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जो बातों-बातों में मुझमें शीरीं सा घुल गया एहसास हुआ बाद में जहर था वो.. -KaushalAlmora शीरीं : मीठा/मधुर; Sweet/pleasant #love #yqlove #poetry #yqdidi #ज़हर #मीठा #शीरीं
संस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु
मेरी वास्तविक आवाज उर्दू शब्द शीरीं का हिन्दी अर्थ मीठा #nojotoapp #तरुणा_शर्मा_तरु #Trending #nojotohindi #nojotocommunity Fema
read moreنمیش
बरसों से उनकी पर्दगी बनी है वो न जाने कौनसी शीरीं बनी है शीरीं फ़रहाद की प्रेमिका पर्दगी परदे मैं रहना
शीरीं फ़रहाद की प्रेमिका पर्दगी परदे मैं रहना
read moreAbeer Saifi
बेहिस-ओ-हसीं के लहजे-ओ-इसरार पे क़ुर्बान हो गया मैं इश्क़ की तलवार पे खादिम की तवक़्क़ो है इशारा-ए-नज़र फ़ना फ़रहाद होयेगा शीरीं की दरकार पे शिक़ायत है उसे कि तुम आते नहीं पैहम निसार है गुलशन तेरे हुस्न के महकार पे कुछ गिला है क्या? क्यों बातें नहीं करते शुबह है कुछ दिल के साहिब-ए-दय्यार पे मालूम है कुछ किस से बकते हो 'अबीर' के तस्वीर है फ़क़त वहाँ फ़्रेम में दीवार पे बेहिस - जिसे एहसास न हो, इसरार - ज़िद, खादिम - गुलाम, तवक़्क़ो - अभिलाषा, फ़रहाद-शीरीं - लैला मजनू जैसे एक और प्रेमी युगल, निसार - फ़िदा, मह
बेहिस - जिसे एहसास न हो, इसरार - ज़िद, खादिम - गुलाम, तवक़्क़ो - अभिलाषा, फ़रहाद-शीरीं - लैला मजनू जैसे एक और प्रेमी युगल, निसार - फ़िदा, मह
read moreAbeer Saifi
बेहिस-ओ-हसीं के लहजे-ओ-इसरार पे क़ुर्बान हो गया मैं इश्क़ की तलवार पे खादिम की तवक़्क़ो है इशारा-ए-नज़र फ़ना फ़रहाद होयेगा शीरीं की दरकार पे शिक़ायत है उसे कि तुम आते नहीं पैहम निसार है गुलशन तेरे हुस्न के महकार पे कुछ गिला है क्या? क्यों बातें नहीं करते शुबह है कुछ दिल के साहिब-ए-दय्यार पे मालूम है कुछ किस से बकते हो 'अबीर' के तस्वीर है फ़क़त वहाँ फ़्रेम में दीवार पे बेहिस - जिसे एहसास न हो, इसरार - ज़िद, खादिम - गुलाम, तवक़्क़ो - अभिलाषा, फ़रहाद-शीरीं - लैला मजनू जैसे एक और प्रेमी युगल, निसार - फ़िदा, मह
बेहिस - जिसे एहसास न हो, इसरार - ज़िद, खादिम - गुलाम, तवक़्क़ो - अभिलाषा, फ़रहाद-शीरीं - लैला मजनू जैसे एक और प्रेमी युगल, निसार - फ़िदा, मह
read moreAliem U. Khan
सामने मेरे, मिरे ज़ेर-ए-असर होते हैं। मेरे पीछे ये सभी लोग "उधर" होते हैं। मुंह पे रखते हैं बहुत ज़्यादा जो लहजा शीरीं, दिल के अंदर भी वही लोग ज़हर रखते हैं। سامنے میرے ِمرے زیر اثر ہوتے ہیں میرے پیچھے یہ سبھی لوگ ادھر ہوتے ہیں منہ پہ رکھتے ہیں بہت زیادہ جو لہجہ شیریں دل کے اندر بھی وہی لوگ زہر رکھتے ہیں #Alim #people #log #sheerin_lahja #urdupoetry #urduhindi_poetry #yqbhaijan #zer_e_asar ज़ेर-ए-असर : Under the influence शीरीं : Sweet
