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Muralidhar baliarsingh
Four vedas are the holy books of Hinduism..... ©Muralidhar baliarsingh Four Vedas...
Four Vedas...
read moreवेदों की दिशा
यजुर्वेद अध्याय ४० मंत्र १२ यही मंत्र ईशोपनिषद का १२ मंत्र भी है। अ॒न्धन्तमः॒ प्र वि॑शन्ति॒ येऽवि॑द्यामु॒पास॑ते। ततो॒ भूय॑ऽइव॒ ते तमो॒ यऽउ॑ वि॒द्याया॑ र॒ताः अ॒न्धम्। तमः॑। प्र। वि॒श॒न्ति॒। ये। अवि॑द्याम्। उ॒पास॑त॒ इत्यु॑प॒ऽआस॑ते ॥ ततः॑। भूय॑ऽइ॒वेति॒ भूयः॑ऽइव। ते। तमः॑। ये। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। वि॒द्याया॑म्। र॒ताः ये) जो मनुष्य (अविद्याम्) अनित्य में नित्य, अशुद्ध में शुद्ध, दुःख में सुख और अनात्मा शरीरादि में आत्मबुद्धिरूप अविद्या उसकी अर्थात् ज्ञानादि गुणरहित कारणरूप परमेश्वर से भिन्न जड़ वस्तु की (उपासते) उपासना करते हैं, वे (अन्धम्, तमः) दृष्टि के रोकनेवाले अन्धकार और अत्यन्त अज्ञान को (प्र, विशन्ति) प्राप्त होते हैं और (ये) जो अपने आत्मा को पण्डित माननेवाले (विद्यायाम्) शब्द, अर्थ और इनके सम्बन्ध के जानने मात्र अवैदिक आचरण में (रताः) रमण करते (ते) वे (उ) भी (ततः) उससे (भूय इव) अधिकतर (तमः) अज्ञानरूपी अन्धकार में प्रवेश करते हैं These people who (avidyam) are eternal in eternity, pure in impure, happiness in sorrow and self-enlightened avidya in self-righteousness, that is, that is, knowledgeless virtuous cause (worship) of the root thing different from God, they (blind, tamah) of vision. Obstructing darkness and extreme ignorance (pry, visinti) are attained and (these) those who consider their soul as a scholar (vidyam), know (rātāh) in mere impersonal conduct (te) they (u) ) Too (sic) from him (Bhuya Eve) enters into (mostly) ignorant darkness. #vedas #Dharma
वेदों की दिशा
।। ॐ ।। अभ्रातरो न योषणो व्यन्तः पतिरिपो न जनयो दुरेवाः। पापासः सन्तो अनृता असत्या इदं पदमजनता गभीरम् ॥ पद पाठ अ॒भ्रा॒त॑रः। न। योष॑णः। व्यन्तः॑। प॒ति॒ऽरिपः॑। न। जन॑यः। दुः॒ऽएवाः॑। पा॒पासः॑। सन्तः॑। अ॒नृ॒ताः। अ॒स॒त्याः। इ॒दम्। प॒दम्। अ॒ज॒न॒त॒। ग॒भी॒रम्॥ जो (अनृताः) मिथ्या बोलने और (असत्याः) मिथ्या आचरण करनेवाले (दुरेवाः) दुष्ट व्यसनों से युक्त (पापासः) अधर्माचरण करते (सन्तः) हुए दुष्ट (अभ्रातरः) जैसे बन्धुभिन्न जन (नः) वैसे और जैसे (योषणः) स्त्रियाँ (पतिरिपः) पति की भूमि को (न) वैसे (व्यन्तः) प्राप्त हुईं (जनयः) स्त्रियाँ (इदम्) इस (गभीरम्) गम्भीर (पदम्) स्थान [दुःख] को (अजनत) उत्पन्न करती हैं, वे सदा ही ताड़न करने योग्य हैं ॥ Those who (frivolous) misinformed and (untouchable) misdemeanors (dureva:) wicked addicts (papasah) are in vain The land of (n) is like (vyantah) received (janya), women (idam) produce this (gabhiram) gambhir (padam) place [sorrow] (unborn), they are always worthy of thrashing. ( ऋग्वेद ४.५.५ ) #rigveda #Vedas #women
s....ishu
उड़ती रहूं बेफिक्र गगन में ऐसे मेरे हालात नहीं छू लूं उन चांद तारो को इतने लंबे मेरे हाथ नहीं कैद कर सकू इन हवाओं को अपनी मुठ्ठी में मेरे बाजुओं में वो बात नहीं समुंदर की लेहरो में पांव रख सकू इतनी अभी मेरी औकात नहीं। sm,❤️✍️ #nojoto hindi# four liner's#thought
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