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Girish Mishra Syahee
बाँझ उम्मीद की कोई सुबह नही, बस ढलती हुई एक सांझ हूँ मैं | है ममता दिल में भरी हुई , पर सच है ये की बाँझ हूँ मैं | हूँ बहिस्कृत हर मंगल अवसर में, है नजर चुराते आज सभी | हूँ तृस्कृत मैं इस समाज में, थी लक्ष्मी रूपी नाज कभी | सौभाग्य कभी मैं उनके घर की, अब बनी क्यों दाग हूँ मैं | कई अरमानो की बोझ उठाये, हाँ सच है ये की बाँझ हूँ मैं | नहीं कंही झूला है कोई , नहीं कंही कोई किलकारी है | क्या जिस पौधे में फूल नहीं, वो बस कंटीली झारी है | है ईश्वर का निर्माण ही ऐसा , मैं नहीं कोई अपराधी हूँ | है प्रेम भरा इस हिर्दय में मेरे , फिर भी मैं क्यों आधी हूँ | कई सपनो की चिता जलाती, धदक्ति हुई एक आग हूँ मैं | अन्धकार को गले लगाए, हाँ सच है ये की बाँझ हूँ मैं | जननी का तूने रूप दिया, क्यों सिर्जन का अधिकार नहीं | भाग्य ने है मजबूर किया , पर ये मेरा अपराध नही | जीना बहुत कठिन सा लगता , मिर्तुय भी देती साथ नहीं | मैं जीवित रहूँ अब बोलो कैसे, जब अपने ही मेरे साथ नहीं | दुनिया के इस शोरगुल में , कही सिसकती सी आवाज़ हूँ मैं | तुम सुन ना सको वो साज हूँ मैं, हाँ सच है ये की बाँझ हूँ मैं || रचना : गिरीश "स्याही" Baanjh
Baanjh
read moreGirish Mishra Syahee
ऐसी उलझन है जीवन ये, अब इसको सुलझाए कौन| अपनी वयथा किसे बताऊँ, देख रहे सब बैठे मौन || बाँझ उम्मीद की कोई सुबह नही, बस ढलती हुई एक सांझ हूँ मैं | है ममता दिल में भरी हुई , पर सच है ये की बाँझ हूँ मैं | हूँ बहिस्कृत हर मंगल अवसर में, है नजर चुराते आज सभी | हूँ तृस्कृत मैं इस समाज में, थी लक्ष्मी रूपी नाज कभी | सौभाग्य कभी मैं उनके घर की, अब बनी क्यों दाग हूँ मैं | कई अरमानो की बोझ उठाये, हाँ सच है ये की बाँझ हूँ मैं | नहीं कंही झूला है कोई , नहीं कोई किलकारी है | क्या जिस पौधे में फूल नहीं, वो बस कंटीली झारी है | है ईश्वर का निर्माण ही ऐसा , मैं नहीं कोई अपराधी हूँ | है प्रेम भरा इस हिर्दय में मेरे , फिर भी मैं क्यों आधी हूँ | कई सपनो की चिता जलाती, धदक्ति हुई एक आग हूँ मैं | अन्धकार को गले लगाए, हाँ सच है ये की बाँझ हूँ मैं | जननी का तूने रूप दिया, क्यों सिर्जन का अधिकार नहीं | भाग्य ने है मजबूर किया , पर ये मेरा अपराध नही | जीना बहुत कठिन सा लगता , मिर्तुय भी देती साथ नहीं | मैं जीवित रहूँ अब बोलो कैसे, जब अपने ही मेरे साथ नहीं | दुनिया के इस शोरगुल में , कही सिसकती सी आवाज़ हूँ मैं | तुम सुन ना सको वो साज हूँ मैं, हाँ सच है ये की बाँझ हूँ मैं || रचना : गिरीश "स्याही" Baanjh.. A Dark Side of Indian Culture
Baanjh.. A Dark Side of Indian Culture
read moreMalwinder kaur Mmmmalwinder
aajkl smaaz aagei isliye nahi baadh paya qk aurat hi aurat se jealous (jalan) karti hai... nahi yakeen to apne aas pass dekhna smaz lag jayegi😊🤔😁 ©Mmm malwinder #aurat#Aurat
pratibha pahuja
White Kahi pada tha jo aurat apna mood Kisi kahani se ak garam chai ki pyali se banale to us aurat ko jindagi me koyi nahi hara sakte. ©pratibha pahuja #sad_shayari#aurat#kahani# shayari in hindi#
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read moreRoshni Mehar
Loving you like peace of my ♥ and Loving your vibe is beautiful ©Roshni Mehar in english
in english
read moreDreamBeliever
White Sometimes It's better to keep silent than to tell others what you feel. Because It hurts badly when you come to know that They can hear you, But can not understand ©DreamBeliever #Sad_shayri in in english
#Sad_shayri in in english
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