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Arjun Negi
White विचारों का युद्ध मन के भीतर शोर मचता, ख्यालों का तूफान है चलता। ध्यान की किरने, संशय के बादल, मन के द्वार पर चलती हलचल। सपनों की तलवारें चमकती, संशय की रेखा धुंधली जाती। आशा की दीवारें सुदृढ़ खड़ी, भय की लहरें करती चढ़ाई। सच और झूठ का होता संवाद, मन के भीतर चलता विवाद। कौन है सच्चा, कौन भ्रमित, इस युद्ध में सब है नियंत्रित। शांति का संदेश पास है आता, लेकिन हर विचार निशान छोड़ जाता। युद्ध ये नीरव, पर गहरा, सोचों का संग्राम है चिरस्थिर और ठहरा। ©Arjun Negi #thoughwar #poems #Uttarakhand #Chamoli SUDHIR PANDEY Shamit Agarwal
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read more*kridha*
White मेरी सबको एक ही सलाह , स्टेटस पे अपनी खुशियां न लगाए,, इसमें ही है आपका भला।। जीवन जितना निजी रहेगा,, आनंद में उतने रहोगे.. दुनियां को जितना बताओगे , दिखाओगे दुख में ही छटपटाते रहोगे।। ©Kridha #jeevankiseekh #Anubhav #K❣️
Parveen kaushik 'Jaani'
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read more_बेखबर
White बात सुने बगैर ही बात समझाते हैं ये लोग आखिर कौन हैं, कहां से आते हैं ये लोग हर बात पर इनको अपना ज्ञान पेलना है इतना ज्ञान आखिर कहां से लाते हैं ये लोग अपने घर में कोई सुनता नहीं इन जैसों को हमको ही खामखां पागल बनाते हैं ये लोग ©_बेखबर #Poetry urdu poetry poetry in hindi poetry sad poetry poetry quotes
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read moreKhalil Siddiqui
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read moreSen
kajal Agarwal ©Sen sexy actress Kajal Agarwal #Agarwal #kajal # #Navel
Sen
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Sharif Balak
White दूसरा इश्क ना करूं बेहतर है, तेरे हिज़्र में रहूं बेहतर है , तू कहीं भी ना मिले मुझे और मैं तुझे ढूंढता रहूं बेहतर है, तू जहां चाहे पेश हो जाऊ बेहतर है तू ना चाहे तो ना दिखूं बेहतर है ! तेरी हर बात पर झुका दूं सर , तेरी हर बात पर झुका दूं सर तेरी हर बात पर कहूं बेहतर है !! ©Sharif Balak #SAD #Yogita Agarwal
Rajbali maurya
White बुद्ध का मार्ग सत्य का अनुभव करना है ६. बोधि प्राप्त करके बुद्ध ने यह अनुभव किया कि बुद्धि से या भक्ति से मुक्त नहीं हुआ जा सकता है, कोई व्यक्ति मुक्त तभी हो सकता है जब वह अनुभूति के धरातल पर सत्य का अनुभव करता हो। विपश्यना के अभ्यास से प्रज्ञा प्राप्त की जा सकती है। कोई प्रवचन भले सुन ले, धार्मिक ग्रंथ भले पढ ले और बुद्धि का प्रयोग करके भले यह समझ ले कि हां - बुद्ध की शिक्षा अद्भुत है, उनके द्वारा बतायी गई प्रज्ञा अद्भुत है, लेकिन ऐसा कहने से प्रज्ञा का साक्षात्कार नहीं होता। ... नाम और रूप का सारा क्षेत्र - छह इंद्रियां और उनके अलग-अलग विषय सभी अनित्य हैं, दुःख हैं तथा अनात्म हैं। बुद्ध का उद्देश्य था कि हम सभी इस सच्चाई का अपने भीतर अनुभव करें। इस काया के भीतर सच्चाई को पर्यवेक्षण करने के लिए उन्होंने दो क्षेत्रों को निर्दिष्ट किया। एक तो रूप है, काया है यानी, भौतिक संरचना और दूसरा नाम है या मन है जिसके चार अंग हैं, विज्ञान, संज्ञा, वेदना और संस्कार। बुद्ध ने दोनों क्षेत्रों के पर्यवेक्षण के लिए कायानुपस्सना और चित्तानुपस्सना की विधि बतायी। ~ सत्यनारायण गोयनका ©Rajbali maurya anubhav
anubhav
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