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Poet Kuldeep Singh Ruhela
White असत्य पर सत्य की विजय की तैयारी है रावण पर राम भारी है करके वध रावण का माता सीता को लायेंगे लंका पर राम ध्वजा विजय दशमी पर लहराएंगे ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Ram_Navmi असत्य पर सत्य की विजय की तैयारी है रावण पर राम भारी है करके वध रावण का माता सीता को लायेंगे लंका पर राम ध्वजा विजय दशमी पर
#Ram_Navmi असत्य पर सत्य की विजय की तैयारी है रावण पर राम भारी है करके वध रावण का माता सीता को लायेंगे लंका पर राम ध्वजा विजय दशमी पर
read moreBharat Bhushan pathak
माठमà¥à¤à¥‡ वरदान दो की रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।। भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके। जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।। ©Bharat Bhushan pathak रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप
रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप
read moreHimanshu Prajapati
White मोहब्बत में भारी पड़ गया उसके पीछे पीछे जाना 'खाया पिया कुछ नही, गिलास तोडा बारह आना..! ©Himanshu Prajapati #good_night मोहब्बत में भारी पड़ गया उसके पीछे पीछे जाना 'खाया पिया कुछ नही, गिलास तोडा बारह आना..! #36gyan #hpstrange शुभ विचार नये अच्छ
#good_night मोहब्बत में भारी पड़ गया उसके पीछे पीछे जाना 'खाया पिया कुछ नही, गिलास तोडा बारह आना..! #36gyan #hpstrange शुभ विचार नये अच्छ
read moreधाकड़ है हरियाणा
धाकड़ है हरियाणा
Ravendra
लखीमपुर- पलिया भीरा नेशनल हाईवे पर पानी का बहाव तेज आवागमन सभी साधन हुए बंद तराई इलाकों में बाढ़ से हालात फिर खराब होने की आशंका हुई बहुत
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है खेत की सारे जुताई दी है गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्ने की पिराई दी है ये रक़म हाथ न ऐसे आयी भर के बोरी आज राई दी है ख़ूब ऊँचा है किसानों में जो बीच में छोड़ पढ़ाई दी है आज औलाद मज़ा है करती क्योंकि हमने ही ढिलाई दी है आसमां छू रही मँहगाई को कर में देखा न रिहाई दी है घूस से तोंद उन्हीं की भारी जिनके कपड़ों की सिलाई दी है ये फ़सल आज प्रखर तुम देखो इसकी हमने ही सिंचाई दी है महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है खेत की सारे जुताई दी है गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्न
ग़ज़ल :- ख़ैर उसने तो बताई दी है आपने जो भी सफ़ाई दी है जेब से अपने कमाई दी है खेत की सारे जुताई दी है गुड़ तो यूँ ही न बना है भाई पहले गन्न
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