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Stories related to संपादक के नाम पत्र

manoj gariya

#प्रिय के नाम पत्र

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 #प्रिय के नाम पत्र

Dayal "दीप, Goswami..

पत्र गुमनाम सपूतों के नाम,,

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एक खत उनके नाम , जो हो चुके आज गुमनाम,
रात के अधियारे में, जुगुनू सी रोशनी बिखेरी जिन्होंने,
आज हो चुके हो अब दिवस के उजियारे में अंतर्ध्यान,
क्या कभी याद किया उनको , और उनका वो बलिदान,
किया  सर्वस्व त्याग , मातृ भूमि के लिए खुद को कुर्बान ।

तुम मर कर भी अमर हो गए,
 मातृ भूमि के कण कण में तुम्हारी पहचान,
हे भारत माता के वीर सपूतों,
करते हम तुमको नमन और शत् शत् प्रणाम।

©Dayal "दीप, Goswami.. पत्र गुमनाम सपूतों के नाम,,

gunjan jain

#एक पत्र मां के नाम

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एक पत्र माँ के नाम,

 माँ,
           कुछ अनकही बातें, 
          आज तुम्हे कह देती हूँ,
 ममता और स्नेह को तुम्हारे
मीठी सी इक पप्पी देती हूं।😘
 
कुशलता की गर बात करूँ,
झोली भर-भर खुशियां दी तुमने, 
परवाह इतनी की तुमने मां, कि
गर्व से आँखों मे चमक भर लेती हूं।
 ममता और स्नेह को तुम्हारे
 मीठी सी इक पप्पी देती हूं।😘

विपत्ति में धैर्य न खोना ,
 जब बिगड़े बात भी बना लेना,
अनगिनत,अनमोल तुम्हारी सीखे, 
मां,जीवन में हर पल उतारे लेती हूं
तुम्हारी ममता और स्नेह को
आज मीठी सी पप्पी देती हूं,😘
                    
     हमेशा तुम्हारी लाड़ली बेटी
12/5/20

©gunjan jain #एक पत्र मां के नाम

Prashant Shankar

एक पत्र खुद के नाम।

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प्रिय स्वयं,

अपना खुद का ख्याल रखना , और उससे भी ज्यादा ख़्याल रखना अपने कोमल अनुभवों का  अपनी पवित्र भावनाओ का , ख़्याल रखना कि कोई तुम्हे भीतर से आहत और विक्षिप्त ना कर पाए  क्योंकि आपके ये कोमल एहसास किसी खूबसूरत इमारत की तरह नहीं जिसे बार बार तोड़कर भी एक खूसूरत दीदार दिया जा सके ये तो शीशे के उस खूबसूरत खिलौनों कि तरह होते हैं जिससे दुसरे सिर्फ खेलना जानते हैं जिसे टूटने पर वापस जोड़ा तो जा सकता है लेकिन वो निशान ताउम्र आपको ये एहसास दिलाते है कि आपकी अनुभूतियों को अपने वास्तविक स्वरूप में स्वीकार किया जायेगा ऐसा अपेक्षित होना व्यर्थ है।

अपना ख्याल रखना, क्योंकि  इस संसार में यदि कोई है जो आपके प्रेम दया करुणा और क्षमा के योग्य है तो केवल आप है, यदि कोई है जो आपसे नहीं केवल आपके प्रेम से प्रेम करता है आपकी शुद्ध भावनाओ और सौम्य एहसासों की सबसे ज्यादा जिसे अनुभूति हो सकें , वो केवल आप है, अपेक्षित होकर इसे अपने बाहर खोजना आपको अंदर से आहत और विक्षिप्त ही करेगा।

