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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी लत लगाकर फ़िजूली मे फँसा बैठे विकाश की दौर में आदमियत गवां बैठे चार महीने चौमासे के धर्म ध्यान में जीते थे बरसाती जीवो की रक्षा की खातिर सैर सपाटे व्यापार नही करते थे प्रकृति की गोद मे बैठकर आनन्दित होते थे प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #SuperBloodMoon सैर सपाटे व्यापार नही करते थे #SuperBloodMoon #SuperBloodMoon
#SuperBloodMoon सैर सपाटे व्यापार नही करते थे #SuperBloodMoon #SuperBloodMoon
read moreShailendra Anand
रचना दिनांक ६,,,,१२,,,२०२३ वार बुधवार समय दोपहर सय१२,,०० बजे ््््् छाया चित्र में भावचित्र है अंधेरी रात में,, सर्द हवाओं में निर्जन सूनसान राहो से ््््््छायाचित्र से अपनी रूह मे खो कर ््् प्यार करने वाले सफर में आकर,, सब कुछ भूल गए मंदिर में मन का दर्पण।। मन मंन्दिर में खोज रहा है दिल अपना,, घनघोर अंधेरी रात में सरपट भागती हुई ।। कश्ती को खुद बखूद सैर सपाटे के भांति घने जंगल में दिखाई दे रही कार को मुसाफिर की तरह मशगूल है मस्ती में लगता है।। घने जंगलों के किसी वन्य अभ्यारण में सफर करने वाले आंनद में मशगूल है और सफर का लूफ्त उठाते हुए।। चांदनी रात में ही देखरही थी वो खूबसूरती नजरों से मानो लिख दिया दिल का आशियाना वो ढूंढती रही।। वो मुझे अपने जिगर में और मैं अपनी क्या कहूं,, हर पल तुझे देखने का जूनून शिद्दत से महसूस किया गया।। प्रेम शब्द से ही नव नूतन अभिनव प्रयोग ने ,, लिये अपने अंदाज से पहचान लेते हुए जीवन सफल है।। देख रहा है कि तू मूझसे बेखबर है चंद अल्फाज में,, एक रात में सुबह और शाम में खो गई तस्वीर तेरी मेरे प्यार में हमरही थे जिन्दगी के लाजवाब सफर के मुसाफ़िर है।। ््््् कवि शैलेंद्र आनंद ६,,, दिसंबर,,,२०२३ ©Shailendra Anand #Broken जिंदगी का सफर और घनघोर अंधेरी रात में दो मुसाफिर प्रेमी युगल सफर में सैर सपाटे जीवन के ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
#Broken जिंदगी का सफर और घनघोर अंधेरी रात में दो मुसाफिर प्रेमी युगल सफर में सैर सपाटे जीवन के ्््््कवि शैलेंद्र आनंद
read moreJitendra Shinde
एका हाँगकाँग च्या टिव्ही ब्रॉडकास्टर आणि चाईल्ड सायकालॉजिस्ट बापानं वयात येणाऱ्या मुलाला लिहलेले पत्र त्याचा मराठी अनुवाद. संकलन : डॉ. कृष्ण
read moreVandana
हो कभी उदासी मुख में पसरी हुई वो लौट आता है होठों में मुस्कान बन के जब कभी लड़खड़ाने लगे कदम मेरे वह हाथ बढ़ाकर थाम लेता है मुझे,,,,,,, हो सन्नाटा सा पसरा उदासी सी छायी वो रोम-रोम में महक जाता है उत्साह त्यौ
जब कभी लड़खड़ाने लगे कदम मेरे वह हाथ बढ़ाकर थाम लेता है मुझे,,,,,,, हो सन्नाटा सा पसरा उदासी सी छायी वो रोम-रोम में महक जाता है उत्साह त्यौ
read moreVandana
शनिवार आते ही क्यों खुमार चढ़ने लगता है एहसासों में,,, रिझने लगता है कोई जज्बातों में,, कुछ प्रेम भरे पल बिताने के लिए तड़पने लगता है,,, ढेर सारी बातें करने को तन्हाई में बेइंतहा मचलने लगता है,,, सप्ताह भर का खुशनुमा एहसास है शनिवार पूरे सप्ताह का एंड है शनिवार,,, इतवार का खुमार है शनिवार अगले दिन का इंतजार है शनिवार,,,, जी भर सोने
सप्ताह भर का खुशनुमा एहसास है शनिवार पूरे सप्ताह का एंड है शनिवार,,, इतवार का खुमार है शनिवार अगले दिन का इंतजार है शनिवार,,,, जी भर सोने
