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Abdul Ashrafi
بگرداب بلا افتلاہ کشتی ضعیفان شکشتہ دا تو پشتی بحق خواجہ عثمان ہارون ردکن یا معین الدین چشتی یا خواجہ المدد ©Abdul Ashrafi #Winters khaja moinuddin chishti
#Winters khaja moinuddin chishti
read morebeingsakshamthakur banna Sa
This day is red letter day for me..it is the day of my inspiration ,ideal ..the first rajput invincible warrior PRITHVIRAJ CHAUHAN. In history he is known for his yeo man's work.. I am his die hard fan from childhood whatever i know ..i will tell... He was born on 11 may 1166 in Ajmer.. His father was someswar & mother kapurwadevi.. His maternal grandfather was king of delhi..under his administration he learnt to swordmanship .. he was very courageous from his childhood..they were four friends..one of them was sanjam... who was killed during in battle with Aalla & udal..yet our prithviraj defeated them.. That time he met with queen of kannauj SANYOGITA..then their love started.. but her father JAYCHAND was known as tratior..because when he couldn't get the reign of Delhi by Prithvi.. He met with mohd Gauri.. But prithviraj promised sanyogita he will marry her.. so he elpoed her during marriage canopy.. After it he defeated gauri 17 times.. but last time due to traited by jaychand....he was captivated & blinded by Gauri.. On its assembly gauri ordered him to show his talent of archery.. than his friend .. chandbarday sang a .. चार बांस, चैबीस गज, अंगुल अष्ठ प्रमाण। ता ऊपर सुल्तान है, चूके मत चौहान।।’’ this was hint for him.. he at once bowed at gauri's neck.. After it he killed himself.. Jai prithviraj chauhan 🙏
Jai prithviraj chauhan 🙏
read moreAbhishek Chauhan Baagi Ballia
रिश्ते की कद्र करो क्योंकि फिर तस्वीर किसी की कमी पुरी नही करती ©Abhishek Chauhan Baagi Ballia jai samrat prithviraj Chauhan Baagi ballia
jai samrat prithviraj Chauhan Baagi ballia
read moreGulam moin
उसके दिल मे थोडी सी जगह माँगी थी मुसाफिर की तरह ! उसने तो तन्हाईयो का पूरा शहर ही मेरे ऩाम कर दिया !! Moinuddin
Moinuddin
read moreRohit Bairag
एक से एक.वीर. हुए , घरती पर हिदुँस्तान की चट्टानें भी रोक सकी ना , घार जिनकी तलवार की समय बदलने की ताकत , जिनके हाथों म थी राष्ट्र प्रेम की भक्ति भावना , जिनकी साँसों मे थी फिर ये द्रुभाग्य कैसा , इस घरती के माथे का घोर अँघेरो मे डुब गयीं गाथाएं वीरो की सदियो तक गैरो ने लुटा , इस पावनतिँत भुमी को इतिहास कलँकित कर छोड़ दिया महान घरा की माटी का ना सम्मुख आकर हिम्मत थी जो इस घरती के वीरो की छाती काट सके अरे 17 बार जीवन दान दिए गौरी को, नाम शब्द पृथ्वी अमर हुआ , सवृण आखर मे लिखा जाए और जिसने की गददारी निज घरती माँ से ए जयचंद तुझपर आज भी थुका जाए जिसने त्याग दिया जीवन अपनी माँ की रक्षा मे शब्द भेद के ज्ञाता , पृथ्वीराज जैसे वीर महान सदियों मे एक बार ही जन्मे जाए 13 वर्ष अल्प आयु , अजमेर की गद्दी पर वीराज हुआ धन्य हुआ इतिहास उस दिन , नाम दर्ज जिस दिन पृथ्वीराज चौहान हुआ गौरी की औकात थी क्या , जो जीत पाता उससे बिन छल से लडकर जिसने सिर्फ 11 वर्ष कि आयु मे , बिन कोई हथियार के शेर का मुख था फाड दिया जिस उम्र मे बालक खेले कुदे , उस उम्र वो सम्राट कहलाए लिखु मे क्या उनके बारे , उनके महान वयक्तित्व के आगे हर शब्द खडे शीश झुकाए शब्द भेद के ज्ञाता , पृथ्वीराज चौहान जैसे वीर महान सदियों मे एक बार ही जन्मे जाए गौरी तो पहले गया , बाद वीरगत हुए चौहान दुषमन के ना हाथ मरे, खुद ही दिए तयाग पराण बिन आखँ भेद दिए गौरी को , कैद कर के भी तोड ना सका अभिमान कण कण.इस घरती का गाथाएं वीरो की गाए सुन सुन इतिहास इस.घरा का , अदँर एक आग.घघक घघक जाए गैरो मे ना साहस था , अपनो ने ही पीछे से वार किया भुगत रही ये घरा जो जयचंद की गददारी से अब पृथ्वीराज कहा से आए #Bharatan maharaj Prithviraj chauhan ji ki janam diwas par
#Bharatan maharaj Prithviraj chauhan ji ki janam diwas par
read moreAnnu Suthar
Satyaprem Sanoj Roy Traveling poet Sandeep Prithviraj chauhan
Satyaprem Sanoj Roy Traveling poet Sandeep Prithviraj chauhan
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