोता है, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' ©Shashi Bhushan Mishra #अपना चाहा कब होता है#
#अपना चाहा कब होता है#
read moreRakesh frnds4ever
White कहना सुनना आखिर कब तक !!??!! सहना सहना आखिर कब तक!!??!! क्रूरताओं और अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी खामोशियां,, आखिर कब तक!!??!! प्रताड़नाओं की मार के आगे दबती सुबकती मेरी सिसकियां,,,, आखिर कब तक!!??!! कहना सुनना आखिर कब तक !?! रोना धोना आखिर कब तक!?! सहना सहना आखिर कब तक!?! जीवन संघर्ष का युद्ध कब तक?!? प्राणों का ये ताना बाना कब तक?!? कब तक आखिर कब तक मैं ही क्यों आखिर कब तक!!???!!!!?? ©Rakesh frnds4ever #कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
#कहना_सुनना आखिर कब तक #सहना सहना आखिर कब तक,,,,,, #क्रूरताओं और #अत्याचारों के बीच में चीखती मेरी #खामोशियाँ आखिर कब तक, प्रताड़नाओं
read moreParasram Arora
White इस दुनिया का हर देश और प्रत्येक आदमी आश्वत है कि जल्द आयेगी वो घडी ज़ब दूनिया मे एक क्रन्तिकारी परिवर्तन होता हुआ दिखेगा इस घड़ी की प्रतीक्षा हर युग मे की गई लेकिन कुछ भी बदलता हुआ हमें दिखा नही है आज तक ©Parasram Arora कब आएगी वो घड़ी
कब आएगी वो घड़ी
read morejoya
White सापो ने डसना छोड़ दिया ये कहकर , मुझसे ज्यादा जहर इंसानों की बातों में है.... ©joya # इंसानों में है#
# इंसानों में है#
read moreShashi Bhushan Mishra
कब तलक मेला चलेगा, फिर अकेलापन खलेगा, दिवस का अवसान होगा, सूर्य अस्ताचल ढ़लेगा, ख़त्म होंगे बाग से फल, वृक्ष भी कबतक फलेगा, बढ़ेगा उत्ताप जिस दिन, बर्फ पर्वत पर गलेगा, मोह में जिसके पड़े तुम, वही आकर फिर छलेगा, फूँक कर तुम छाछ पीना, तप्त हो यदि मुँह जलेगा, लाख करलो कोशिशें तुम, लिखा विधि का ना टलेगा, चूकना अवसर न 'गुंजन', हाथ फिर कबतक मलेगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #कब तलक मेला चलेगा#
#कब तलक मेला चलेगा#
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