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VIIKAS KUMAR
👉महाकाल लोक के प्रवेश द्वार पर शिव के वाहन नंदी की चार मूर्तियां लगाई गई हैं । 👉मुख्य द्वार के दूसरी तरफ कमल कुंड है जिसके मध्य में 54 फीट शिव प्रतिमा है जिनके चारों ओर अलग अलग दिशाओं में चार शेर हैं जो भगवान शिव के दर्शन कर रहे हैं। 👉परिसर में छोटी-बड़ी करीब 200 मूर्तियां हैं जो भगवान शिव की लीलाओं का वर्णन कर रही हैं। 👉यहां सभी मूर्तिया FRP ( फाइबर रैन फोर्स प्लास्टिक ) से बनी है जिस पर मौसम का असर नहीं होता। और करीब 100साल तक खराब नहीं होंगी। 👉महाकाल लोक में 108 विशाल स्तंभ बनाए गए हैं। इन पर भगवान महादेव, शक्ति समेत भगवान गणेश और कार्तिकेय के चित्र उकेरे गए हैं। 👉मंदिर परिसर की दीवारों पर श्लोक लिखे हुए हैं उनका भावार्थ भी लिखा गया है जिससे लोगों को उनका अर्थ समझ में आ जायेगा । 👉महाकाल लोक में एक हिस्से में सप्त ऋषि कॉरिडोर है 👉महाकाल लोक में रोशनी की बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है जिसके कारण यह परिसर रात में भी जगमगाएगा , चारों ओर रोशनी से नहाया लगेगा 👉👉बारह ज्योतिर्लिंग में से चौथे नंबर का ज्योतिर्लिंग महाकाल की नगरी वर्षो से उपेक्षित थी जहां सुविधाओं का अभाव था , साफ सफाई की अच्छी व्यवस्था नहीं थी। जहां श्रद्धालुओं को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। मोदी सरकार ने यहां विकास का काम करके उज्जैन को बहुत बड़ा उपहार दिया है। ©VIKAS KUMAR #महाकाल लोक #महाकाल की नगरी
VISHNU SANADHAY
राम लक्ष्मण जानकी जय श्री राम की ©VISHNU SANADHAY राम नाम की लोक है
राम नाम की लोक है
read moreEk villain
प्राचीन सनातन ग्रंथों में पृथ्वी से उत्तर लोक की यात्रा किए जाने के उल्लेख आए हैं रामचरितमानस के अनुसार आर्य कांड में भगवान श्री राम जब सारभंग मुनि के आश्रम बोलते हैं तब मुनि कहते जाते हैं रहियो बिरंचि के दामाद सुनियो सरवन वन आया रामा चित्र वतन त्र्यू दिन राती अब प्रभु देख जुड़नी छाती अर्थ में तो ब्रह्मलोक जा रहा था किंतु सुना कि आप वन में पधार रहे हैं तो रुक गया दिन रात आपकी बाट देखता रहा अब आपका दर्शन करके छाती ठंडी हो गई गीता के नवम इस खंड में कूदी की कथा आई है इस कथा के अनुसार वह अपनी पुत्री रेवती के लिए वर तलाशने के क्रम में विचार-विमर्श हेतु ब्रह्मा जी के पास गए इन कथनों को अंत रंजीत या काल्पनिक कहना सत्य की खोज से मुंह मोड़ ना होगा हमारा योगेश शास्त्र बहुत उन्नति तथा और तत्व संबंधी ग्रंथों में से ऐसी योगिक क्रियाएं एवं विधाएं उल्लेखित हैं जिनसे अन्य लोग का सम्यक ज्ञान हो जाता है पतंजलि योग दर्शन के विभूति पाद में कहा गया है कि सूर्य में संयम करने से 14 वाहनों की जानकारी हो जाती है और चंद्रमा में संयम करने से तार गन की सही स्थिति पता चल जाती है व्यास भाष्य में इसका विस्तार भी दिया है अकाश गमन भी योग द्वारा संभव था और ऋषि गण ऐसा कर लेते थे सूत्र 42 में महर्षि पतंजलि कहते हैं कि शरीर और आकाश के संबंध में संयम करने अथवा रुई आदि हल्की वस्तु में संयम करने से योगी आकाश गगन कर लेता है वह स्कूल से सूक्ष्म और सूक्ष्म से स्कूल में परिवर्तित होने की कला जान जाता है अब यह ज्ञान केवल पढ़ लेने से हासिल और व्यवहार रूप से परिणित नहीं किया जा सकता आध्यात्मिक और योग विधि की उच्च स्तर की ऊंचाई पर पहुंचकर हम उस सत्य का साक्षात्कार कर सकते हैं वास्तव में यह गुरु गांव में है किंतु यह पूर्णता सही इन सभी पर काम होना चाहिए ©Ek villain # इत्र लोक की यात्रा #findyourself
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