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Parasram Arora
कैसा दुर्भाग्य है कि. आदमी के असली चेहरे क़ो खोजने के लिये उसे बेहोश करना पड़ता है इतनी परते है नकली चेहरे की चोरी इतनी गहरी है इतनी लम्बी है अनंत जन्मों की है कि असली चेहरा बहुत बाहर पीछे छिप गया है एक मुखौटा उतारो तो दूसरा उसके नीचे है प्याज की तरह हो गया है आदमी एक छिलका निकालो फिर छिलका और छिलका निकालो फिर छिलका ©Parasram Arora ये प्याज़ के छिलके......
ये प्याज़ के छिलके......
read moreSudipta Mazumdar
केले के छिलके को सब कूड़े में फेंक देते हैं पर यहां तो लोग उसे ही इश्क़ समझ के यूं खा जाते हैं टॉफी चॉकलेट हो जैसे ©Sudipta Mazumdar #केले के छिलके को संभाल कर रखिए इश्क़ में काम आएगा
#केले के छिलके को संभाल कर रखिए इश्क़ में काम आएगा
read morevishal gupta
गुठलियां गुठलियां भी कमाल होतीं हैं ख़ुद में कोई स्वाद हो न हो पर लिपटी होती हैं रस भरे, गूदेदार मुँह में धीरे धीरे घुलने वाले मीठे तत्व से #nojoto #poetry #love #you #me #we #soul गुठलियां गुठलियां भी कमाल होतीं हैं ख़ुद में कोई स्वाद हो न हो पर लिपटी होती हैं रस भरे, गूदेदार म
HAPPY Hindustani
मुर्गी . ©HAPPY Hindustani एक सवाल ऐसा है जिसका जवाब दशकों से लोग ढूंढ रहे हैं- धरती पर पहले मुर्गी आई थी या अंडा? अब वैज्ञानिकों को इसका जवाब मिल गया है. ब्रिटेन की श
एक सवाल ऐसा है जिसका जवाब दशकों से लोग ढूंढ रहे हैं- धरती पर पहले मुर्गी आई थी या अंडा? अब वैज्ञानिकों को इसका जवाब मिल गया है. ब्रिटेन की श
read moreHarshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat तुम्हारी बातों के कुछ कतरें आज भी कहीं सांसें भर रहे है। सुलगते रहे रात भर उस एश ट्रे में जो आख़िरी काशं लगाया था तुमने । बाक़ी थी कुछ चिंगारियां उसमें सुलगती रही। अधजलीं सी दिया सिलाई में आज भी कुछ धुआं बाक़ी है। आज भी पिघलते जिस्मों की आहटें बाक़ी थी कुछ। ख़ामोशी में कुछ सुलगते पन्नें जो मरोड़ कर कुछ को फ़ाड़ कर जलाएं थे । कुछ बाक़ी थी। नज़्में मेरी उन पन्नों पर ज़ाहिर कर रही थी, तेरी मौजूंदगीं भी बाक़ी नहीं। बस कुछ राखं बाक़ी थीं। बस राखं कुछ चिंगारियों से उड़ता धुआं उठ रहा था। सुलगाती रहीं, उस एश ट्रें में ।। बचे कुछ बीतें लम्हें रात भर नींद में भी लुप्त होते रहे। वहीं पेंसिल के छिलकें जिससे कुछ नज़्में लिखी थी मैंने। तुम्हारे लिए तुमने कभी जलाएं होंगी। कुछ कतरें आज भी मौजूदं थे ।उस एश ट्रे में। आज भी कुछ कम दर्द नहीं था। माचिंस की डिबिया मिली ही नहीं। खोजती रहीं कहीं कुछ बाक़ी हो उस एश ट्रें में। तलब लगी थी ,एक काशं मिल जाता, कुछ गुम हल्का ही जाता। बस अब एश ट्रें भर चुकीं थी। आज भी कुछ कतरें टूटे रिश्ते के आख़िरी सांसे भरते रहे रात भर। हम कसीदें कसते रहे रात भर। अब भर चुकी है एंश ट्रें। उसमें से बस उड़ती गई हवा के उन झोकों से। टूटे रिश्ते की आखिरी सांस निकलती रही। निकलती रही। #memories #pain #quote #yqdidi #yqbaba #yqhindi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat तुम्हारी बातों के कुछ कतरें आज भी कहीं सांसें भर रहे ह
Ghumnam Gautam
दिल पराली-सा जला है इश्क़ में जिस्म दिल्ली हो गया है आजकल घपोचन जी कहिन―७ """"”""”""""""" (घपोचन जी 'ठाकुर जी' के साथ 'इंग्लिश' लेते हुए) 'हे भगवान! हे भगवान! देश का दुश्मन सिर्फ़ किसान।' 'अरे घपोचन
घपोचन जी कहिन―७ """"”""”""""""" (घपोचन जी 'ठाकुर जी' के साथ 'इंग्लिश' लेते हुए) 'हे भगवान! हे भगवान! देश का दुश्मन सिर्फ़ किसान।' 'अरे घपोचन
read moreDr. Naveen Prajapati
बदलते रिश्ते Read in caption:)- Note- will enjoy but need patience 😊 #badalte_rishte #changing_relationship वैसे तो सृष्टि का प्रथम सम्बन्ध अपने रचयिता से ही माना जाना चाहिए, मगर इन्सान अपनी ज़िन्दगी की स्लेट
#badalte_rishte #changing_relationship वैसे तो सृष्टि का प्रथम सम्बन्ध अपने रचयिता से ही माना जाना चाहिए, मगर इन्सान अपनी ज़िन्दगी की स्लेट
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