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Vicky Tiwari
#ब्रेकिंग #अपडेट #कालामाजन की #घटना #अपरिहार्य #कारणों से #कुदरगढ_महोत्सव के #दूसरे_दिवस का #कार्यक्रम_निरस्त, #रेस्क्यू_में_डटी_संयुक्त_टीम
read moreअशेष_शून्य
"Loyalty is Necessity" Your own towards self. ~©Anjali Rai "स्वयं के प्रति आपकी अपनी निष्ठा अपरिहार्य (बेहद आवश्यक) है।।" - Anjali Rai ____________________________________________ #अशेष_शून्य #y
"स्वयं के प्रति आपकी अपनी निष्ठा अपरिहार्य (बेहद आवश्यक) है।।" - Anjali Rai ____________________________________________ #अशेष_शून्य y
read moreSURAJ आफताबी
इमारत में हमारे हुजूर की दिल-दिमाग युध्दरत है ऊपर वाले माले पर गजब का द्वंद कार्यरत नीचे वाले पर निर्मल प्रेम सलिल पल्लवित है ! माना दोनो का द्वंद्व अपरिहार्य है परन्तु... दिल आपको हमेशा सही राह पर लेकर जाता है !! #love #forsomeonespecial #mylife #life #zindagi #yqbab
माना दोनो का द्वंद्व अपरिहार्य है परन्तु... दिल आपको हमेशा सही राह पर लेकर जाता है !! love #forsomeonespecial #mylife life #Zindagi yqbab
read morevishnu prabhakar singh
ज़िन्दगी की ख़ुशी के लिए, मन का मार्ग चलो अत्यधिक मानवता संग चाँद के उसपार चलो कला और संस्कृति के मूलता का विचार करो परम्परा के आधारभूत मिश्रण का प्रचार करो धर्म-कर्म के औचित्य से नीति का सृजन करो नीति प्रतियोगिता का मासिक अभिनंदन करो नैतिकता की अपेक्षा का देशव्यापी वंदन करो सनातनआचरण सीख लो राम को चंदन करो ख़ुशी अपरिहार्य है! #napowrimo का आज छठा दिन है। ज़िन्दगी की ख़ुशी के लिए क्या करें दोस्तो। #ज़िन्दगीकीख़ुशी #YourQuoteAndMine Collaborating w
ख़ुशी अपरिहार्य है! #NAPOWRIMO का आज छठा दिन है। ज़िन्दगी की ख़ुशी के लिए क्या करें दोस्तो। #ज़िन्दगीकीख़ुशी #YourQuoteAndMine Collaborating w
read moreअशेष_शून्य
.... "योग और ध्यान" को सिर्फ आज के दिन ही नहीं बल्कि अपने हर दिन का अपरिहार्य हिस्सा बनाइए .....❤️ योग दिवस की असीम मंगल कामनाएं 🙌 Bcz योगा is
"योग और ध्यान" को सिर्फ आज के दिन ही नहीं बल्कि अपने हर दिन का अपरिहार्य हिस्सा बनाइए .....❤️ योग दिवस की असीम मंगल कामनाएं 🙌 Bcz योगा is
read moreShree
आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं, ले लगत लागत है अपरिहार्य... लत-रत जग क्षण-क्षण बौराये! आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बा
आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बा
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तलबगार अट्टालिकाओं में जो बैठे हैं! रहगुजर वो सड़कों पर भी कर लेते है, जाने कितनी मंजिलों का सड़कें राबता, और वहीं, कितनों का ये रैन-बसेरा है। अंधियारे में सोलर लाइट के सहारे... कभी अंडरपास, कभी सब-वे के किनारे कभी घुम्मकड़, ले सिग्नल पर डेरा डाले, ...बड़े शहरों में बसी गुमनाम जिंदगियां। ठंड में ठिठुरते, बारिश में भींगते और, धूप चिलचिलाती तब छांव को तड़पते, मजबूर महकमों में छुपते, दबे, पिछड़े, बहरे प्रजापाल, अपरिहार्य भूले-लाल। भूले-लाल _______ तलबगार अट्टालिकाओं में जो बैठे हैं! रहगुजर वो सड़कों पर भी कर लेते है, जाने कितनी मंजिलों का सड़कें राबता, और वहीं, कितनों
भूले-लाल _______ तलबगार अट्टालिकाओं में जो बैठे हैं! रहगुजर वो सड़कों पर भी कर लेते है, जाने कितनी मंजिलों का सड़कें राबता, और वहीं, कितनों
read moreDarshan Blon
सिखा मैंने अपने पापा से एकत्रित कैसे रखना है परिवार, सिखा मैंने अपनी माँ से सहिष्णुता और निस्वार्थ प्यार, सिखा मैंने अपने गुरुजनों से नियंत्रण मे रखना आचार-व्यवहार, सिखा मैंने अपने दोस्तों से संघर्ष मे भी करना मस्ती भरमार, Continued Below.... सीखा मैंने अपनी गलतियों से ना दोहराना उसे बारबार, सिखा मैंने तकलीफों से दुःख-सुख मे लिपटे जीवन का सार, सिखा मैंने सुखा पतझड़ से आती है ह
सीखा मैंने अपनी गलतियों से ना दोहराना उसे बारबार, सिखा मैंने तकलीफों से दुःख-सुख मे लिपटे जीवन का सार, सिखा मैंने सुखा पतझड़ से आती है ह
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उद्विग्न विरक्त बर्फ से तन के पीछे जो शिथिल उष्णता है तुम्हारे मन की, मैं जानता हूं उसे। सच कहूं तो, उससे मेरे मन का पाखी रोज दाने-पानी की अपेक्षा रखता है। तुम्हारे रुप को निहार-निहार कर अपने पंख थका देता है। पंख इसीलिए थकते कि कोई भी कोण से दर्श की मीमांसा बची ना रहे। ✍️caption तुम्हारा रुप _________ उद्विग्न विरक्त बर्फ से तन के पीछे जो शिथिल उष्णता है तुम्हारे मन की, मैं जानता हूं उसे। सच कहूं तो, उससे मेरे मन का
तुम्हारा रुप _________ उद्विग्न विरक्त बर्फ से तन के पीछे जो शिथिल उष्णता है तुम्हारे मन की, मैं जानता हूं उसे। सच कहूं तो, उससे मेरे मन का
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