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Stories related to गरीबों के नाम

सुसि ग़ाफ़िल

मैं बात करूं इस जमाने में , जहां दरिंदे घूमते रहते हैं इंसानों में । फिर बहन की इज्जत माटी कर दी , जहां देवी पूजी जाती उस घराने में ।। क्या

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मैं बात करूं उस जमाने में , जहां दरिंदे घूमते रहते है इंसानों में ।
फिर बहन की इज्जत माटी कर दी , देवी पूजी जाती है जिस घराने में ।।

बहन मनीषा पर हुए शर्मसार कृत्य पर कुछ लिखा है ।
अनु शीर्षक में पढ़ें जरूर 🙏 मैं बात करूं इस जमाने में , जहां दरिंदे घूमते रहते हैं इंसानों में ।
फिर बहन की इज्जत माटी कर दी , जहां देवी पूजी जाती उस घराने में ।।

क्या

Ravi

# गरीबों के लिए

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गौरव दीक्षित(लव)

गरीबों के त्योहार

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रंगों की दुकान से दूर हाथों में,
कुछ सिक्के गिनते मैंने उसे देखा।
एक गरीब बच्चे कि आखों में,
मैने होली की खुशियो को मरते देखा।

थी चाह उसे भी नए कपडे पहनने की,
पर उन्ही पूराने कपडो को मैने उसे साफ करते देखा।

हम करते है सदा अपने ग़मो कि नुमाईश,
उसे चुप-चाप ग़मो को पीते देखा।

जब मैने कहा, “बच्चे, क्या चहिये तुम्हे”?
तो उसे चुप-चाप मुस्कुरा कर “ना” में सिर हिलाते देखा।

थी वह उम्र बहुत छोटी अभी,
पर उसके अंदर मैने ज़मीर को पलते देखा।

दिन के उजाले में सारे शहर की होली की खुशियो मे,
मैने उसके हँसते, मगर बेबस चेहरें को देखा।

हम तो जिंदा है अभी शान से यहा,
पर उसे जीते जी शान से मरते देखा।

लोग कहते है, त्योहार होते हैं जिंदगी मे खुशियों के लिए,
तो क्यो मैंने उसे मन ही मन मे घुटते और तरसते देखा?
गौरव दीक्षित (राहुल) " गरीबों के त्योहार

Ashif

#गरीबों के प्यार

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Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी

गरीबों के सेवा के नाम पर.... कविता सेवा लूट वक्त violin कलमसत्यकी ✍️

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Ek villain

#गरीबों के हित की चिंता #Hope

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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को अलग 6 महीने तक बढ़ाने का केंद्र सरकार का निर्णय देश के करोड़ों गरीब परिवार के लिए राहत की एक बड़ी खबर है क्योंकि इसके पिछले साल नवंबर में इस योजना को 31 मार्च तक बढ़ाया गया था इसलिए उससे लावित होकर परिवार इस प्रश्न से दो-चार थे कि आगे क्या होगा यह प्रशन भी इस सतह पर आ गया क्योंकि ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि पांच राज्यों के चुनाव खत्म हो जाने के कारण शायद इस योजना को आगे ना बढ़ जाए इसकी वजह से यह भी की योजना 2 साल पहले कोविड-19 योगी सरकार ने दूसरी बार सत्ता की कमान संभालने के बाद अपना पहला फैसला है क्या कि राज्य में मुफ्त राशन आना तीन महान तक जारी होगा देशव्यापी स्तर पर इस योजना के लाभार्थियों ने की संख्या 80 करोड़ है इसी कारण अपने ढंग की सबसे बड़ी कल्याणकारी योजना है फिलहाल यह कहना कठिन है कि 6 माह बाद क्या स्थिति बनेगी लेकिन जब भी करो ना सका उनकी चौथी लहराने की आशंका हो तो कम है फिर केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकार को भी यह देखना चाहिए कि योजना के दायरे वाले गरीब आर्थिक रूप से सक्षम कैसे बने यदि यह भी देखना चाहिए कि आप पात्र लोग तो इस योजना का लाभ उठाना चाह रहे हैं गरीबों की राशि देने की योजना को ध्यान में रखकर संचालित की जानी चाहिए ना कि केवल राजनीतिक लाभ लेने के लिए योजना गरीबों के लिए अपने पैरों पर खड़े करते ही छोड़ देते हैं सुनने को मिलती है

©Ek villain #गरीबों के हित की चिंता

#Hope

HP

गरीबों के हक की छाती पर

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अरब देश अच्छे घोड़ों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ नबोर नामक व्यक्ति के पास बहुत बढ़िया घोड़ा था, ऐसा घोड़ा उस समय दूर दूर तक दिखाई न पड़ता था।

