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M.K Meet
White मैं मुहब्बत हूं या जरूरत पता नहीं!! ************* कभी उसको हमसे बात करने की बेचैनी हूआ करती थी कभी वह हमसे बात करने को पागल रहा करती थी कभी बह हमसे बात करने के लिए तड़पा करती थी क्योंकि.......................................... कभी वो हमसे बे इन्तेहा मुहब्बत किया करती थी !!!!! और अब......................................... उसने कहीं और बात करना शुरू कर दिया है उसकी बेचैनियां कहीं और है उसकी तडप कहीं और है वो पागल होने लगी है किसी और के लिए उससे बात करने के लिए मुझे इग्नोर करने लगी हैं! क्योंकि मैं.. अब उसकी मुहब्बत नहीं ,सिर्फ जरूरत बनके रह गया हूं! मैं मुहब्बत हूं या जरूरत पता नहीं दिल अभी भी मुहब्बत कहता है और दिमाग अब जरूरत समझता है और मैं उलझन में हूं 😂😂😂 ?? . ©M.K Meet #मै बड़ी उलझन में हूं!
#मै बड़ी उलझन में हूं!
read moremehar
White कभी तुम्हे मोहब्बत रास नहीं आई। कभी तुमने हिम्मत नहीं दिखाई। होगी। इसलिए तुमने मोहब्बत से तौबा की हर मर्तबा इसलिए तुम्हारे नसीब में मोहब्बत न आई होगी। मोहब्बत की बददुआ लगी होगी तुम्हे किसी की आह भरती , सिसकियां लगी होगी। ©mehar #मोहब्बत न मिली
#मोहब्बत न मिली
read moreNurul Shabd
ईमानदारी एक बड़ी चीज है दुनियादारी में, यह साधू को भी दारा के सिर पर ताज पहनाती है। ©Nurul Shabd #ईमानदारी #एक #बड़ी #चीज #है #Shayari
RAVI PRAKASH
White जिंदगी से बड़ी कोई सजा ही नहीं और क्या जुर्म है पता ही नहीं .. इतने हिस्सो में बट गया हूं मैं और मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं..! ©RAVI PRAKASH #sad_quotes जिंदगी से बड़ी
#sad_quotes जिंदगी से बड़ी
read moreRAVI PRAKASH
White जिंदगी से बड़ी कोई सजा ही नहीं और क्या जुर्म है पता ही नहीं .. इतने हिस्सो में बट गया हूं मैं और मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं..!! ©RAVI PRAKASH #good_night जिंदगी से बड़ी कोई
#good_night जिंदगी से बड़ी कोई
read moreRajni Vijay singla
White विरासत पर हंसने वाले कितने दिन ? मृगतृष्णाओं के पीछे भागेगा तू बड़ी रईस विरासत हमारी एक दिन इनसे ही पनाह मांगेगा तु ©Rajni Vijay singla बड़ी रईस है संस्कृति हमारी
बड़ी रईस है संस्कृति हमारी
read moreShashi Bhushan Mishra
White महफ़िल में भी मिली अकेली तन्हाई, गम के पन्ने पलट रही थी रुस्वाई, गिरा ताड़ से अटका किसी खजूरे पर, बेचारे ने कैसी है किस्मत पाई, बैठ गया खालीपन उसके जाने से, कभी नहीं हो सकती जिसकी भरपाई, बिन बरसे ही सावन घर को लौट गया, मन के अंदर ख़्वाहिश लेती अंगड़ाई, दिन ढ़लने को आतुर मेरे आंगन का, लगी छुड़ाने पीछा अपनी परछाई, आम आदमी की थाली से गायब है, कोर-कसर पूरा कर देती महंगाई, पैसों से तक़दीर की टोपी मिल जाती, दूर सिसकती बैठी मिलती तरुणाई, दिल की बात सुनाऊँ मैं किससे गुंजन, आहत करती मन को यादें दुखदाई, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #मिली अकेली तन्हाई#
#मिली अकेली तन्हाई#
read moreRAVI PRAKASH
White जिंदगी से बड़ी कोई सजा ही नहीं और क्या जुर्म है पता ही नहीं .. इतने हिस्सो में बट गया हूं मैं और मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं..!! ©RAVI PRAKASH #sad_shayari जिंदगी से बड़ी
#sad_shayari जिंदगी से बड़ी
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