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mehar
क्या कभी दुवाओं में याद करते हो मुझे कभी ख्वाबों में देखते हो मुझे कभी मुन्तजिर रही है आंखे राहों में कभी ख्यालों में याद करते हो मुझे मेरे बिना कभी बेचैन रहे हो तुम बेखयाली में याद करते हो मुझे। ©mehar #याद
Ramnik
White इन गलियों से कभी तुम गुजरे होगे। इन फिजायो में कभी तेरी हसी की महक गूंजी होगी। कभी इन हवाओं में तेरी खुशबू छुई होगी। कभी इन खिड़े फूले से तेरी मुलाकात हुई होगी। भले तुम यहां नहीं, हमें हर छह में तेरी झलक मिलती रही.... ©Ramnik #याद
F M POETRY
White एक पल बाद आया करती है.. आपकी याद आया करती है.. यूसुफ आर खान... ©F M POETRY #आपकी याद आया करती है..
#आपकी याद आया करती है..
read moreDev Rishi
जातें शक्ल में छोड़ती कुछ सांसें थी... आंखों से सुनती सांसें.. पलकें झपकाती थीं.., उससे गुज़ारिश कि, शायद सुन ले ज़रा.... सालों हो चुकें... एक झलक दिखा दो ज़रा..!! ©Dev Rishi शेरो शायरी# तेरी याद.. फिर क्यों आई है.!!
शेरो शायरी# तेरी याद.. फिर क्यों आई है.!!
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब । जो रहकर भी साथ में , छोड़े मेरा हाथ अब ।। जीवन के हर मोड़ पर , चलना हमको साथ है । याद रहे इतना पिया , थामा तेरा हाथ है ।। अब तो तेरे संग ही , इन साँसो की डोर है । ले जाओ अब तुम जिधर , चलना अब उस ओर है ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।
उल्लाला छन्द :- छोटी-छोटी बात पर , करते क्यों तकरार हो । तुम ही जब रघुनाथ हो , तुम ही जब संसार हो ।। मुझसे ऐसी भूल क्या , हुई बताओ नाथ अब ।
read morePagal shayer
White आज बहुत याद आ रही है तुम्हारी... या तू मिल जाए... या सासे थम जाए हमारी... ©Pagal shayer आज बहुत याद आ रही है तुम्हारी....
आज बहुत याद आ रही है तुम्हारी....
read moreNiaz (Harf)
White यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है, मुल्क-ए-ग़ैर में बसे हम, मगर दिल वहीं की गली है। याद आती हैं वो गलियाँ, जहाँ बचपन बीता था, दोस्तों की महफिलें, जहाँ हर ग़म भुलाया था। अम्मी की लोरियों में, सुकून-ए-दिल की बातें थीं, अब तो बस ख़्वाबों में, वो सारी राहतें हैं। वो मस्जिद की अज़ान, वो मंदिर की आरती, हर सुबह की ताज़गी, अब बस यादों की बात है। परदेस की चमक में, दिल की वीरानियाँ हैं, रोज़ी की तलाश में, बस यादों की परछाइयाँ हैं। वतन की मिट्टी की खुशबू, रूह में घुल जाती है, पर इस सफ़र की मंज़िल, बस एक बेचैनी लाती है। कब लौटूंगा उस ज़मीन पर, जहाँ दिल बसता था, मुल्क-ए-ग़ैर की दौलत, मुझे क्या रास आएगी? ©Niaz (Harf) #Sad_Status #Niaz R. Ojha Sircastic Saurabh Sethi Ji Sana Ekram Adhuri Hayat Dia यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है, मुल्क-
#Sad_Status #Niaz R. Ojha Sircastic Saurabh Sethi Ji Sana Ekram Adhuri Hayat Dia यह कैसी तन्हाई है, दिल में एक तिश्नगी है, मुल्क-
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
White ढूंढ रही हैं नजरे शायद अभी दिख जाएं। आया है फिर राखी का त्यौहारकहीं किसी बहन को बिछड़ा भाई तो किसी भाई को बिछड़ी बहन मिल जाएं। माना राखी महंगी और रिश्ते सस्ते हों गए है। पर कभी तो बाहरी दिखावा छोड़ मन की आंखों से मेल हटा कर मिल लिया करो। जानें कब किसी की अगली सुबह आंख न खुले इसलिए जब याद आए तब ही बात कर लिया करों। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ
बार कोई त्यौहार आता है, पर तू नज़र नहीं आता है। इस बार भी राखी का त्यौहार आया है, पर यादों को कोई मिटा नहीं पाया है। पूजा की थाली सजाती हूँ
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