नबोर के नगर में उसका एक दूसरा प्रतिद्वन्द्वी दहेर नामक अमीर रहता था। उसकी बड़ी इच्छा थी कि किसी प्रकार नबोर का घोड़ा मेरे हाथ लग जाये। दहेर ने उस घोड़े की काफी कीमत लगा दी और नबोर को कई लालच दिये तथा धमकाया भी पर नबोर किसी प्रकार अपना घोड़ा देने के लिए रजामन्द न हुआ।

जब सारे उपाय निष्फल हो गये तो दहेर ने एक चाल चली। वह बीमार परदेशी का रूप बनाकर उस रास्ते के किनारे पड़ रहा जहाँ से अक्सर मुँह अन्धेरे नबोर निकला करता था। दहेर ने सोचा नबोर अत्यन्त दयालु है उसे इसी प्रकार छला जा सकता है।

नित्य की भाँति नबोर मुँह अन्धेरे जब उस रास्ते से निकला तो दहेर ने बीमार का जैसा बड़ा दर्द मन्द स्वर बनाकर पुकारा- “भाई घुड़सवार, मेहरबानी करके मुझे शहर तक पहुँचा दो, मैं परदेशी हूँ, बीमार हूँ, कमजोरी के मारे मुझसे उठा भी नहीं जाता, तुम मेरी मदद न करोगे तो यही पड़ा पड़ा मर जाऊँगा।”

नबोर का दयालु हृदय पिघल गया। वह घोड़े से उतरा और बीमार को उठाकर अपने घोड़े पर बिठा दिया और खुद पैदल चलने लगा। कुछ ही कदम चले थे कि उस छल वेशधारी दहेर ने घोड़े को एड लगाई और लगाम को झटका देकर आगे बढ़ा दिया। अब नबोर की आँखें खुलीं। उसने देखा कि दहेर ने मुझे धोखा दिया और इस प्रकार जाल बनाकर मेरा घोड़ा छीन लिया।

दहेर घोड़े को बढ़ाने लगा। नबोर ने कहा- दहेर, तुम घोड़ा ले चुके, अब इसे छीन सकना मेरे लिए कठिन है। पर जरा ठहरो, मेरी एक बात सुनते जाओ। दहेर ने कुछ दूर पर घोड़ा खड़ा कर लिया और कहा - जो कहना है जल्दी कहो। नबोर ने कहा- “देखो, किसी से इस बात का जिक्र न करना कि तुमने किस छल से मेरा घोड़ा लिया। क्योंकि यदि कोई आदमी सचमुच बीमार या पीड़ित हुआ तो लोग उसे धोखेबाज समझकर उसकी सहायता न करेंगे। इससे बेचारे दर्दमन्दों का हक छिन जायेगा और उन्हें बहुत दुख उठाना पड़ा करेगा।”

दहेर की अन्तरात्मा रो पड़ी। उसने कहा- गरीबों का हक छीनकर घोड़ा लेना मुझे मंजूर नहीं है। वह जीन पर से उतर पड़ा और घोड़े की लगाम नबोर के हाथ में देते हुये कहा- भाई आज से आपको गुरु मानता हूँ, आपने मेरी आँखें खोल दी, मैं समझ गया कि दूसरे की वस्तु लेना बुरा है, पर गरीबों के हक की छाती पर खड़ा होकर कुछ लेना और भी बुरा है मैं भविष्य में ऐसा न करूंगा।

नबोर ने दहेर को छाती से लगा लिया और अपना घोड़ा उसे पुरस्कार में दे दिया। गरीबों के हक की छाती पर

Gourav Acharya

गरीबों के लाचारीपण का मजाक ना बनाएं

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abhi garibon ke haat ese hi fele hua hen mere dost unki parthista par aanch naa aane den aap sabhi daan karte hen or unki lachaari ko photo or videos ke madhiyam se sosalmidia par dete hen ye bahut dukh jank he esa na karen daan karen or logon ko prerit karen daan karne ke liye lekin photo post mt kijiye ye meri vinti he aap sabhi se  गरीबों के लाचारीपण का मजाक ना बनाएं

Manavazhagan

#वडलुर वल्लर अरुडपेरुंज्योति के दिन गरीबों के लिए दान।

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saurabh ojha

कोरोना के कहर में गरीबों का दर्द।

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बेदाग चश्मे पर भी दाग सा दिख रहा है कुछ,
जानी -समझी दुनिया मे भी अनजान सा हो रहा है कुछ।
ऐ खुदा तूने ये क्या किया ,
फँसकर चल रही गरीबी की घड़ी भी रोक दी तूने।
ऐ खुदा ये तूने क्या किया,
गरीबों की गरीबी भी छीन ली तूने।
जाएँ दरवाजे पे किसके तेरा तो बंद है,
गाएँ दुख -दर्द किससे ,
बाकी तू खुद ही अक्लमंद है।
......बेदाग चश्मे पर भी दाग सा दिख रहा है कुछ,
जानी -समझी दुनिया मे भी अनजान सा हो रहा है कुछ।
                                        -सौरभ ओझा। कोरोना के कहर में गरीबों का दर्द।
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