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Nitin Sharma NiSn
पटरियों सा ठहरा सा मैं तेरे इंतजार में, आज भी उसी जगह पर राह तकता खड़ा हूं। *_पटरियां_* ✍️ ©Nitin Sharma NiSn #पटरियां #ways #track
Naveen Mahajan
' पटरियां ' ज़िम्मेदारियां रखूं या के अपना सर रखूं या जो हो चली हैं आम सब खुसर-फुसर रखूं तनहा हैं दूर तक जो ये पटरियां ही अब तो अपनी सी लग रही हैं यूँ करूँ के इनपे सारा सफ़र रखूं। #NaveenMahajan पटरियां #NaveenMahajan #TumBinIshqNahi
पटरियां #NaveenMahajan #TumBinIshqNahi
read moreअमित चौबे AnMoL
रेलगाड़ियों की तरह पटरियां बदलने की आदत किसी दिन विश्वास की पटरी से नीचे उतार देती है... #रेलगाड़ी #पटरी #जीवन #पटरियां #train #छुकछुक
Hemant Rai
कविता:प्रेम की पटरियां लेखक एवं प्रस्तुकर्ता :- हेमंत राय। #कविता #nohotohindi #videooftheday #Video
read moreAnikshu Bhardwaj
सुनो जाली के इस पार खड़ी मैं तुम्हारी राह तक रही हूं। काश, मुझे भी मिले ऐसी पटरियां जो तुम्हारे और मेरे बीच की दूरी खत्म कर सके। 😘 ##nojot
सुनो जाली के इस पार खड़ी मैं तुम्हारी राह तक रही हूं। काश, मुझे भी मिले ऐसी पटरियां जो तुम्हारे और मेरे बीच की दूरी खत्म कर सके। 😘 #nojot
read morebavlikalam
कलांतर (परिवर्तन) गाँव अब गए है बदल, कस्बे हो गये बनावटी, नदी,पत्ती, आकाश अब बचा क्या है, हवा भी हो गयी मिलावटी। गाँव की गालियां अब वीरान हो गयी हैं, आम की बगिया मुझे नहीं बुलाती। गर ननिहाल पहुँचता हूँ सुस्ताने को, मेरी नानी अब लोरी नहीं सुनाती। सरसों के खेतों में बस फिरती है तितलियाँ, वो भी अब वहाँ अपना आशियाना नहीं बनाती, मशरूफ हो गए है गाँव अब शहर बनने को, अब बरगद की छाया भी नहीं बुलाती। बदल गए हैं अब संचार के माध्यम भी, अन्तर्देशी पत्र अब हमें नहीं लुभाती, तार, चिट्ठी जिसमें लिखते थे घर की बातें, अपनों की बातें अब न हैं भाती। पेड़ों के नीचे लगते थे चौपाल कभी, अब नीम के झूलों की यादें भी नहीं बुलाती। गिनते थे चलती रेलगाड़ी की डिब्बों को, अब वो रेल की पटरियां भी मुझे नहीं बुलाती। समय बदल चुका है पहले से, मेरी घड़ी भी अब नहीं बताती, जो जी मे आता है खा लेता हूँ, यहाँ मेरी माँ रोटी नहीं बनाती। गाँव अब गए है बदल, कस्बे हो गये बनावटी, नदी,पत्ती, आकाश अब बचा क्या है, हवा भी हो गयी मिलावटी। गाँव की गालियां अब वीरान हो गयी हैं, आम की ब
गाँव अब गए है बदल, कस्बे हो गये बनावटी, नदी,पत्ती, आकाश अब बचा क्या है, हवा भी हो गयी मिलावटी। गाँव की गालियां अब वीरान हो गयी हैं, आम की ब
read moreGuruvirk
अब अपने घर से ही लगने लगे हैं ये रास्ते, इतना इन पर चले हैं , भूख से पेट सिकुड़ गया, प्यास से सूखे गले हैं... !!"full read in caption"!! Guru virk ✍©️ अब अपने घर से ही लगने लगे हैं ये रास्ते, इतना इन पर चले हैं , भूख से पेट सिकुड़ गया, प्यास से सूखे गले हैं, अभी तो मुझसे कर रहा था
अब अपने घर से ही लगने लगे हैं ये रास्ते, इतना इन पर चले हैं , भूख से पेट सिकुड़ गया, प्यास से सूखे गले हैं, अभी तो मुझसे कर रहा था
read moreअशेष_शून्य
कोई आस पास सांसे बेच रहा गुब्बारे में भर के मालूम क्यूं ?? - Anjali Rai Read in caption ...❤️ अनंत के सफ़र पर बस निकले ही थे अंत की तरफ़ बढ़ते हुए सांसे बिखर रही रेत सी पर हम अपनी मुठ्ठी कस कर बंद किए क्यूं बिखरने दें ख़ुद को बस इ
अनंत के सफ़र पर बस निकले ही थे अंत की तरफ़ बढ़ते हुए सांसे बिखर रही रेत सी पर हम अपनी मुठ्ठी कस कर बंद किए क्यूं बिखरने दें ख़ुद को बस इ
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