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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत मन की गति को रोक न पाये , जो भी इस धरती पे आये । मन के बहकावें में भैय्या , सब कुछ अपना खो के आये ।। मन की गति को रोक न पाये..... मन ये मंथन करता रहता , तेरा मेरा कहता रहता । सोचो इस पे पुनः आप भी , क्यों ऐसे ये बहता रहता ।। ध्यान धरो बस इतना भैय्या , नहीं किसी का आने पाये । मन की गति को रोक न पाये.... गति पवन कि तब अति शीतल है , हो मापदंड पे जो निश्चित । जरा तेज गति में जो बहती , हो जाते सब ही फिर चिंतित ।। इच्छा बनें नहीं सुन इर्ष्या , इतना मन काबू में लाये । मन की गति को रोक न पाये ..... बिजली रानी करे उँजाला , दुबका बैठा है अँधियारा । मौका पाते पैर पसारे , हर प्राणी इससे है हारा ।। करो उजाला वो जीवन में , संसार नहीं जलने पाये । मन की गति को रोक न पाये.... मन की गति को रोक न पाये , जो भी इस धरती पे आये । मन के बहकावें में भैय्या , सब कुछ अपना खो के आये ।। १९/०२/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत मन की गति को रोक न पाये , जो भी इस धरती पे आये । मन के बहकावें में भैय्या , सब कुछ अपना खो के आये ।। मन की गति को रोक न पाये.....
गीत मन की गति को रोक न पाये , जो भी इस धरती पे आये । मन के बहकावें में भैय्या , सब कुछ अपना खो के आये ।। मन की गति को रोक न पाये.....
read moreअज्ञात
पेज-92 यहाँ आज हर बहन भोजन के साथ बारात में आये आनंद की चर्चाओं में व्यस्त हैं... विशाल जी नौसाद साहब बड़े चाव से प्लेट पर डोसा लिये बतिया रहे हैं... सुमित भैया कॉफी का लुफ़्त लेते दिख रहे हैं जिनकी बगल में इरफान भाई मोबाईल पर विडिओ बना रहे हैं... यहाँ से यशपाल जी पूरी लेने को आते दिखते हैं... देवेश जी का भोजन लगभग हो चुका.. शायद अब वो मिष्ठान की ओर बढ़ रहे हैं.. जेपी साहब अभी धीरे धीरे हर व्यंजन का स्वाद लेने उत्तर से दक्षिण पूरब से पश्चिम चारों ओर भ्रमण पर हैं... कहीं संदीप शब्बीर जी हिसाम साहब के साथ दही बल्ले तोड़ रहे हैं.. तो कहीं शर्मा जी अपने भावी विवाह की योजना इस आभासी विवाह को आधार मान, गुणांक पर गुणांक करते जा रहे हैं और मीठे पर मीठा लिये जा रहे हैं..सुभ्रो जी अब्र जी के साथ हो लिये और आपस में कथाकार की त्रुटियों पर सूक्ष्म विश्लेषण कर किसी निष्कर्ष की पहुंचना चाह रहे हैं मगर हाथों में रखी प्लेट और प्लेट में रखी जलेबियाँ उन्हें पहुंचने नहीं दे रहीं.. शुक्र है स्टॉल के बगल में ही खड़े हुये हैं वरना कितनी बार आना जाना पड़ता उन्हें... कथाकार को किसी के आने की आहट हुई.. आगे कैप्शन में.. 🙏 ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-92 कथाकार ने देखा, बिजली रानी के साथ ताऊ जी सीधे विशाल जी की तरफ बढ़े आ रहे हैं... ये आये... ये आ गये .. ये.. ये... और
#रत्नाकर कालोनी पेज-92 कथाकार ने देखा, बिजली रानी के साथ ताऊ जी सीधे विशाल जी की तरफ बढ़े आ रहे हैं... ये आये... ये आ गये .. ये.. ये... और
read moreArora PR
White बादलो मे छुपी बिजली ने तय कर ली हैं वो जगहकि कहा.जा कर उन्हें गिरना हैं तभी तो मै उनकी गड़गड़ाहट सुनते ही मै अपना घर और छप्पर संभाल लेता हूँ ©Arora PR बिजली
बिजली
read morekunti sharma
बड़े हरजाई होते है वफा और प्यार की वो कीमत नहीं जान पाते इसलिए हमेशा अकेले रहते हैं ©kunti sharma #बिजली
sweta kumari swati
हुस्न के जाम महफिल में छल खाने वाले लोग, तुम्हें क्या पता दर्द क्या होता है, और जो इस जाम को होठों से सटा, उस इंसान पर इसका असर क्या होता है, बाहर के मौसम में पतझड़ क्या होता है, के के समंदर में सिकंदर कौन होता है, हुस्न के जलवों से बिजली गिराते हो, तुम्हें क्या पता दीवानों पर इस बिजली का असर क्या होता है। ©sweta kumari swati बिजली
बिजली
read moreAshish Gupta
अब बिजलियों का ख़ौफ़ भी दिल से निकल गया ख़ुद मेरा आशियाँ मेरी आहों से जल गया ©Ashish Gupta #बिजली
kabeer Qalb
दिल पे बिजली गिराने वाले लोग आखों पर पड़े परदे हटा देते है जिन को समझते है हम जिंदगी वो औकात अपनी दिखा देते है ©kabeer Qalb #बिजली