अपना ख़्याल रखना, क्योंकि जीवन एक किताब की तरह है जिसमें आपके अनुभव पन्ने की तरह होते है जो कि विपरित परिस्थति रूपी हवाएं आने पर बार बार आपके समक्ष आएंगे जब भी आपको भावनात्मक रूप से मजबूत होना होगा आपके ये कड़वे अनुभव आपको विचलित करेंगे, इसलिए ख्याल रखना अपने अनुभवों का कि वो कभी भी आहत ना होने पाए , अपनी पवित्र और सौम्य भावनाओं का कि वो कभी भी दूसित न होने पाए, समस्त संसार के प्रति आपके दिल में व्याप्त प्रेम और अपनत्व हमेशा जीवंत रहे।। एक पत्र खुद के नाम।

manoj gariya

स्वरचित :- प्रिय के नाम पत्र

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 स्वरचित :- प्रिय के नाम पत्र

Mamta kumari

पुत्री का पत्र पिता के नाम ।

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प्रिये माँ और पापा 
                           सादर प्रणाम मैं आपके कृपा से ठीक हूँ आशा है कि आप सभी भी ठीक होंगें ।मैं यहाँ रात-दिन मेहनत करती हूँ कि आपके सपनें को साकार कर सकूं ।और आपके उमीद पर खड़ा हो सकू। और मैं क्या लिखूं बड़ो को प्रणाम छोटो को मधुर प्यार ।

                    आपके तनुजा 
                   ममता ।

©Mamta Kumari पुत्री का पत्र पिता के नाम ।

motivation

#विद्यार्थियों के नाम पत्र। #भगत सिंह

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Sneh Prem Chand

शहीद का पत्र वीरांगना के नाम #SADFLUTE

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Orender Singh

दादा-दादी के नाम खुला पत्र #deargrandparents

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सादर वन्दन, 
काश आज हमारे बीच होते तो निश्चय ही अपने भरे पूरे प्रसन्न एवं सम्पन्न परिवार को देखखर अत्यंत खुश होते! हम सभी परिजन आपको बहुत याद करत हैं मैं आपकी आत्मीय शांति की कामना करता हूँ ! 
आपका पौत्र ओरेन्दर सिंह

©Orender Singh दादा-दादी के नाम खुला पत्र

#deargrandparents

Hemant Rai

पत्र!

सुनो मेरे, देश के धार्मिक और मज़हबी मजनुओं
गर, फुरसत मिले ‘पत्र’ लिखने से 
अपने ‘धर्म’ के प्यार को।
तो एक पत्र और लिख लेना,
इस देश की सरकार को।।

कुछ सवाल भी लिखना...
भले ही तुम इस्तेमाल करो,
अल्प,अर्ध और पूर्ण विराम का।
भले ही आखिर में नाम लिखना
 ‘अल्लाह’ या श्री ‘राम’ का।
 पर तुम लिखना ज़रूर।
 
तुम आज़ाद हो पूर्ण रूप से,
पिश्चिम की ओर झुकने के लिए,
और इंसानियत को अपने आगे झुकने के लिए।

हां, कुछ भी करने के लिए,
पत्थर को पूजने के लिए,
और स्वयं पत्थर होकर,  
पत्थर से ही किसी को कूटने के लिए।
तुम आज़ाद हो पूर्ण रूप से।।

तुम सवाल करना...
मीडिया चैनलो और अख़बार से,
कि, बरग़लाना ज़रूरी है क्या?
ख़ुद हकला-हकला कर, 
लोगो को डराना ज़रूरी है क्या??

तुम सवाल करना...
चौक पर लाठी घुमाते संतरियो से,
दंगो के वक़्त ये लाठी टूट जाती है क्या?
सवाल करना झूठे वादो के मंत्रियों से,
सरकार ना बनने पर इनकी अम्मा रूठ जाती है क्या??

कुछ सवाल करना... 
उन गुमानमो से, अपने जैसी आवामो से!
कि, जीने के लिए ‘इंसानियत’ ज़रूरी है, या ‘ईर्ष्या’?
‘धर्म’ ज़रूरी है, या ‘मनुष्यता??

क्यूंकि, तुम ‘आज़ाद’ हो पूर्ण रूप से!!

। हेमंत राय । 🙏 #Nojoto #कविता #हिन्दू #मुस्लिम 
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