#alim #people #Log #sheerin_lahja #urdupoetry #urduhindi_poetry #yqbhaijan #zer_e_asar ज़ेर-ए-असर : Under the influence शीरीं : Sweet
read moreHisamuddeen Khan 'hisam'
अंदाज़ ए बयां... हिसाम #अंदाज #बयां #शीरीं #मिठास #Trending #hisamshayari #poetrywithhisamuddeenkhanhisam #HeartfeltMessage Priya G
read moreParastish
कितने ताइर क़ैद है उसकी आँखों के ज़िंदानों में चर्चा ज़ोरों पर है इक सय्यादी की काशानों में नशा असल में तो बस उसके शीरीं लब ही रखते हैं पागल हैं वो लोग जो पीने जाते हैं मयख़ानों में बात हसीं शामों की हो या तन्हा भीगी रातों की बस उसका ही ज़िक्र मिलेगा मेरे इन अफ़्सानों में नहीं मिला वो सूना-पन जो टूटे दिल में होता है मैंने जा कर देखा है, सहराओं में, वीरानों में ख़्वाब परस्तिश' जिसके देखे वो सच से वाबस्ता हो एक यही अरमाँ है शामिल मेरे सब अरमानों में ©Parastish ताइर - पंछी ज़िंदानों - क़ैद ख़ानों सय्यादी - शिकारी काशानों - घरों शीरीं लब - मीठे लब सहराओं - रेगिस्तानों वाबस्ता - जुड़ा हुआ
ताइर - पंछी ज़िंदानों - क़ैद ख़ानों सय्यादी - शिकारी काशानों - घरों शीरीं लब - मीठे लब सहराओं - रेगिस्तानों वाबस्ता - जुड़ा हुआ
read moreved Kabeera
ईद हिंदुस्तान🇮🇳 की शीरीं अपनत्व वाली😇🤗 मुबारक मुहब्बत की आमद मुबारक 👏👏🌙चांद मुबारक🫂🤗 ईद मुबारक 🎸👏👏
read moreAbeer Saifi
ग़ज़ल लिख कर बहाने से मैं तुमको याद करता हूँ, कभी फ़रियाद करता हूँ कभी इरशाद करता हूँ اا ज़ुल्म मुझ पर हक़ीक़त है मैं तुमको पा नहीं सकता, ख़ुदी को खुद के हाथों से मैं खुद बरबाद करता हूँ اا नहीं हो अंजुमन में तुम न कोई राग बुलबुल का, न शीरीं उन लबों की है न वो फ़राग़ सुम्बुल का اا हाँ कुछ कर नहीं सकते करे ये क्या आज़ुर्दा दिल, ग़ुंचा-ए-गुल को नहीं करते सवाल तवक्कुल का اا तुमको ये गिला है के मैं सब कुछ भूल नहीं जाता, चलो हर बंधन से तुमको मैं पुर आज़ाद करता हूँ اا अब ये ज़ख्म मेरे हैं सभी यादें भी मेरी हैं, मैं अपना दिल जला कर के तुम्हें आबाद करता हूँ اا अंजुमन - महफ़िल, शीरीं - मीठी, फ़राग़ - आराम, सुम्बुल - महबूब के ज़ुल्फ़, आज़ुर्दा - दर्द से भरा, ग़ुंचा-ए-गुल - कली तवक्कुल - भरोसा
अंजुमन - महफ़िल, शीरीं - मीठी, फ़राग़ - आराम, सुम्बुल - महबूब के ज़ुल्फ़, आज़ुर्दा - दर्द से भरा, ग़ुंचा-ए-गुल - कली तवक्कुल - भरोसा
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