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Deepak Pal
इत्ता भी दरख्त दिया तुमने की कह दिया मैं काफूर हूँ, तुम तो मेरे आबो हवा को बस किराये दार मान बैठी थी!! किरायेदार मान बैठी थी...
किरायेदार मान बैठी थी...
read moreSurender Kumar
वजह कुछ भी नहीं थी...तुमसे यूँ दूर जाने की, गर ख्वाहिश तेरी भी होती...चाहत मेरी पाने की, माना कि मैं तुमसे यूँ नाराज़ रहा... लेकिन तूने जरूरत ही नहीं समझी...मुझे समझाने की, शायद ये बिगड़े मसले फिर से सुलझे, बस तू एक बार कोशिश तो कर "पगली"... मुझे मनाने की !! "वजह कुछ भी नहीं थी"
"वजह कुछ भी नहीं थी"
read moreAnuj Ray
" बात तो कुछ भी नहीं थी" बच बच के क्यों गुजरते, हो हमारी नजरों से , ख़फ़ा होने के जैसी, बात तो कुछ भी नहीं थी। इज़मे शरीफ़ ही तो, पूछा था हमने आपसे, शान ए गुस्ताख़ी की ,कोई बात तो नही की थी। हुज़ूर को शायद पता, ना हो तो बता देते हैं, दिल ने बस आपसे मिलने की तमन्ना की थी। इसे गुनाह समझते हैं, तो बेशक ही सज़ा दीजिए, हमने क्यों आपसे मिलने,की इजाजत नहीं ली थी। ©Anuj Ray #बात तो कुछ भी नहीं थी"
#बात तो कुछ भी नहीं थी"
read moreAnjali Singhal
"एक ऐसी लड़की थी, चोट इश्क़ की खाए बैठी थी; और दीवानी ऐसी कि, दर्द दिल में धड़काए बैठी थी। रोती सिसकती सी आवाज़ में, कुछ गुनगुनाए बैठी थी;
read moreArpit shukla ❣️
मुस्कुराते लबों की उदासी लग रही तुम, आयी हो अभी -अभी बारिश मे भीगकर और प्यासी लग रही तुम, जमाना अमावस और पूर्णमासी लग रही तुम,क्या छिपाऊं तुमसे अपने दिल के जज़्बात जानेमन, कुछ भी हो मेरी फिर भी सब कुछ लग रही थी तुम... ❤️❤️❤️❤️❤️ कुछ भी नहीं थी मेरी, फिर भी सब कुछ लग रही थी तुम.......
कुछ भी नहीं थी मेरी, फिर भी सब कुछ लग रही थी तुम.......
read moreGurudeen Verma
शीर्षक - बैठी रहो कुछ देर और ------------------------------------------------------------ बैठी रहो कुछ देर और, प्यार तुमसे जी भर कर लूँ । लेकर बाँहों में तुमको, चाहत दिल की पूरी कर लूँ।। बैठी रहो कुछ देर और----------------।। हाथों से चिलमन बनाकर, चेहरा मुझसे मत छुपाओ। नजरें तुम मुझसे मिलाकर, अपने लबों को करीब लाओ।। सहलाने दो जुल्फें और गाल,अपने अंग जीभर मैं भर लूँ। बैठी रहो कुछ देर और--------------।। अच्छा लग रहा है मुझे, मुझसे तुम्हारा यह शर्माना। चांद सा यह चेहरा तुम्हारा, रोशन है देखो यह कितना।। गौरे तुम्हारे इस बदन से, चाहत मैं तन की पूरी कर लूँ। बैठी रहो कुछ देर और --------------------।। उम्रभर का रिश्ता है अपना, बन्धन कभी यह टूटे नहीं। कैसी भी हो चाहे मुसीबत, एक दूजे से हम रूठे नहीं।। तुम हो मेरे दिल की धङकन, ख्वाब हसीन मैं पूरा कर लूँ। बैठी रहो कुछ देर और -----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार- गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #बैठी रहो कुछ देर और
#बैठी रहो कुछ देर और
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