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Aurangzeb Khan
एक मैं ही नहीं जो तन्हा सफर करता हूं ऐ औरंगज़ेब मैंने उसे पपीहे को भी खुश देखा है जिसका कोई हमसफ़र ही नहीं ©Aurangzeb Khan #तन्हाई#मेरी
Himanshu Prajapati
White थोड़ी तन्हाई थोड़ी लड़ाई भी जरूरी है मोहब्बत में, पर इसका मतलब ये नहीं की सामने वाले का सर ही फोड़ दे..! ©Himanshu Prajapati #Sad_Status थोड़ी तन्हाई थोड़ी लड़ाई भी जरूरी है मोहब्बत में, पर इसका मतलब ये नहीं की सामने वाले का सर ही फोड़ दे..! #36gyan #hpstrange
#Sad_Status थोड़ी तन्हाई थोड़ी लड़ाई भी जरूरी है मोहब्बत में, पर इसका मतलब ये नहीं की सामने वाले का सर ही फोड़ दे..! #36gyan #hpstrange
read moreFAKIR SAAB(ek fakir)
तन्हाई है वीराना है खामोशी है सन्नाटा है ये बस्ती उजड़ चुकी है अब यहां कौन आता जाता है ©FAKIR SAAB(ek fakir) #Couple तन्हाई
#Couple तन्हाई
read moreBrsolanki
White दरमियान तो हरदम रहे करीब रहे ना सके। सैलाब था दिल में लब्ज़ कुछ कहे ना सके। आज भी रूहमें मौजूदगी चांद सी रोशन है, हासिल रहे हर लम्हा,तुम हमे ढूंढ ना सके । अंदर ही अंदर जलाती रही तन्हाई की आग, आए गए बारिशोंके कई मौसम बुज ना सके। ©Brsolanki #तन्हाई
Rudradeep
White सच्चाइयों से मुंह मोड़ना गवारा नहीं है हमें जीने के लिए फिर भी बहाना सीखा है जिस महफ़िल में मिलती हैं सदा तन्हाईयां उस महफ़िल से भी दिल को लगाना सीखा है ©Rudradeep #महफिल #हम #तन्हाई
Anjali Singhal
"तन्हाई में जब यादों का जमघट लग जाता है, कई यादें कहाँ खो गईं पता नहीं चल पाता है! बिछड़ी राहों से जब कभी गुज़रा जाता है, उन खोई हुई यादों
read moreबदनाम
White तू साथ है, पर तुझे पा भी न सका, तेरे पास होते हुए भी, मैं खुद से दूर हूँ। "वो बोली, "कभी मुझसे नफ़रत की?" मैंने कहा, "नफ़रत? नहीं, वो भी कहाँ होती है, तू मेरी नफरत में भी मोहब्बत है, तेरे बिना ये जख़्म बेमानी है, और तेरे साथ ये ज़िन्दगी अधूरी है। "वो चुप हुई, आँखों में एक खामोश सवाल, मैंने कहा, "तू मदीरा है, पर मैं भी एक शायर हूँ, हम दोनों अधूरे हैं, पर एक-दूसरे से पूरे, तू मेरे अशआर की खुशबू है, और मैं तेरे नशे की तन्हाई।" ©बदनाम मैं तेरे नशे की तन्हाई
मैं तेरे नशे की तन्हाई
read moreShashi Bhushan Mishra
White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #मिली अकेली तन्हाई#
#मिली अकेली तन्हाई#
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