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Jansurajharnaut
बेलागंज की अवाम से पूर्व सांसद डॉ. एजाज अली का पैगाम #jansuraaj #belaganj #mdamjad मोटिवेशनल कोट्स फॉर स्टूडेंट्स मोटिवेशनल कोट्स प्रेरणादाय
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तरारी विधानसभा उपचुनाव में पूर्व सेना उप प्रमुख श्री कृष्ण सिंह होंगे जन सुराज के उम्मीदवार। Sushant Singh Rajput मोटिवेशनल कोट्स फॉर वर्क
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पूर्व IPS आनंद मिश्रा ने बताया- बिहार की 4 सीटों पर उप चुनाव को लेकर क्या है जन सुराज की तैयारी #jansuraaj #prashantkishor #digitalyoddha
read moreBhupendra Rawat
White अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लिखा ही हम सब भोगते है ©Bhupendra Rawat #Sad_Status अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लि
#Sad_Status अंत मे सब नजाने रब को ही क्यों कोसते हैं कर्म से पूर्व हम क्यों नहीं सोचते है जैसा भी हो स्वीकार करो,परिणाम अपना क्योंकि,अपना लि
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके द्वारा पूर्व में, संचित कर्म समय आने पर, आपके प्राबर्द्ध की वर्षा की बरसात करके नाना प्रकार के फल जरूर देते हैं, सब कुछ सोच समझ कर करना चाहिए।। (यह समझने में थोड़ा परेशानी हो सकती हैं)।। जय श्री राधेकृष्ण जी। ©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके
#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} शरीर की सुंदरता, कुल, शील, विधा, और यत्न पूर्वक की गई, सेवा, ये कोई भी किसी काम में नहीं आते, पर आपके
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थाना रामगांव पुलिस ने पॉक्सो एक्ट से सबंधित अभियुक्त को किया गिरफ्तार पुलिस अधीक्षक महोदया वृन्दा शुक्ला जनपद बहराइच द्वारा पूर्व से वांछ
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सीमावर्ती इलाके में हर्षोल्लास पूर्ण वातावरण में मनाया गया 78वां स्वतंत्रता दिवस बहराइच।आजादी की 78वां वर्षगांठ नेपाल सीमावर्ती इलाके में
read moreVikas Sahni
White आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ भी रही है वह। होकर नाराज़ नभ देख रही है और मैं उसकी आँखों में देखते-देखते दस बजे सजे पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ, "प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं; सभी के लिए यह दिवा मेहमान है, पतंगों से सजा आसमान है, जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है और उसकी ओर मेरा ध्यान है। लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं अनंत आसमानी पानी और बादलों के बगीचे में मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से भरी पड़ी प्रत्येक छत है, प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है, कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं, कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं, पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं, कई मुक्त हुए जा रही हैं पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में, जिस प्रकार पक्षी (पतंग) अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से फिर कविता की आँखों की नमी से पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे, क्या टूट गये वे सारे धागे? कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे, टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे। है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!" . ...✍️विकास साहनी ©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ
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