read moreVandana
🙏❣🥰🌹 उसकी हड्डियां इतनी मजबूत थी कि बड़े-बड़े सफर तय कर गया वह खुद को पल पल हुनर के हवाले करता गया,,, जुनून इस कदर था कि आंखों की रोशनी कम हुई त
उसकी हड्डियां इतनी मजबूत थी कि बड़े-बड़े सफर तय कर गया वह खुद को पल पल हुनर के हवाले करता गया,,, जुनून इस कदर था कि आंखों की रोशनी कम हुई त
read moreAnamika Nautiyal
कल्लू जी (अनुशीर्षक में पढ़ें) कल्लू जी को था खुद पर अभिमान मानो ब्रह्माजी से पा लिया हो वरदान अपनी शक्तियों पर खूब इतराते थे चाचा विधायक हैं ऐसा सब को बताते थे कहने लगे
कल्लू जी को था खुद पर अभिमान मानो ब्रह्माजी से पा लिया हो वरदान अपनी शक्तियों पर खूब इतराते थे चाचा विधायक हैं ऐसा सब को बताते थे कहने लगे
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
हम्म पति हमेशा हार जाते हैं वो हमेशा प्रेमी सी कॉपी शायरियाँ जो नही लिख पाते ये अलग बात है कि जिंदगी को कविताओं सा खूबसूरत बनाने में जो लगे रह जाते हैं हम्म पति हमेशा हार जाते हैं... नहीं दे पाते बेपनाह बिफिज़ूली की बातें दुकानो और ऑफिसो में घिसते घिसते घर लौटतें हैं तो भूल जाते है कि तुम्हें हसाना भी था बीवी के लिये प्रेमी सी महफिल कहाँ सजा पाते हैं हम्म पति हमेशा हार जाते हैं.... सैर सपाटे फिल्में देखने भी कहाँ अब जा पाते हैं थके इतने होते हैं कि वहां जा कर भी ग्र्र्र ग्र्र्र खराटे मारने लगते हैं तुम्हारा हाथ पकड़ रोमानी नही हो पाते है हम्म पति हमेशा हार जाते हैं..... साड़ी झुमके बिंदी मामूली से तोहफे भी नहीं दिलाते जो सेठानी सी सजी शादियों में इतराती हो उनके पैसे कमाने की रेस में बेचारे सिर्फ तुम्हारे ही नहीं खुद के शौक भी तो भूल जाते हैं हम्म पति हमेशा हार जाते हैं .... कहाँ बची अब शाहरुख सी ज़ुल्फ़े सलमान सी बॉडी या आमिर से लतीफे जान से प्यारी बाइक बेच कर बरसात से बचाती वो पहली कार लाते ही, ये सब हीरोगिरी भी गिरवीं रख आते हैं हम्म पति हमेशा हार जाते हैं ... बीमारी में हर घन्टे हाल नहीं पूछते तुम्हारा तीमारदारी में सिरहाने बैठ सर पर हाथ नहीं फैरेते वो बेचारे बस शहर के बेस्ट डॉक्टर और बेस्ट हॉस्पिटल की फीस जुटाने में लगे रह जाते हैं हम्म पति हमेशा हार जाते हैं ..... माँ पिता भाई के आगे तुम्हें नहीं पूछा तुम जीवन संगिनी हो और वो जीवन उनका कर्ज चुकाने में बस तुम्हारा साथ चाहते हैं माँ के लाड़ले, बीवी माँ की लड़ाई में पीसे जाते हैं हम्म पति हमेशा हार जाते हैं ..... पैसा कमाना ही सब कुछ नहीं होता पर इस पैसे के चक्कर में वो कितने दरों ठोकरें खाते हैं ये वो पहिया है जो मर्ज़ी से चलाया रोका नहीं जाता उनके भी कितने अरमान इसमें पिस जाते हैं .... हम्म पति हमेशा हार जाते हैं ... हसी ठहाके को रूप के यौवन में दस मिलेंगें झुर्रियों में झुकी कमर तक सिर्फ यही साथ आयेंगें वो जो ना रहे तब देखना कितने सुख छिन जाते हैं हम्म पति हमेशा हार जाते हैं .... ©Ankur Mishra हम्म पति हमेशा हार जाते हैं वो हमेशा प्रेमी सी कॉपी शायरियाँ जो नही लिख पाते ये अलग बात है कि जिंदगी को कविताओं सा खूबसूरत बनाने में जो लगे
हम्म पति हमेशा हार जाते हैं वो हमेशा प्रेमी सी कॉपी शायरियाँ जो नही लिख पाते ये अलग बात है कि जिंदगी को कविताओं सा खूबसूरत बनाने में जो लगे
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