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pramod malakar
देश का राजनीतिक सच (((((((((((((((((())))))))))))))))) मीडिया अगर सुधर जाए तो, मैं भी सुधर जाऊं और तुम भी सुधर जाओ। जो बोलने की आजादी है भारत में, रोक लगाने की कानून बन जाए तो मैं भी सुधर जाऊं और तुम भी सुधर जाओ। फिर नेता क्या चीज है................................ स्वार्थ हीं सही नेता देश को संभालता तो है, अपना जेब ना सही चोरों का खंगालता तो है। चार घंटे का मेहनत से लोग ऊंचा मुकाम चाहता है, बीस घंटा समय देकर नेता खुद को भी, खुशहाल और आराम चाहता है। जनता खुद लालची और काम चोर है......... बिना परिश्रम का मौज और मालामाल चाहता है, भ्रष्टाचार युक्त सरकारी काम चाहता है , राष्ट्र हित की बात करो तो आत्मा कराहता है। बातें बेतुकी लगती है कुछ लोगों को। प्रत्येक व्यक्ति फ्री का सामान चाहता है। प्रत्येक जाति अपने हाथ में सरकारी कमान चाहता है, जातिवाद रुपी झगड़े से मुक्त भारत भी अब सम्मान चाहता है । चावल फ्री, दाल फ्रि , शिक्षा और अस्पताल फ्री , बिना काम किए जनता सरकार से मोटा माल चाहता है, बिना परिश्रम का नौकरी और तनख्वाह चाहता है। सरकार चोरी करे डाका डाले , जनता खुद के लिए फ्रि का भोजन , व्यवस्था और पुर्ण विकास चाहता है.................................. जनता जातिवाद और राष्ट्रीय विरोधी सोच से, खुद को अलग कर ले तो, धर्मी भी सुधर जाए और अधर्मी भी सुधर जाए। मैं भी सुधर जाऊं और तुम भी सुधर जाओ। ************************************ प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar #देश का राजनीतिक सच
#देश का राजनीतिक सच
read moreDnyaneshwar Waghmare
जे लोक अन्न धान्याची वाटप करीत आहेत कोरोना च्या ह्या महामारी च्या संकट सम्ही.त्याचे मी माझ्या मनातुन खूप खूप आभार मानतो प्रंतु मी एक महत्त्व चा मुद्दा सांगुईछीतो माझ्या गोरे गरीब समाज ला की ते घ्यावे प्रंतु ..जर त्यावर का लेबल लावले ले असे ल तर ते.. तुम्ही आम्ही ते घेनार नाही.. का कारण तुम्हाला आम्हाला भविष्यात ते काय बोलतील आरे महामरीच्या टायमाला.. आम्ही तुम्हाला ईतका दिले होते ते तीक दान दिले होते की नाही मंग आम्ही तुम्ही खाली मान घालून सागळे निमुटपणे आयकुन घेतो काही च बोलु शकते नाही हें संकट आले आहे ना ते तसंच रहात नाही ते आज ना उध्य जानार राहनार नाही परंतु बोल मात्र जानार नाही हे लक्षात घ्या ते आज आपल्या ला खूप दया दाखवून देत त परंतु आपल्या ला खाली पाह्यलं लावतात बाकी आपन समजदार आहोतच.. ओला मित्र
ओला मित्र
read moreEk villain
हीरो की बहारों की उम्मीद थी लेकिन कहर ने धोखा दे दिया मनोहर और इतना साले किसी को कब तक बेवकूफ बनाया जा सकता है एक बार फिर पर हार का सामना करना पड़ा शहरों ने एक ऐसे समय में धोखा दे दिया जनता के समर्थन की गुहार को अनसुना कर दिया कुल मिलाकर उम्मीद इतनी भेद रंग ही की हीरो के मंथन करना पड़ा मारते हैं क्या नहीं करते जब करने के लिए जब तो वे जमानत के हिसाब से अलावा कुछ और नहीं हो पाया तो हार नेता मंथन ही करते क्या होता होगा किसी पार्टी की हार के बाद वह मंत्र की बैठक में जब देवता और राक्षसों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था तो एक सांप का मंथन के लिए रस्सी की तरह इस्तेमाल किया गया था क्या हारी हुई पार्टियों की बैठक में किसी को यह पता था कि वह देवताओं के दल की तरफ से रस्सी खींच रहा है या दानव के दल की तरफ से राजनीति ने राहुल तो अक्सर अपना भी इस बदलकर देवता दिखाते रहने की कोशिश करते हैं उन्हें पछताना कैसा होगा देवताओं के बीच तो एकरा होता लोकतंत्र में बहुत बुरे राहुल रूप बदलकर देवता बन पड़े हैं पार्टी यदि सहानुभूति का अमृत भारतीय होती होगी तो सांसदों को अलग से पहचानने की मत कर पाती होगी क्या ऐसा संभव नहीं है कि कोई पार्टी अपने बीच से बुरे लोगों को दूर करने की इमानदारी कोशिश करें तो इसमें गिनती के लोग बच जाए शायद कोई ना बचे फिर पार्टी क्या करेंगे मंथन कैसे होगा पार्टी को मंथन करना ही चाहिए हालांकि पार्टी के बड़े लोग जानते थे कि पार्टी के हैरान और क्यों हैरान है पार्टी के लिए अच्छा होता कि वह मंथन करें ©Ek villain #राजनीतिक दलों का मंथन #Connection
#राजनीतिक दलों का मंथन #Connection
read moreAkashdeep
हिंदुस्तान की राजनीति पर चंद लाईन ये हिंदुस्तान हैं मेरी जान यहाँ मंदिर तोड़ने वाले को महान ओर बचाने वाले को आतंकी पढ़ाया जाता हैं बलात्कारी को ईनाम ओर सहने वाले को तिरस्कार दिया जाता हैं देश की सीमा की रक्षा करने वाले को बलात्कारी और बलात्कार करने वालो को देशभक्त बताया जाता हैं ये हिंदुस्तान हैं मेरी जान यहाँ मंदिर तोड़ने वाले को महान पढ़ाया जाता हैं यहाँ देशभक्त को अंधभक्त ओर देशद्रोही नारे लगाने वालों को देशभक्त बोला जाता हैं यहां आतंकवाद का कोई मजहब नही पर आतंकवादी के जनाज़े में सैकड़ों रिश्तेदार नजर आते हैं ऐसे ही राज नही किया लुटेरों ने इस देश पर चंद सिक्कों के लिए गद्दारों ने बेचा हैं देश मेरा लेकर नही आये थे वो लुटेरे सेना अपने साथ शामिल थे कुछ हमारे भाई चंद रोटी के टुकड़ों के लिए नदियां बही थी लहू की इस देश की माटी में शामिल जो थे तुर्को की सेना में कुछ गद्दार इस वतन के जय हिंद जय भारत आकाशदीप जयपुर राजनीतिक
राजनीतिक
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