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LOL
हर कोई यहाँ हरजाई है मिलने की किसी को फुरसत नहीं मीलों फैली जुदाई है! राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read moresanjana
कि दर्द ऐ दिल सभी को है l राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read moreRajnish Shrivastava
नजर कोई आता नही कब तक हम चुपचाप रहे अब सहा जाता नही करीब हो अपना सा कोई सुख दुख जिससे बाँट सके जीवन के कुछ लम्हो को बाते करके भी काट सके राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read moreShiv_ Dutt
शायद दिल से ही दिल की बात कहें..!!! राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read moreGumnaam
सच कहूं, हमें उनसे बेइंतहा मोहबब्त थी बस चेहरा पढ़ने में देर हो गई। राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read morePankaj Singh Chawla
मेरा दिल ता निमाणा, मैं दिल दी कि जाणा, तू ही पूछ ल मेरा हाल मेरे दिला, नी ता दस मैं अपने दिल दी किस नु सुनावा।। राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read moreTarun Kushwaha
सब दिल तोड़ कर जाते हैं| राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read moreRagini Mishra
Kisse vo har mulaqat kahein... Jb humein apne ki shakl... Labo-lahze...me ek paraya mila... Khushi pal bhar ki... Or dard ka saya mila...! Kisse kahein vo baatein.... Jinhone hame rulaya hai.... Or lakhon...ki bheedh me... Hamare lie... Har kisi ko begana bnaya hai! राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read moreNEERAJ SIINGH
रोज कहता हूँ वो देख लेते हैं पढ़ भी लेते हैं पर कहते नहीं कभी अपनी दिल की बात मुझसे राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
राज़दारी का तो ज़माना नहीं रहा है। ऐसे में दिल की बात किस से की जाए। लेकिन इस के विपरीत कोई न कोई ऐसा ज़रूर होता है जिस से हम अपने दिल की बातें
read moreYashpal singh gusain badal'
रिश्ते ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ बाएं, कुछ ऊपर उठ गए, कुछ नीचे छूट गए, कुछ बहुत ठंडे हो गए ऊंचाई पाकर, हिमाच्छादित चोटियों के तुल्य, जम चुकी है अभिमान की बर्फ उन पर , कुछ कुंठाग्रस्त होकर हो गए एकांकी, कुछ बैठे हैं स्थिल भावविहीन , निराश, आशा विहीन,अवसादग्रस्त, कुछ उद्विग्न, कुछ शंशय युक्त, कुछ ऊर्जावान भी हैं,प्रबुद्ध चेतना के साथ, जीवन को रसयुक्त बनाये हुए, मगर इन रिश्तों में एक रिक्तता है, जैसे एक तालविहीन गीत , लेकिन कौन प्राणमयी बनाये इन संबंधों को ! कौन मधुर सुर दे इन रिश्तों को ! कौन करे ऊर्जा संचरण ! कौन निराशा तोड़े ! कौन विश्वास जगाए ! कौन भगीरथ बन कर तप करे, शिव सा प्रेम जगाए ! कौन मंदरांचल बन मथनी बने ! जो निष्प्रह बीतराग गाये। कोई तो बहे प्राणरस बन , प्रेम का संचार करे ! भावविहीन संबंध नष्ट हो जाएंगे, प्रेम और उष्णता के बिना, कोई तो कृष्ण बने, मार्ग दिखाए, कोई तो नीलकंठ बन, समस्थ गरल पी जाए, कोई तो राम बने, जो विश्वास का प्रतिमान बन जाये, बने मरुत सुत सा सहचर , संकट हर जो हर कष्ट मिटाये । रचना-यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ
ठंडे हो गए हैं रिश्ते, अपनत्व की उष्णता के बिना, लाभ-हानि को नापते हुए, खो चुके हैं अपनी गरिमा, हो गए हैं सब प्रथक और विभक्त , कुछ दाएं,कुछ
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