Find the Latest Status about बाइक ऑफर 2020 from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बाइक ऑफर 2020.
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे, प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
read moreJayesh gulati
White A appreciation post for my best friend (read in caption) ©Jayesh gulati कुछ यादें है जो कभी दिल से निकाल नहीं सकता मना खामोश रहते है अब हम दोनों मगर तेरा भाई तुझे भुला नहीं सकता आधी रात को भी तू करदे कॉल तेरा भाई
कुछ यादें है जो कभी दिल से निकाल नहीं सकता मना खामोश रहते है अब हम दोनों मगर तेरा भाई तुझे भुला नहीं सकता आधी रात को भी तू करदे कॉल तेरा भाई
read moreSmruti Ranjan Mohanty
White ଯାତ୍ରା -19 ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି ଏବେବି ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି , ତମେ ବଞ୍ଚିଛ , ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି । ସବୁକିଛି ବୋଧେ ଶେଷ ହୋଇନାହିଁ ନାହିଁ ନାହିଁ ଭିତରେ ଜିଇଁଛି ଜୀବନ , ହତାଶାର ମରୁଭୂମିରେ ଆଶାର ବୁଲବୁଲ , ବ୍ୟାସ ସରୋବରରେ ସମ୍ଭାବନାର କୋଟିଏ ପଦ୍ମ, ଦୂର ଦିଗବଳୟ ସେପଟେ କାହାର ବଂଶୀସ୍ବନ - ପ୍ରଲୁବ୍ଧ କରୁଛି, ଭରିଦେଉଛି ଦେହ ମନରେ ଆଶାର ମେଞ୍ଚାଏ ମହକ । ସମୁଦ୍ର ଭିତରେ ମୋତି , ବାଦଲ ପଛପଟେ ଜ୍ୱଳନ୍ତ ସୂର୍ଯ୍ୟ , ଆକାଶରେ ମଲାଜହ୍ନର ଏଲିଜି , ଅମୃତ କଳସରେ ବିଷ ଛାଇ ଆଲୁଅରେ ଥର ଥର କଡ ଲେଉଟଉଛି ଜୀବନ । ପ୍ରେମ ଆଉ ପ୍ରତ୍ୟୟର ବିଶ୍ୱାସ ଆଉ ସମ୍ଭାବନାର ଯଜ୍ଞବେଦୀରେ ଟୋପା ଟୋପା ଲୁହ ତଥାପି ଗଡୁଛି ଜୀବନ ନିଃଶବ୍ଦରେ , ନିରାଶର ଅନ୍ଧଗଳିରେ ନିଶୁନ ରାଜରାସ୍ତାରେ ଏକା ଏକା ସାଉଁଟିବାକୁ ଭିନ୍ନଏକ ସନ୍ଦୀପ୍ତ- ବାଳଭାନୁର ଉଦୟ ଉତ୍ସବକୁ ହସୁଛି ଜୀବନ ମୃତ୍ୟୁକୁ ପିଠିରେ ସବାର କରି ; ମରଣ ପଥେ ଜୀବନର ଜୟଗାନ କେତେ ସତ କେତେ ମିଛ କେତେ ସ୍ବପ୍ନ କେତେ ବାସ୍ତବ ଜୀବନ ଶୋଇଛି ଚୁପଚାପ ଏକ ଜୀବନ ନଥିବା ଶବଭଳି ସ୍ବପ୍ନ ବିହୀନ ପୃଥିବୀରେ ଗୋଟା ଗୋଟା ହାଇ ମାରୁଛି ସତେ ଯେମିତି ଆଉଥରେ ଶୋଇଯିବ ସବୁଦିନ ପାଇଁ ଘୁମନ୍ତ ପୃଥିବୀର ମୁକୁଳା ଛାତିରେ କିଛି ସ୍ବପ୍ନ ଅନେକ ଯନ୍ତ୍ରଣା ଟିକିଏ ହସ କାଣିଚାଏ ଭଲପାଇବା ଟୋପାଏ ବିଶ୍ୱାସ କିଛି ପ୍ରାପ୍ତି କିଛି ଅପ୍ରାପ୍ତି କିଛି ଆଶା ଆଉ ପ୍ରତିଶୃତିକୁ ନେଇ ତ ଜୀବନ। ସ୍ମୃତି ରଞ୍ଜନ ମହାନ୍ତି© 13.8 2020 All Copyrights Reserved smrutiweb.wordpress.com smrutitanuja.blogspot.com https://www.facebook.com/titutiku/ Picture-google ©Smruti Ranjan Mohanty #love_shayari ଯାତ୍ରା -19 ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି ଏବେବି ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି , ତମେ ବଞ୍ଚିଛ , ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।
#love_shayari ଯାତ୍ରା -19 ତଥାପି ବଞ୍ଚିଛି ଏବେବି ମୁଁ ବଞ୍ଚିଛି , ତମେ ବଞ୍ଚିଛ , ସେମାନେ ବଞ୍ଚିଛନ୍ତି ।
read more