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Writer Mamta Ambedkar
मां की ममता और पिता की मेहनत ममता क्या होती है, ये एक माँ से पूछना, हर आंसू में उसकी, छुपी दुनिया का सपना। रातों को जागकर लोरी सुनाती है, खुद भूखी रहकर भी बच्चों को खिलाती है। हर दर्द सहकर भी मुस्कुराती है, ममता की मूरत है, सब कुछ दे जाती है। और मेहनत क्या होती है, ये एक पिता से पूछना, हर मुश्किल में वो, कैसे चट्टान सा रहता अपना। पसीने की बूंदों से संजोता हर सपना, अपने अरमानों को बच्चों के लिए करना। खुद की खुशियों को परे रख, दिन-रात जो संघर्ष करता, वो पिता ही है, जो हमें हर दर्द से बचाता। ममता है माँ की, जो हर जख्म को सहलाती, मेहनत है पिता की, जो हर ख्वाब को सच कर दिखाती। दोनों के बलिदानों का कर्ज़ हमसे नहीं चुकाया जाए, माँ-बाप की मूरत ही इस दुनिया में भगवान कहलाए ©Writer Mamta Ambedkar #maaPapa प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता
#maaPapa प्रेरणादायी कविता हिंदी कविता कोश बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता
read moreDevanand Jadhav
White कधी कधी माणसाला... इच्छा नसताना हसावं लागतं! "कसे आहात?" विचारलं तर, "मजेत आहे!" असंच सांगावं लागतं ©Devanand Jadhav #Thoughts #thought #कविता छोटी कविता मराठी
Sushant Aswar
मराठी कविता पाऊस छोटी कविता मराठी कापणी कविता कविता मराठी मैत्री Entrance examination
read moreप्रणाली कावळे
White कोण रक्षितो गर्भामधे...? कोण पुरवितो तेथे वारा...? कोण निर्मितो बाळासाठी जन्माआधिच अमृत धारा...? कोण छेडीतो श्वासांमधे...? प्रभूस्मरणाच्या मंजूळ तारा, कोण निर्मितो नाद अनाहत.....? ज्याने उजळे मनगाभारा. उजळविण्याला मनगाभारा कोण चेतवी अंतरज्योती...? करण्या निशिदिन स्मरण प्रभूचे कोण देतसे अखंड स्फुर्ती...? कोण घडवितो वटवृक्षाला..? कणा येवढ्या बिजामधूनी, कोण देतसे फळांस गोडी..? जिवन सोशून मातीमधूनी. कोकिळ कंठी कोणी दिधले..? गंधर्वांचे अपूर्व देणे, वसंत येता आम्रतरूवर कोण फुलवितो त्याचे गाणे..? कुणी रेखिले मोरपिसावरी..? रंग रेशमी इंन्द्रधनुचे, मेघ बरसता गर्द वनामधे कोण नाचतो त्याच्या संगे..? निद्रेतूनही नयनांमधे स्वप्न होऊनी कोण जागतो..? सुखदु:खामधे हृदयी राहून कोण अखंडीत सोबत करतो..? कोण..? कसे..? या प्रश्नापाठी आयुष्याची संध्या होते, शरण जाता श्री सदगुरूशी मग कर्त्याची ओळख होते. "कर्ता एक रघुनंदन" हे शरणांगत होताच उमगते, प्रश्न मनीचे विरून जाती एक तत्व हे मनी प्रगटते. गुरूकृपेच्या ऋणातुनी या कोण कसे होईल उतराई, हात मस्तकी सदैव वत्सल जैसा ठेवत असते आई... ©pranali kawale #sad_shayari छोटी कविता मराठी
#sad_shayari छोटी कविता मराठी
read moreप्रणाली कावळे
good morning ©pranali kawale छोटी कविता मराठी मराठी कविता
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read moreRitika Vijay Shrivastava
बादल जो काले छाते है, और बूँदे राग सुनाती है, जाने वो कैसा समंदर है, जो मन को मेरे डुबाती है। बरसता है जो प्यार मेरा, और दुनिया मेघ बतलाती है, अकेली कहाॅं ? ये बारिश तुम्हे भी तो साथ लाती है। ©Ritika Vijay Shrivastava #Barsaat हिंदी कविता प्रेम कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता कविता कोश
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