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Parasram Arora
संध्या की बीमार सी मद्दिम रौशनी मे सांस लेती हुईं इस बस्ती की झुग्गियो कि चिमनियों से धुए के बादल बन कर उड़ रहे थे झुग्गी के भीतर दोनों आँखों से पानी पोंछति हुईं गृहणी बंसी कीफूंक से चूल्हे की गीली लकड़ियों को सुलगा कर मिट्टी के तवे पर रोटीया सेक रही थी अपने उन्मादी बच्चो की उफनती भूख का समाधान उसे ही तो करना था उफनती भूख......
उफनती भूख......
read moreAbundance
नर्मदा........ भारत की सारी नदिया पश्चिम से पूर्व की और बहती है लेकिन सिर्फ नर्मदा नदी पूर्व से पश्चिम बहती है,बाकी सारी नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती है लेकिन सिर्फ नर्मदा अरब सागर से मिलती है,एक दर्द भरी कहानी जिसके जड़ में तड़प, वेदना, अब्यक्त दर्द है..... नर्मदा नदी का विवाह नद सोनभद्र से तय हुआ था, नर्मदा के पिता ने कहा था जो गुलबकावली का फूल लाएगा उससे नर्मदा की शादी होगी, नर्मदा ने सोनभद्र को नहीं देखा था उसने दाशी रोहिला को बोला सोनभद्र को खबर करो मै उससे मिलना चाहती हु... रोहिला नहीं लौटी... फिर नर्मदा खुद गयी वहाँ उन्होंने दोनों को साथ देखा फिर वो क्रोध से कभी शादी ना करने की कसम खायी और उलटी दिशा की और जाने लगी और कुछ हिस्सा ये भी था...विवाह मंडप में बैठने से पहले नर्मदा को पता चला सोनभद्र का जुड़ाव जुहिला(एक आदिवासी नदी मांडला के पास बहती है )जो उनकी दाशी है उससे था, नर्मदा जो अच्छे घराने की थी उसे ये अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और मंडप छोड़ कर उलटी दिशा में चलने लगी जब सोनभद्र को गलती का एहसास हुआ तो वो नर्मदा के पीछे गए और कहे ****लौट आओ नर्मदा पर नर्मदा नहीं लौटी 🥺 वो कुंवारी रह गयी....और यही कारण रहा एक स्थान पर सोनभद्र से अलग होती नर्मदा दिखाई 🥺देती है नर्मदा इतनी पवित्र नदी है की गंगा नदी भी यहा स्नान करने आयी ... बिना स्नान किये सिर्फ नर्मदा दर्शन से पूरा पुण्य मिल जाता..जोहिला नदी भी उधर बहती लेकिन वो दूषित नदियों में गिनी जाति है... लेकिन नर्मदा वापस नहीं लौटी.. वहाँ के हर पत्थर को शिवलिंग माना जाता और बिना प्रानप्रतिष्ठा के पूजा भी होती... आज भी जो लोग नर्मदा की परिक्रमा करते है (और भी बातें मै बताउंगी ) उन्हें नर्मदा के विलाप की आवाज़ सुनाई देती..... सभी नदिया एक तरफ नर्मदा अकेली बहती रहती......... ©Mallika #नर्मदा
J P Lodhi.
सागर की लहरों की तरह मच रही ज़िंदगी में उथल पुथल। ज्वार भाटे की तरह आते रहें ,अनवरत रूप से उतार चढ़ाव। डगमगा रही ज़िन्दगी की कश्ती,डूबाने को बेताब है उफान। ठहरा नहीं जाता किनारों पर भी, उड़ा रहा वहां भी तूफान। स्वर गूंज रहा उफनती लहरों के,मच रहा किनारों पर सोर। चारो तरफ छाएं गमों के बादल, होती नही खुशियों की भौंर। फंस रही कश्ती ज़िंदगी के भंवर में,किनारे बन रहे बेखबर। झेल रही कश्ती मुश्किलें, तूफानों में टूटी पतवारों के सहारे। #Nojoto उफनती लहरें
उफनती लहरें
read moreNarmada Sharma
अपने खिलाफ बातें ख़ामोशी से सुन ले,,,,, यकीन मानो वक़्त बेहतरीन जवाब देगा,,,,,, # नर्मदा शर्मा
# नर्मदा शर्मा
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