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Omprakash Bhati
हंसना तो मुझे आता है रोना किसी ने सिखा दिया, बोलने में तो हम माहिर है चुप रहना किसी ने बता दिया ©Omprakash Bhati हिंदी कहानी मजेदार ओम प्रकाश भाटी
हिंदी कहानी मजेदार ओम प्रकाश भाटी
read morerk_के_अल्फाज
बचपन में.... घर के सामने एक नीम का पेड़ हुआ करता था,जहाँ पुराने किसी साइकिल के टायर को नीम पर चढ़ किसी डाल के सहारे एक झूला बनाया करते थे और बारी-बारी सब....... 15-15 झूले से झूला झूलते थे अब भले ही जीवन में कितनी आलीशान, आरामदायक चीजे मिल रही है मग़र..... मेरे लिए आज भी.....उससे बेहतर कोई आलीशान,आरामदायक चीज नही है ।। ©rk_के_अल्फाज #Childhood #बचपन #हिंदी #लेखक
Shiva Savita Shiva Savita
मेरे जज़्बात समझ सके ये तजुर्बा किसी में नहीं मेरे एहसास को समझने वाले मेरे भोले नाथ है ©Shiva Savita Shiva Savita ओम #ओम#ओम#ओम
Neelima Thakur
मजहब के नाम पर,कभी रंगों के नाम पर कभी जाति के नाम पर ,कभी संगी के नाम पर, बाँट देती है सियासत, आदमियत को कई नाम पर पर होश न खोना मेरे बन्धु, तू इतना जान ले, ये जो वतन है तेरा,इसे जरूरत है तेरी ये लोकतंत्र है जो चल रहा वोट से तेरी कुछ भी करना नही ऐसे ही किसी के दावँ पर जब भी लगे उँगली पर वो काल निशान वोट का, कुछ और याद आये ना तो उस वक़्त बस ईमान को याद कर, वोट दे जब भी अपना बस देना तिरंगे को देख कर जय हिंद जय भारत।।।। तिरंगे को देखकर#हिंदी लेखक#हिंदी#neelima#पोएट्री
तिरंगे को देखकरहिंदी लेखकहिंदीneelimaपोएट्री
read moreDivya Kumari
कभी भी मेरा हाथ न छोड़ना जीवन के हर परिस्थिति में हमे तो बस एक साथ चलना ।। ©Divya Kumari #साथ #परिस्थिति #हिंदी #नोजोटो #लेखक
#साथ #परिस्थिति #हिंदी #नोजोटो #लेखक
read moreHemant Rai
लगने लगे हैं हम, तुमको अजीब से, जबसे मिली हो तुम मेरे रक़ीब से। पहले तुम मुझे, दूर से भी पहचान लेती थी, अब तो देखकर भी नहीं पहचानती हो क़रीब से। जब भी मिलती थी तो, बात करती थी बड़े ही तमीज़ से, अब तो सीधा नज़रें ही फेर लेती हो तुम, इस ‘सकीब’ से। एक कुर्ते एक, पैजामे में भी तुम्हे लगते थे हम अमीर, अब तो दो-दो जोड़ी होने पर भी लगने लगे हैं हम तुमको गरीब से, जब से मिली हो तुम मेरे रक़ीब से। ~हेमंत राय #शायरी #नज़्म #nojoto #हिंदी #लेखक
Hemant Rai
मुझे छोड़ जाने के कई सालो बाद एक, रोज़ मिली वो मुझे, चाय की दुकान पर, गहरी रात में। मैंने-देखा मैंने-जाना, मैंने-देखा मैंने-जाना, उस रोज़ उसका शोहर भी था उसके साथ में, मैंने पूछा, मैंने पूछा उससे की तुमसे मुहब्बत कर के मुझे मिला ही क्या है सिवाए टूटने और तड़पने के। वो बोली, वो बोली कि, ये जो मुझे याद कर-कर के तुम शायरी और नज़्में लिख रहे हो, पहले तुम नकारा थे, निकम्मे थे, अब कुछ-कुछ हां कुछ तो शायर दिख रहे हो, पहले तुम गुमनाम थे, अब सबकी जुबां पर दिख रहे हो, पहले सब ये कहते थे की, तुम फटे हाल हो, ना रुतबा ना पैसा बस मजनू बने फिरते हो अजी तुम कंगाल हो, अब पैसा भी है, नाम भी है, शौहरत भी है, अब तुम मालामाल हो, ये भी कोई कम है क्या? #nojoto #हिंदी #कविता #शायरी #लेखक
nojoto हिंदी कविता शायरी लेखक
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