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neelu

#Dhanteras #कल और #आज में क्या है.. कल #चोट लगती थी.. आज दवा लगाते थे. आज दवा लगाते हैं त1की ..... कल चोट ना लग जाए.. कल #दिया जलाते थे ...

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White कल और आज में क्या है..
कल चोट लगती थी..
 आज दवा लगाते थे.
आज दवा लगाते हैं त1की .....
कल चोट ना लग जाए..
कल दिया जलाते थे .....
 आज अंधेरा ना हो जाए...
आज दिया जला के रखते हैं
त1की कल अँधेरा ना हो जाए..

©neelu #Dhanteras #कल और #आज में क्या है..
कल #चोट लगती थी..
 आज दवा लगाते थे.
आज दवा लगाते हैं त1की .....
कल चोट ना लग जाए..
कल #दिया जलाते थे ...

Veer Tiwari

पूस की रात

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पूस की रात - मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी है, जो एक गरीब किसान हल्कू की जिंदगी के संघर्ष और उसकी विवशता को बेहद मार्मिक ढंग से प्रस्तुत करती है। यह कहानी ग्रामीण भारत की गरीबी, शोषण, और मनोस्थिति को दर्शाती है, जो आज भी कई रूपों में प्रासंगिक है।

कहानी का सारांश

कहानी का मुख्य पात्र हल्कू एक छोटा किसान है, जो अपनी जमीन पर फसल उगाता है। उसकी जिंदगी गरीबी से जूझती रहती है, और कर्ज चुकाने की मजबूरी में उसे हमेशा समझौते करने पड़ते हैं। एक बार फिर से उसे कर्ज चुकाने के लिए अपनी कमाई से कंबल खरीदने का सपना छोड़ना पड़ता है, और ठिठुरती ठंड में रात के खेत की रखवाली के लिए जाना पड़ता है।

पूस की ठंडी रात में वह अपने कंबल की कमी से ठिठुरता है, लेकिन उसकी हालत ऐसी है कि वह कुछ नहीं कर सकता। ठंड से बचने के लिए वह अपने कुत्ते झबरा के पास सटकर सोने की कोशिश करता है, और अंत में ठंड से हारकर वह अपनी हालत पर हंसने लगता है। कहानी का अंत यह दिखाता है कि हल्कू अगले दिन की चिंता किए बिना, उस क्षण की ठंड से राहत पाने के लिए सब कुछ छोड़कर झबरा के साथ खेत छोड़कर चला जाता है।

विशेषताएं और आज के समय की तुलना

1. ग़रीबी और विवशता: हल्कू की हालत उस किसान की है, जो कर्ज, शोषण, और आर्थिक तंगी से जूझता है। यह स्थिति आज भी कई गरीब किसानों और मजदूरों की सच्चाई है, जो अपने मूलभूत ज़रूरतों को भी पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहते हैं। चाहे आज की दुनिया में कितनी भी तरक्की क्यों न हो जाए, परंतु इस वर्ग के लोग अब भी कई समस्याओं से जूझ रहे हैं।

2. मानसिक पीड़ा और उम्मीद की झलक: हल्कू का ठंड में ठिठुरना और खुद को सांत्वना देना यह दिखाता है कि इंसान कैसे विषम परिस्थितियों में भी अपने मनोबल को बनाए रखने की कोशिश करता है। आज भी लोग कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने मानसिक संतुलन और उम्मीदों को बरकरार रखने का प्रयास करते हैं।

3. प्राकृतिक कठिनाइयाँ: कहानी में ठंड और सर्दी का ज़िक्र उन प्राकृतिक चुनौतियों का प्रतीक है, जिनसे किसान हर दिन जूझते हैं। आज भी बदलते मौसम और प्राकृतिक आपदाएं किसानों की जीविका पर गहरा असर डालती हैं, और यह समस्या आज की वास्तविकता के साथ भी मेल खाती है।

सीख और संदेश

संघर्ष की हकीकत: कहानी यह सिखाती है कि जीवन में असली संघर्ष बाहरी समस्याओं से नहीं, बल्कि भीतर की मजबूरियों और हालातों से होता है। हल्कू का संघर्ष उसकी गरीबी के खिलाफ नहीं, बल्कि ठंड से राहत पाने के लिए खुद से किया गया संघर्ष है।

वास्तविकता का सामना: कहानी यह भी दिखाती है कि गरीबी और जरूरत के सामने इंसान की इच्छाएं और सपने कैसे बेमानी हो जाते हैं। हल्कू का अपनी हालत पर हंसना यह दर्शाता है कि वह खुद की हालत को स्वीकार कर चुका है।

पूस की रात अपने छोटे कलेवर में बड़े सामाजिक मुद्दों को उठाती है और यह दिखाती है कि कठिनाइयों के सामने भी इंसान अपने मन को समझाने के तरीके ढूंढ लेता है। प्रेमचंद ने इस कहानी के जरिए वास्तविकता को बेहद मार्मिक ढंग से उकेरा है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है, जितनी उस समय थी।

✍️Veer Tiwari

©Veer Tiwari पूस की रात

Shiv Narayan Saxena

#good_night वस्ल की रात में.....

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White ना अमां का समां और ये आसमां
तारे झलमल करें  देखता आसमां
मुस्कुराते हैं अब सब दीये प्यार में
मिल तो ले सनम वस्ल की रात में

©Shiv Narayan Saxena #good_night वस्ल की रात में.....

Praveen Jain "पल्लव"

#GoodMorning दिन रात अगर ना होते #nojotohindi

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White पल्लव की डायरी
उदय और अस्त होता सूरज
धरा को प्रभावित करता है
किरणे जब होती तीव्र 
तब अनाज खेतो का पकता है
मौसमो की उपलब्धि  से ही
मानव जीवन निखरता फिरता है
भले आसमान पर चमकता हो
संसार मे सौन्दर्य भरता है
इसके बिना धरती होती बंजर है
दिन रात अगर ना होते
तो अंत सबके जीवन का है
                                         प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning दिन रात अगर ना होते
#nojotohindi

Mahesh Chekhaliya

#sad_shayari ना रात हूँ मैं ना दिन हूँ मैं जो टूट रहा वो दिल हूँ मैं

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White ना रात हूँ मैं
 ना दिन हूँ मैं
 जो टूट रहा वो दिल हूँ मैं 💔

©Mahesh Chekhaliya #sad_shayari ना रात हूँ मैं ना दिन हूँ मैं जो टूट रहा वो दिल हूँ मैं

cldeewana

#love_shayari जहां सावन की कजली ना हो

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Pankaj

कि बीती हुई बातों को

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White कि बीती हुई बातों को 
 हर वक्त बताती है 
कभी हुआ था इश्क 
ऐ याद दिलाती है 
 और इससे बड़ा दुश्मन 
कोई क्या मिलेगा हमको 
 इतना तो तुम भी नहीं सताए जितनी याद सताती है

©Pankaj कि बीती हुई बातों को

Parasram Arora

वियोग की रात

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RAVI PRAKASH

#sad_shayari ना चांद की चाहत, ना तारो की

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RAVI PRAKASH

#GoodMorning ना चांद की चाहत, ना

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White ना चांद की चाहत, ना तारो की फरमाइश, हर जन्म तू मिले, बस यही मेरी ख्वाहिश,

©RAVI PRAKASH #GoodMorning ना चांद की चाहत, ना
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