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aditi the writer
White भाई दूज का पर्व है आया, खुशियों का संदेश है लाया। भाई-बहन के प्रेम का, यह दिन पावन और सच्चा। दीप जलें, हो रौशनी छाई, बहन की आंखों में चमक आई। तिलक करे, आरती उतारे, स्नेह से भरी उसकी प्यारी बलिहारी। भाई देता वचन निभाने का, सदा रक्षा करने का। जीवन के हर मोड़ पर, साथ निभाने का। प्यार का यह अनमोल नाता, हर दिल में बस जाए। भाई दूज के इस पर्व से, संबंध और मजबूत हो जाए। स्नेह, श्रद्धा और अपनापन, इस त्योहार की पहचान। भाई-बहन के इस रिश्ते को, शत शत नमन, प्यार और सम्मान। ©aditi the writer #Sad_Status Da "Divya Tyagi" Niaz (Harf) vineetapanchal आगाज़
#Sad_Status Da "Divya Tyagi" Niaz (Harf) vineetapanchal आगाज़
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White वक्त गुजर जाने दो एहसास बाहर आने दो दूरियां नजदीकियों में बदल जाएंगी बस अपना वक्त आने दो ©aditi the writer #sad_dp आगाज़ vineetapanchal Da "Divya Tyagi" @it's_ficklymoonlight shraddha.meera
#sad_dp आगाज़ vineetapanchal Da "Divya Tyagi" @it's_ficklymoonlight shraddha.meera
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White मर्यादा के ध्वजवाहक, आदर्शों के दीप, धरा पर आए राम, सत्य के थे समीप। धनुष-बाण हाथों में, धीर और गंभीर, मर्यादा की महिमा में, उनका था अतीव। रघुकुल की शान थे, वचन के प्रति दृढ़, हर कठिनाई में रहे, धर्म के पथ पर अडिग। राज्य त्याग वन गमन, हर कदम में धैर्य, साधुता के पथ पर, रखा हर पल संयम का भैर्य। सीता के प्रति प्रेम था निर्मल और पावन, हर विपदा में उनका साथ था अडिग और अमर। लंका विजय से फिर किया, धर्म का उद्धार, रावण के अहंकार को, मिटाया सदा के लिए पार। मर्यादा पुरुषोत्तम, राम का वो रूप, जिसमें सजीव है सत्य, धर्म, और भव्य स्वरूप। उनके आदर्श आज भी देते हमें सीख, सद्गुण, संयम, और न्याय की करते वो अभिव्यक्ति अनमोल। राम का चरित्र है सदा अमर, जीवन के हर मोड़ पर, वो बने प्रेरणा के स्वर। ©aditi the writer #Ram_Navmi Niaz (Harf) आगाज़ Da "Divya Tyagi" vineetapanchal shraddha.meera
#Ram_Navmi Niaz (Harf) आगाज़ Da "Divya Tyagi" vineetapanchal shraddha.meera
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**नज़र एक बांदी** नज़र एक बांदी सी बँधी इस दुनिया के मायाजाल में, हर रंग में उलझी हुई हर सपने के जाल में। बाधाओं की बेड़ियों में सपनों का बंधन तंग हुआ, देखने की चाह में वो हर बार दबंग हुआ। कभी उम्मीदों की किरणों में चमकती वो दूर दूर तक, कभी निराशा के सायों में सिमटती वो दूर दूर तक। पर वो नज़र फिर भी बांधी रही इस दुनिया की छल-कपट में, ख्वाबों के टुकड़े बटोरती अपनी ही उलझनों की छटपट में। सच की रोशनी से जब वो आजाद होकर आई, तब जाकर उसे एहसास हुआ कि ये दुनिया सिर्फ परछाई। नज़र अब ना बांदी रही वो अब आसमान को देखे, खुद की हकीकत पहचान कर नए सफर की रौशनी खेले। अदिति जैन ©aditi the writer #नजर @it's_ficklymoonlight vineetapanchal आगाज़ shraddha.meera Da "Divya Tyagi"
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